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बीकानेर,देश सहित प्रदेश के मौसम में तेजी के साथ बदलाव देखने को मिल रहा है.

लोगों को सर्दी के मौसम में गर्मी से दो -चार होना पड़ रहा है. प्रदेश में फरवरी महीने में जहां सर्दी पड़नी चाहिए थी, वहीं अब तेज गर्मी पड़ने लगी है. जलवायु परिवर्तन की वजह से आमजन को अभी से गर्मी सताने लगी है.

इस जलवायु परिवर्तन को देखते हुए राजस्थान मौसम विभाग के वैज्ञानिक हिमांशु शर्मा ने बताया कि जनवरी माह के अंतिम सप्ताह में अंतिम पश्चिमी विक्षोभ प्रदेश में होकर गुजरा था. जिसके चलते मौसम में एक बड़ा बदलाव देखा गया. फरवरी माह के पहले सप्ताह से ही प्रदेश में गर्मी का दौर शुरू हो गया जो अंतिम सप्ताह में भी जारी है.

एंटीसाइक्लोन बना वजह
अंतिम पश्चिमी विक्षोभ के साथ साथ इस बीच दो छोटे पश्चिमी विक्षोभ प्रदेश में से होकर गुजरे, लेकिन उनकी वजह से बहुत कम प्रभाव देखने को मिला. बीते 5 दिन से गुजरात और राजस्थान में एक एंटीसाइक्लोन बना हुआ है, जिसके चलते मौसम में कोई परिवर्तन देखा नहीं जा रहा है. इसी के साथ ही गल्फ कंट्री से आने वाली गर्म हवाएं जैसलमेर और बीकानेर के रास्ते प्रदेश में प्रवेश कर रही हैं.

जैसलमेर और बीकानेर क्षेत्र में मैदानी भाग अधिक होने के कारण पश्चिम से आने वाली गर्म हवाएं वहां की मिट्टी को और अधिक गर्म कर रही हैं, जिसके चलते प्रदेश में और अधिक गर्मी बढ़ने की प्रबल संभावनाएं आगे भी है.

रात और दिन के तापमान में आया बदलाव
इसी के साथ ही दिन और रात के समय में काफी बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है, दिन का समय ज्यादा होने के कारण सूरज की तपन ज्यादा समय तक रहती है, इसका भी एक गर्मी बढ़ने का मुख्य कारण है. मौसम वैज्ञानिक हिमांशु शर्मा ने बताया यह 2 मार्च को 1 से 2 डिग्री तापमान में कमी देखने को मिलेगी. उसके बाद फिलहाल प्रदेश में गर्मी से राहत के आसार अभी नहीं बन रहे हैं.

अधिक गर्मी फसले खराब होने का डर
फरवरी माह में गर्मी अधिक पढ़ने से फसलों के खराबे का संकट खड़ा हो गया है. गेहूं, जौ, सरसों, चना की फसल खराब हो चुकी है या हो रही है. प्रदेश के किसानों ने बताया जनवरी माह के अंतिम सप्ताह में आए पश्चिमी विक्षोभ ने सरसों की फसल को पूरी तरीके से बर्बाद कर दिया. सरसों का दाना पकने की कगार पर था कि तभी बरसात और पाले ने सरसों की खेती पूरी तरीके से तहस नहस कर दी.

किसानों ने कहा सरसों की बर्बादी से उबर भी नहीं पाए थे कि फरवरी महीने में गर्मी शुरू हो गई जिससे गेहूं और जौ के दाने को खिलने का मौका नहीं मिला, दाना बड़ा होने के पहले ही फसल पकाई की ओर बढ़ने लगी. इसके बाद फसल को खुले आसमान में छोड़ नहीं सकते, जिसके चलते अब फसल कटाई का दौर बे मन से शुरू करना पड़ रहा है. किसानों ने बताया होली के बाद मुख्यता धान की कटाई की जाती थी. धान पूरी तरीके से पक चुका होता. दाना और वजन दोनों ही ज्यादा होते हैं. जिससे किसानों को अधिक मुनाफा मिलता है. लेकिन इस बार फसल कटाई समय से पहले करनी पड़ रही है जिसके चलते किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

100% फसल हो चुकी है नष्ट
वहीं, किसानों ने बताया कि सरसों की 100% फसल नष्ट हो चुकी है. इसी के साथ ही अगर गेहूं और जौ चना की बात की जाए तो 30 से 40% की कमी आई है, जिसके चलते उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. वहीं महिला किसान काश्तकार ने बताया इस साल फसल बर्बाद होने के कारण उन्हें अपनी कोचिंग बीच में ही छोड़नी पड़ी. परिवार के पास कोचिंग में पढ़ाने का पैसा तक नहीं है, जिसके चलते उन्हें पढ़ाई से वंचित होना पढ़ रहा है.

मरीजों की भीड़ में इजाफा
जनवरी माह में तेज गर्मी पड़ने के कारण प्रदेश के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों की भीड़ में इजाफा देखने को मिला है. वरिष्ठ चिकित्सक डॉ अनिल नायक ने बताया मरीजों में 30 से 35% की बढ़ोतरी देखी जा रही है. ज्यादातर मरीज गला खराब होना सर्दी, जुकाम, बुखार सहित उल्टी दस्त के ज्यादा आ रहे हैं. उन्होंने कहा बदलते मौसम के कारण सभी लापरवाही बरत रहे हैं, ठंडा और खट्टा खाना बीमारी की मुख्य वजह है. नायर ने कहा होली पर्व बीत जाने के 1 सप्ताह बाद ठंडी चीजों का सेवन करना चाहिए. अभी पंखे कूलर एसी का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं करें, पसीने में पानी तो कभी भी नहीं पीना चाहिए.

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