












बीकानेर,किसी भी जिले में कानून व्यवस्था को मजबूत बनाने की जिम्मेदारी पुलिस की होती है. इसी वजह से हर जिले में पुलिस विभाग अहम होता है. जिसकी मुख्य इकाई थाना होता है.
थाना या पुलिस स्टेशन एक ऐसा कार्यालय होता है, जो पुलिस विभाग का अहम केंद्र होता है. इसकी स्थापना हर जिले में क्षेत्रवार की जाती है. थाने में कार्यालय, लॉकर, अस्थायी जेल, वाहन पार्किंग और पूछताछ कक्ष के साथ-साथ पुलिस कर्मचारियों के आवास और आराम कक्ष भी होते हैं. हर जिले में कई थाने होते हैं, जो जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) या पुलिस अधीक्षक (SP) के अधीन कार्य करते हैं. जब किसी नागरिक को कानून व्यवस्था से जुड़ी कोई समस्या आती है, या वो किसी अपराध का शिकार हो जाता है, तो अपने इलाके के पुलिस थाने में जाकर शिकायत दर्ज कराता है. फिर पुलिस उस पर कार्रवाई करती है.
जैसा कि हमने आपको बताया कि थाने पुलिस की अहम इकाई होते हैं. थाने कानून और सुरक्षा के लिहाज से भी ज़रूरी काम करते हैं. ऐसे में हर थाने का एक प्रभारी अधिकारी होता है. जिसे हम एसएचओ, एसओ, प्रभारी निरीक्षक, थानेदार और कोतवाल के नाम से जानते हैं. वही थाने का सबसे बड़ा अफसर होता है. जो पूरे थाने का इंचार्ज होता है. इस पद पर इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी की तैनाती होती है. मगर कई प्रदेशों में सब इंस्पेक्टर को भी थानों का चार्ज दे दिया जाता है. उन्हें एसओ कहा जाता है.
थाने का ये सबसे बड़ा अफसर जिले के सबसे बड़े पुलिस अधिकारी या एसएसपी या एसपी के निर्देशन पर कार्य करता है. इसकी नियुक्ति और तैनाती भी एसएसपी या एसपी करता है. किसी भी पुलिस थाने का स्टाफ प्रभारी अधिकारी के निर्देश पर कार्य करता है. हत्या जैसे संगीन मामलों की विवेचना भी थाने का प्रभारी ही करता है. जिन बड़े जिलों और महानगरों में पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू है. वहां थानों के एसएचओ, एसओ, प्रभारी निरीक्षक थानेदार और कोतवाल जिले के पुलिस उपायुक्त के अधीन होते हैं. इस प्रणाली में डीसीपी सामान्य पुलिस प्रणाली के एसएसपी या एसपी की तरह कार्य करते हैं.
