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नई दिल्ली, भारत में पिछले कुछ दिनों में कई बड़ी कंपनियों की दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों में आग लगने की घटनाएं सामने आई है। हाल ही में कम से कम 5 ऐसी घटनाएं हुई हैं, जहां ईवी में अचानक आग लग गई, जिससे ऐसे वाहनों से संबंधित सुरक्षा के मुद्दे एकबार फिर चर्चा का विषय बन गए हैं। इसलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं इलेक्ट्रिक व्हीकल में क्यों लगती है आग और इस विषय पर विशेषज्ञ के राय और सरकार के एक्शन प्लान के बारे में…

आपको जानकारी के लिए बता दें, गैसोलिन और लिथियम दोनों बेहद ज्वलनशील होते हैं। इनमें आग पकड़ने में सिर्फ तापमान का अंतर होता है। गैसोलिन 210 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान पर आग पकड़ता है, जबकि लिथियम 135 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान पर आग पकड़ लेता है। ऐसे में उर्जा के सही उपयोग के लिए तकनीक में सुरक्षा को अपनाना ज़रूरी है। आईसीई इंजन उद्योग पुराना है और शुरूआती अवस्थाओं में ये जटिलताएं रही हैं। इलेक्ट्रिक स्कूटरों के लिए यह नया है। यह आईसीई समकक्षों की तरह अपने आप में सुधार ला सकता है।

ईवी टू-व्हीलर का निर्माण करने वाली कंपनी कोमाकी के ऑपरेशन हेड सुभाष शर्मा का कहना है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल में आग लगने की कई वजह हो सकती है। जैसे- बुरी गुणवत्ता के लिथियम सैल, बैटरी के अंदर लीकेज, बैटरी कंट्रोलर के पैरामीटर्स और मोटर (पावरट्रेन) का मेल न खाना आदि हो सकते हैं। पूछे जाने पर कि कोमाकी में, आप अपने वाहनों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं? इसका जवाब देते हुए सुभाष शर्मा ने कहा कि कोमाकी में हमारे वाहनों का पूरा निरीक्षण किया जाता है, इनमें विभिन्न पैरामीटर्स जैसे करेंट के प्रवाह, बैटरी क्षमता, बीएमएस और कंट्रोलर में तापमान को नियंत्रित करने वाली फीचर्स पर पूरी निगरानी रखी जाती है। हालांकि, हम बैटरियों को सुरक्षित बनाने के लिए सर्वश्रेष्ठ गुणवत्ता के सेल काम में लेते हैं, ताकि इस तरह की घटनाओं की संभावना को कम किया जा सके। इसी तरह, कोमाकी में हम अपने प्रतिद्वंद्वियों के विपरीत प्लास्टिक के बजाए मेटल आउटर केसिंग का उपयोग करते हैं, जिससे भीतरी हिस्सों में हीट का कंडक्शन और उचित सुरक्षा बनी रहती है।

Greta Electric

ग्रेटा इलेक्ट्रिक स्कूटर के फाउंडर राज मेहता का कहना है कि हर ईवी निर्माता की तरह हम भी इन घटनाओं का मुख्य कारण समझना चाहते हैं। ग्रेटा में बैटरी वाहन की लागत का बड़ा हिस्सा बनाती है, हम यह सुनिश्चित करते हैं कि हम सर्वश्रेष्ठ प्रोडक्ट लेकर आएं। इसके लिए हम विभिन्न स्तरों पर गुणवत्ता की जांच करते हैं। बाज़ार में उतारने से पहले हमारे वाहनों की जांच एआईएस 156 मानकों के तहत की जाती है। हाल ही में नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि देश में एक बार फिर से इस बात पर ध्यान देना ज़रूरी है कि बैटरी जांच के मानक यूएन के आर136 मानकों के समकक्ष हैं या नहीं। हमें उम्मीद है कि हम इस दिशा में काम करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि हमारे स्कूटर संशोधित मानकों का अनुपालन करें।

इस मामले में सरकार का एक्शन प्लान

इलेक्ट्रिक व्हीकल में लगनी वाली आग को लेकर सरकार काफी सख्त है। इस मामले को लेकर बढ़ती घटनाओं के बीच केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने कुछ दिन पहले कहा था कि मामले की जांच के लिए गठित विशेषज्ञ पैनल की रिपोर्ट मिलने के बाद सरकार चूक करने वाली कंपनियों पर आवश्यक कार्रवाई करेगी। ट्वीट्स की एक श्रृंखला में गडकरी ने कहा था कि पिछले दो महीनों में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों से जुड़ी कई दुर्घटनाएं सामने आई हैं। इसके अलावा नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि देश में एक बार फिर से इस बात पर ध्यान देना ज़रूरी है कि बैटरी जांच के मानक यूएन के आर136 मानकों के समकक्ष हैं या नहीं। हमें उम्मीद है कि हम इस दिशा में काम करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि हमारे स्कूटर संशोधित मानकों का अनुपालन करें।

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