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बीकानेर, स्थानीय श्री धनी नाथ गिरी पंच मंदिर में मठ की ओर से आयोजित दैनिक सत्संग कार्यक्रम में भारत नेपाल सीमा सोनौली से पधारे शाश्वत सनातन अभ्यागत साधु समिति के अध्यक्ष श्रीमद् स्वामीअखिलेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने भगवान राम की वन गमन प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि यह हमारा जीवन ही अयोध्या है जब हमारे जीवन में काम, क्रोध, और लोग का प्रवेश होता है तो हमारा जीवन बहुत ही नारकीय स्थिति को प्राप्त हो जाता है उसमें से ज्ञान अर्थात धर्म रूपी राम, बैराग्य रूपी लक्ष्मण और भक्ति रूपी सीता तुरन्त हट जाते हैं , योग्य ध्यान देने योग्य बात यह है कि दशरथ जी में काम था तो राम वहां से चले गए केकई में क्रोध था तो बैराग्य रूपी लक्ष्मण प्रस्थान कर गए और मंथरा में लोभ आया तो भक्ति रूपी सीता वहां से चली गई मनुष्य के जीवन में काम क्रोध लोभ आते हैं तो ज्ञान ,वैराग्य और भक्ति मनुष्य का साथ छोड़ देते हैं, इनसे सदा बचना चाहिए , कथा में मुख्य रूप से लक्ष्मी नारायण श्रीमाली जी, वाचस्पति जोशी, प्रकाश जी वेद पाठी, भवानी सिंह ,मोडाराम जी सोलंकी ,मोहन सोनी ,चांदमल, संजय जोशी ,रामचंद्र जी, शकुंतला, मीरा ,राणा देवी, उर्मिला देवी आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे ।

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