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बीकानेर,जिला कलक्टर भगवती प्रसाद कलाल ने जिले में सम्पर्क पोर्टल पर लम्बित प्रकरणों की संख्या बढ़ने पर नाराजगी जताई है। बीकानेर में जन समस्याओं के निस्तारण का जन संतुष्टि प्रतिशत भी संतोषजनक नहीं हैं। स्थिति यह है कि मुख्यमंत्री और राज्यपाल भवन से प्राप्त प्रकरण भी अर्से से लम्बित है। जन सुनवाई में भी जिला कलक्टर को ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद स्तर पर त्रिस्तरीय जनसुनवाई के दौरान दी गई समस्याओं का भी कमोबेश यही हश्र है। मुख्यमंत्री और सरकार में ऊंचे ओहदे पर बैठे अफसर कलक्टर के भरोसे चाहे जितने दावे करें। बीकानेर में तो धरातल की स्थिति सरकार के दावों से भिन्न है। प्रमाण चाहे तो सरकार जो समस्या जन सुनवाई में रिकार्डेड है उन लोगों को वापस बुलाकर पूछ लें। कितनी जन समस्याओं का समाधान हुआ है ? पता चल जाएगा। प्रशासन का रिकार्ड बोलता है, साल भर, छह माह और ऐसे ही महीनों पुराने प्रकरण टाल मटोल में पड़े हैं। जब सर्म्पक पोर्टल की शिकायतों को लेकर खुद कलक्टर खफा है कि उनके

बार- बार के निर्देशों को नहीं माना जा रहा है। शिकायतों का समयबद्ध निस्तारण नहीं हो रहा है। फिर कलक्टर से क्या कोई उम्मीद करें। वैसे कलक्टर समीक्षा बैठकों के अलावा क्या कुछ कर पाए हैं? कोई बीकानेर की जन समस्या चाहे सीवरेज को लेकर हुई शिकायते हों या सूरसागर , कोटगेट रेलवे क्रॉसिंग, जन साधारण की खातेदारी, सीमा ज्ञान, या अन्य कोई। कलक्टर कुछ ज्यादा कर पाएं हो जनता का ऐसा एक्सप्रेशन नहीं है।ऐसे में अपने अधिनस्थों को यह कहना की लंबित समस्याओं के निस्तारण में यह लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। इसका कोई असर होने वाला नहीं है।

हालत खुद जनता समझ सकती है कि जब जिला कलक्टर ने कलेक्ट्रेट सभागार में सम्पर्क पोर्टल पर दर्ज प्रकरणों की समीक्षा की तब उनको सच का पता चला। वास्तव में जन समस्याओं को लेकर विभागों के स्तर पर लगातार लापरवाही सामने आ रही है। जिला कलक्टर को वैसे पता भी नहीं रहता कि विभागों में कामों के क्या हालत है। समीक्षा बाद उनके विरुद्ध कार्यवाही हुई है क्या ? जहां खुद कलक्टर के ये हाल हो वहां अधीनस्थ विभागों से बेहतर की कोई कैसे उम्मीद कर सकता हैं। “जिला कलक्टर भगवती प्रसाद कलाल ने कहा कि पिछली समीक्षा बैठक में अधिकतम पेंडेंसी के चलते जिन अधिकारियों को नोटिस दिया गया उन विभागों की वर्तमान स्थिति की समीक्षा करें और यदि उनकी परफार्मेंस में सुधार नहीं हुआ है तो उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई प्रस्तुत की जाए।” इसी से दक्षता का प्रमाण मिलता है कि जिला प्रशासन कैसे काम कर रहा है।

जिला कलक्टर का कहना है कि प्रकरण का निस्तारण महज खानापूर्ति नहीं होना चाहिए। विभाग अपने फ्रंटलाइन वर्कर से परिवादी को फोन करवा कर संतुष्टि की स्थिति की जानकारी लें और इसके बाद ही प्रकरण का निस्तारण किया जाए। ग्राम पंचायत और ब्लाक स्तर की जनसुनवाई के दौरान में संपर्क पोर्टल के असंतुष्ट परिवादी को नहीं बुलाया गया है, इस पर सभी उपखंड़ अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए। इसमें जिला कलक्टर की खूबसूरती यही है कि वे मानते है कि प्रकरणों के निस्तारण में लापरवाही हो रही है। जिम्मेदार के खिलाफ वे कार्रवाई की अनुशंसा करते हैं। बाकी तो बीकानेर में विभागों चाहे उपनिवेशन विभाग हो या आईजीएनपी, सीएडी, राजस्व, पीएचईडी, जिला प्रशासन भगवान ही मालिक है।

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