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बीकानेर,नवरात्र स्थापना पर 2013 से बीकानेर में लगातार ( कोरोना काल को छोड़कर) हिंदू जागरण मंच की हर साल रैली निकलती है। इस आयोजन को धार्मिक उत्सव के रूप में ही मनाया जाता है। इस रैली का कमोबेश सभी स्वागत करते हैं। आयोजन के पीछे की मंशा भी उत्सव ही रहता है। आयोजक हर वर्ष इसकी सूचना और रूट से लिखित में प्रशासन को अवगत करवाते आए हैं। इस बार ऐसा क्या हो गया की जिला मजिस्ट्रेट को आदेश निकलना पड़ा। इस आदेश में संप्रेषण की खामी के चलते राजनीतिक स्तर पर और आयोजकों की और से तीखी प्रतिक्रिया हुई। अब जिला कलक्टर और प्रशासन स्पष्टीकरण दे रहे हैं। बीकानेर जिला प्रशासन के आदेश की प्रतिक्रिया राजनीतिक रूप से प्रदेश स्तर पर हो रही है। प्रशासन को कहना पड़ रहा कि धारा 144 नहीं लगाई है। नगरीय क्षेत्र में होने वाले किसी आयोजन पर रोक नहीं लगाई गई है, बल्कि नगर दंड नायक ( सिटी मजिस्ट्रेट) से अनुमति लेनी होगी। प्रशासन की मंशा धारा 144 के तहत रैली पर रोक की कतई नहीं रही होगी। परंतु आदेश के प्रसारण की प्रतिक्रिया में मंशा रोक की मानी गई है। भाजपा के जिलाध्यक्ष अखिलेश प्रताप सिंह के नेतृत्व में शिष्टमंडल इस आदेश के विरोध में कलक्टर से मिला। हिंदू जागरण मंच के जेठानंद व्यास भी मिले। हालांकि जिला कलक्टर ने स्पष्ट कर दिया कि आयोजन पर किसी प्रकार की रोक नहीं है। आयोजक रैली की अनुमति यातायात और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए लें। यह बात सही है कि कानून व्यवस्था प्रशासन की जिम्मेदारी है। जिला मजिस्ट्रेट को अधिकार है की कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरत के आदेश जारी कर सकते हैं। प्रशासनिक कुशलता तो इसमें है कि सांप भी मर जाए और लाठी भी नहीं टूटे। प्रशासन तो इशारों से जन भावनाओं के साथ कुशलता से पेश आकर चलता है। आदेश से हल्ला खड़ा हो गया। यह प्रशासनिक कुशलता में कमी को दर्शाता है।

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