









बीकानेर,स्वास्थ्य एवं साहित्य संगम राष्ट्रीय कवि चौपाल की 539 वीं कड़ी दीपावली स्नेह मिलन को समर्पित रही आज के कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रभा कोचर ने की। मुख्य अतिथि के के व्यास एवं विशिष्ट अतिथि में माजिद खान गौरी मंच पर सुशोभित हुए। कार्यक्रम शुभारम्भ करते हुए रामेश्वर साधक ने बताया कि साहित्यकार को स्व सिद्धि की बुनियाद नहीं भूलना चाहिए, जहां हमने साहित्य सिद्धि पाई है, स्नेह मिलन ही आनन्द दायक माध्यम है जिसमें हम संस्था व साहित्य मित्रो के प्रति उद्गार व्यक्त कर पाते हैं…! विद्या सागर पंचारिया ने “रवि रुद्र पितामह विष्णु नुतं हरि चन्दन कुमकुम पंकयुतं” ईश वंदना की
कार्यक्रम अध्यक्ष प्रभा कोचर ने मैं स्त्री हूं स्वयं में स्त्री ढूंढ रही हूं मैं नारी हूं.. मुख्य अतिथि के के व्यास ने हकीकत लिखता हूं तो कलम से रक्त निकलता है विशिष्ट अतिथि माजिद खान गौरी ने वो संवर के जब भी हमसे मिलती है जिस्म से जान निकलती है रचना सुनाकर सदन का मन मोह लिया
रामेश्वर साधक ने सिद्धियां… डिग्रियां… विधि… विधाएं..। माना सिद्धहस्त भी है विभिन्न कलाएं।।
पर बिना ‘‘अर्थ-समृद्धि’’ के सिद्धि किस काम की। सिद्धहस्त की सफल कृतियां.. बन जाती है बिन दाम की
नगर के वरिष्ठ ग़ज़लकार क़ासिम बीकानेरी ने ‘सच्चे इंसान की पहचान यही है ‘क़ासिम’,
मुल्क का अपने वो ग़द्दार नहीं हो सकता’ के ज़रिए देशभक्ति की भावना का संचार किया।
कृष्णा वर्मा : नई रोशनी नया उजाला आया, देखो आज पांच दिनों का पर्व खूब मनाया ,, मुहब्बत व नफरत एक ही दिल में रहती है। विद्या सागर पंचारिया : रस का मधुवात बह कर रह गया, स्नेह निर्झर बह गया। पम्मी कोचर ; इतना घमंड क्यों जो अपने पंखों के बल पर आसमां में उड़ान भर आए। विशाल भारद्वाज : “देश की मंच सेना पर सवाल उठाने वालों को हमने सबक सिखाना है, फिर भी न समझे तो उनको भी बार्डर पार कराना है ”
हनी कोचर : जब तूम अंतिम ऊंचाई को जीत लोगे तुम्हें लगेगा कि कोई अन्तर नहीं बचा है उन पत्थरों में और तुममें जिन्हें तुमने जीता है कुंवर नारायण की शानदार रचना सुनाई तुलसीराम मोदी : मौत खड़ी ललचावै जीवन ज्यान लडा़ई रे, शमीम अहमद शमीम : जल्दी सोना जल्दी जगना यह जीवन का लक्ष्य हमारा.. पवन चड्ढ़ा : खिजा में फूल से आती कभी बहार नहीं मेरे नसीब में है दोष तेरा प्यार नहीं शानदार गीत सुनाकर सदन का मन मोह लिया मन मोह लिया
आज के कार्यक्रम में 15 कविवर ने रचना पाठ किया तथा शिव प्रकाश शर्मा, हनुमान कच्छावा, सुनील चावड़ा, धनराज सोलंकी, नत्थू, निसार अहमद, अब्दुल कादिर आदि कई गणमान्य साहित्यानुरागी उपस्थित रहे कार्यक्रम का बखूबी संचालन तेजस्वी गांभीर्य दार्शनिक द्रष्टांत के साथ कृष्णा वर्मा ने किया व आभार साधक ने व्यक्त किया
