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बीकानेर,राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर ने वर्तमान सत्र 2020.21 में चल रही डिप्लोमा ऑफ एलिमेंट्री एजुकेशन की सैद्धान्तिक एवं प्रायोगिक परीक्षा कार्य में निजी शिक्षक.प्रशिक्षण संस्थान से जुड़े व्याख्याताओं को वंचित करने का कारण पूछते हुए नोटिस थमाया है।
न्यायाधीश विजय विश्नोई की बैंच ने राजस्थान स्ववित्त पोषित महाविद्यालय शिक्षक महासंघ के प्रांतीय संयोजक डॉण् राजेन्द्र कुमार श्रीमाली की याचिका पर निदेशक प्रारंभिक शिक्षा निदेशालयए बीकानेरए पंजीयक शिक्षा विभागीय परीक्षाएँए राजस्थानए बीकानेरए सचिवए स्कूल शिक्षाए शासन सचिवालय जयपुरए सदस्य सचिवए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषदए नई दिल्ली को नोटिस दिया है।
महासंघ की ओर से अधिवक्ता चन्द्र प्रकाश त्रिवेदी ने बताया कि निजी शिक्षक.प्रशिक्षण महाविद्यालय से जुड़े व्याख्यातागण गत सभी सत्रों की डीएलएड की परीक्षा की सैद्धान्तिक उत्तरपुस्तिका का मूल्यांकन करते आए हैं और बतौर परीक्षक प्रायोगिक परीक्षा लेते आए हैं। अचानक उन्हें वंचित किया जाना अनुच्छेद.226 का उल्लंघन है।
महासंघ के प्रांतीय संयोजक डॉण् राजेन्द्र कुमार श्रीमाली ने बताया कि निजी शिक्षक.प्रशिक्षण महाविद्यालय के व्याख्याता राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषदए नई दिल्ली के मानदण्डानुसार योग्यता रखते हैं। वे न केवल एमण् एडण् हैं अपितु शिक्षा विषय में राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा ;नेटद्ध की अर्हता रखते हैंए पीएचण्डीण् भी हैं। बावजूद इसके उन्हें परीक्षक कार्य से वंचित रखना न्यायोचित नहीं है और उन सरकारी शिक्षकों से मूल्यांकन करवाया जा रहा है जो डीण्एलण्एडण् पाठ्यक्रम को पढ़ाने का अनुभव नहीं रखते जिससे मूल्यांकन भी प्रभावित हो रहा है। यह प्रशिक्षणार्थीए एवं निजी व्याख्याता दोनों के हित में नहीं है।
डॉण् श्रीमाली ने बताया कि सरकार राज्य में 303 निजी डीण्एलण्एडण् संस्थान में पढ़ा रहे व्याख्यातागण के आधार पर पढ़ रहे प्रशिक्षणार्थी को डिग्रीए डिप्लोमा और प्रमाण.पत्र तो दे रही है लेकिन उन्हें मूल्यांकन प्रक्रिया से बाहर कर दिया है यह दोहरा व्यवहार अनुचित है।
राजस्थान स्ववित्त पोषित महाविद्यालय शिक्षक महासंघ के अध्यक्ष डॉण् अवधेश आढ़ा एवं महामंत्री डॉण् प्रशांत कुमार तथा शिक्षक प्रशिक्षण प्रगतिशील समिति के अध्यक्ष डॉण् नवप्रभाकर गोस्वामी एवं सचिव पुखराज मीणा के नेतृत्व में डॉण् सीण्एमण् सारस्वतए डॉण् अवधेश जोहरीए डॉण् सुनीताए डॉण् ललित कुमारए डॉण् शक्ति सिंह राठौड़ आदि ने प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय के तत्कालीन निदेशक सौरभ स्वामी को इस सम्बंध में ज्ञापन भी सौंपा था लेकिन उन्होंने यह कहते हुए मना कर दिया कि राजकीय शिक्षकों से ही कॉपियां जंचवाने के सरकारी निर्देश है और विभाग के पास योग्य शिक्षक उपलब्ध है जबकि व्यवहार में ऐसा नहीं है।

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