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बीकानेर,छोटीकाशी नाम से विख्यात बीकानेर के शिव पार्वती मंदिर ,माली समाज भवन में चल रहे भागवत कथा सत्र में चतुर्थ दिन की कथा का व्याख्यान करते हुए विख्यात कथा वाचक श्री मुरली मनोहर जी व्यास जी ने ध्यान विधि भगवान की विराट स्वरूप का वर्णन –योगी द्वारा योग के माध्यम से उत्कृष्टता की प्राप्ति –राजा परीक्षित के द्वारा शुकदेव जी से विविध प्रसंग– मंगलाचरण का महत्व –वराह अवतार– श्री कृष्ण अवतार पर्यंत अवतारों का वर्णन –चतुश्लोकी भागवत का उपदेश –पुराण के लक्षण –सांख्य दर्शन के तत्वों का वर्णन आदि के माध्यम से श्रेष्ठ प्रसंगों दृष्टांत द्वारा कथा का व्याख्यान किया गया !
पीठाधीश श्री मुरली मनोहर जी ने राम शब्द की व्याख्या करते हुए बताया–” रमंते यस्मीन भोगिनो स: राम:”
अर्थात राम –किसी का नाम नहीं अपितु आनंद की अवस्था है –जिसमें भोगी जन योग के माध्यम से परमानंद को प्राप्त करते हैं –उस अवस्था स्थिति का नाम राम है —
यह भागवत कथा भी आनंदमई स्थिति को उत्पन्न करने वाली है– अतः संसार में लोगों को दुख की निवृत्ति और आनंद में प्रकृति के लिए अनासक्त भाव से कथा का श्रवण करना चाहिए–
इसी क्रम में आकर ऋषि कर्दम और दिति के पुत्र सान्ख्य दर्शन के प्रणेता महर्षि कपिल मुनि के प्राकृटय का व्याख्यान प्रस्तुत किया!

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