बीकानेर,राजस्थान में जयपुर के जोबनेर में पिछले साल स्थापित किए गए पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के अधीन 17 जिलों के वेटरनरी संस्थान शामिल हैं लेकिन विश्वविद्यालय के संचालन से जुड़े पदों पर भर्ती बीकानेर विश्वविद्यालय प्रबंधन कर रहा है.
यह सब कार्य पूरी तरह नियम विपरीत किया जा रहा है. बगैर नया रोस्टर तैयार किए व राज्य सरकार की मंजूरी के बगैर ही विश्वविद्यालय के पदों पर भर्ती की जा रही है.
राजस्थान में अब 2 पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय हैं. एक बीकानेर में (राजूवास विश्वविद्यालय) जो कि वर्ष 2010 से संचालित है, और दूसरा जयपुर के जोबनेर में, जिसकी स्थापना की घोषणा पिछले बजट में की गई और गजट नोटिफिकेशन सितंबर 2023 में हुआ.
पिछले साल बजट में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जोबनेर में राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय खोले जाने की घोषणा की थी. 14 सितंबर और 21 सितंबर 2023 को विश्वविद्यालय की स्थापना की अधिसूचना जारी की गई थी. 21 सितंबर को जारी गजट नोटिफिकेशन के मुताबिक, जोबनेर के नए विश्वविद्यालय के अधीन 17 जिलों के सभी महाविद्यालय व पशु चिकित्सा केन्द्र शामिल होंगे.
पूर्ववर्ती सरकार में जोबनेर स्थित इस विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति नहीं की जा सकी थी. ऐसे में राजभवन ने इसे बीकानेर स्थित पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय प्रबंधन के अधीन रखने के ही निर्देश दिए थे. विवाद बीकानेर स्थित पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय द्वारा निकाली गई भर्तियों को लेकर है.विश्वविद्यालय प्रबंधन ने असिस्टेंट प्रोफेसर, असिस्टेंट लाइब्रेरियन और सब्जैक्ट मैटर स्पेशलिस्ट की भर्ती जारी की है, जिसे लेकर विवाद खड़ा हो गया है.
क्या है पूरा मामला ?
राजूवास विश्वविद्यालय बीकानेर ने 8 जनवरी 2024 को विज्ञापन निकाला
10 से 31 जनवरी तक 3 श्रेणियों में 82 पदों पर भर्ती के आवेदन मांगे
रोचक यह कि इनमें नए खुले विश्वविद्यालय के अधीन कॉलेजों के पद भी शामिल
नियमानुसार इन पदों पर भर्ती नए विश्वविद्यालय के अस्तित्व में आने पर हो सकेगी
क्योंकि राज्य सरकार नए विश्वविद्यालय में पदों के लिए नया रोस्टर बनाएगी
राजूवास विश्वविद्यालय प्रबंधन बीकानेर के अपने पुराने रोस्टर से भर्ती कर रहा
सूत्रों के मुताबिक, बगैर स्क्रूटनी ही 15 फरवरी से साक्षात्कार की तैयारी
मार्च के पहले सप्ताह तक अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने की तैयारी
अभी राजूवास विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा पिछले साल की गई भर्ती का विवाद भी सुलझा नहीं है. दरअसल जुलाई 2022 में निकाली गई सहायक प्रोफेसर पदों की भर्ती गड़बड़ियों के चलते जून 2023 में राज्य सरकार ने रद्द कर दी थी. इसके बाद जुलाई 2023 में नए सिरे से विश्वविद्यालय प्रबंधन ने पुरानी गलतियों को सुधारे बगैर ही भर्ती शुरू कर दी थी.रोचक यह रहा कि इस बार भी भर्ती को लेकर शिकायतें हुई तो राजभवन ने जांच करवाई लेकिन आचार संहिता हटने के तुरंत बाद विश्वविद्यालय प्रबंधन ने नई सरकार के शपथ ग्रहण से ठीक पहले भर्ती में नियुक्तियां दे दी.
विवादों का राजूवास विश्वविद्यालय!
जुलाई 2022 में भर्ती 03-2022 निकाली, वह जून 2023 में रद्द हो गई
जुलाई 2023 में फिर भर्ती 01-2023 निकाली, लेकिन उसमें भी रोक लगी
राजभवन को अभ्यर्थियों के नाम पहले से तय होने सम्बंधी शिकायत हुई
राजभवन ने 12 सितंबर 2023 को भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई
इसके बाद 29 नवंबर 2023 को आचार संहिता में ही राजभवन ने रोक हटाई
विश्वविद्यालय प्रबंधन ने ट्रांजीशन फेज में अभ्यर्थियों को नियुक्तियां दे दी
आचार संहिता हटने व नई सरकार के शपथ ग्रहण के बीच में नियुक्ति दे दी
हालांकि इस मामले में नियुक्तियां अभी कोर्ट फैसले के अधीन हैं
राजूवास विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एसके गर्ग पहले भी विवादित रहे
पिछले दिनों जोधपुर हाईकोर्ट ने कुलपति पर लगाया था 5000 रुपए जुर्माना
इस बारे में जब विश्वविद्यालय प्रबंधन से नियम विपरीत भर्ती करने पर पक्ष जानने का प्रयास किया तो जवाब नहीं दिया गया.