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बीकानेर,राजस्थान की राजनीति और बीकानेर के विकास में राजस्थान सरकार के कैबिनेट मंत्री डा. बी. डी .कल्ला की भूमिका रही है। इसमें समर्थक और विरोधियों के बीच मत भिन्नता हो सकती है, परंतु कल्ला की अब तक की राजनीतिक भूमिका इसे साबित करती है। फिर भी अपनी ही पार्टी की सरकार में कैबिनेट मंत्री की घर में ही खिलाफत का मोर्चा उनकी ही पार्टी के लोगों ने संभाल रखा है। यह कल्ला के लिए चिंतनीय विषय है। बीकानेर में जितना भाजपा नेताओं ने पूरे पांच सालों में कल्ला को नहीं घेरा उससे ज्यादा ये काम उनकी पार्टी के नेता कर रहे हैं। राज कुमार किराडू, बाबू भाई मुस्तफा, अब्दुल मजीद खोखर समेत कई लोग बीकानेर पश्चिम कांग्रेस से कई बार विधानसभा चुनाव की टिकट की दावेदारी कर चुके हैं। राजकुमार किराडू तो इस बार भी प्रबल दावेदार है। उनको दावेदारी का अधिकार है। लोकतंत्र में एक सीट पर एक ही पार्टी के कई दावेदार होते ही हैं। ये दावेदारी पार्टी के भीतर प्रतिद्वंद्धि को नीचा दिखाने की हद तक जाना गलत है। ये काम दोनों तरफ से हो रहा है। जब संभागीय आयुक्त नीरज के पवन का स्थानांतरण हुआ तो कुछ कांग्रेस के नेताओं ने दबी जुबान से कल्ला की निंदा की। आरोप था कि कल्ला ने उनका स्थानांतरण करवा दिया। लोकेश शर्मा को बीकानेर में कल्ला के खिलाफ हवा देने में भी जिनका हाथ है वे भी पार्टी में कल्ला विरोधी है। फिर जन सम्पर्क विभाग के अधिकारी के स्थानांतरण में भी कल्ला के खिलाफ उनके ही समाज के कुछेक लोगों ने ऐसे ही आरोप लगाए। मतदाता सूचियों में जाली पंजीकरण को लेकर कांग्रेस के नेताओं का एक समूह प्रेस कान्फ्रेस में संकेतों में कल्ला की खिलाफत करता नजर आया। इस मामले में कल्ला के बयान से पार्टी में उनके विरोधियों की व्यूह रचना में आग में घी डाल दिया। इस मामले में शिक्षा मंत्री के बयान पर किराडू ने आपत्ति जताई है। उन्होंने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे, सोनिया और राहुल गांधी समेत अन्य नेताओं को पत्र भेजकर
कल्ला के खिलाफ अनुशासनहीनता की कार्यवाही करने की मांग की। पत्र में लिखा है कि शिक्षा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला राजस्थान के बीकानेर पश्चिम विधानसभा(13) क्षेत्र में 13 हजार से अधिक मतदाताओं का नाम प्रथम दृष्टया फर्जी पाने पर उन्होंने कांग्रेस के अन्य नेताओं के साथ बीकानेर के जिला निर्वाचन अधिकारी को मुख्य निर्वाचन आयुक्त के नाम पत्र देकर जांच करने की मांग की गई। उपरोक्त अनियमितता का प्रथम दृष्टया अवलोकन करने पर यह सामने आया कि बीकानेर पश्चिम में 30 से 65 वर्ष आयु वर्ग के मतदाताओं को पहली बार जोड़ा गया है, जो कि संदेहास्पद लगा। हमें इसमें बीजेपी या अन्य विपक्षी दलों की भूमिका होने का शक था।
इस पर कार्यवाही करते हुए जिला निर्वाचन अधिकारी ने बीकानेर पश्चिम के निर्वाचक पंजीयन अधिकारी की अगुवाई में एक कमेटी का गठन करते हुए 26 सितंबर तक रिपोर्ट मांगी है। बीकानेर पश्चिम विधानसभा की मतदाता सूचियों में अनियमितता की आपत्ति जताने वाले कांग्रेसी नेताओं के कांग्रेसी होने के संबंध में दिए गए बयान पर विप्र कल्याण बोर्ड के सदस्य राजकुमार किराडू ने गहरी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा है कि शिक्षा मंत्री के इस बयान से
सत्य की लड़ाई प्रभावित हुई है और दशकों से पार्टी की सेवा करने वाले कार्यकर्ताओं का हौसला पस्त हुआ है। यह खेल टिकट पाने और अपने प्रतिद्वंदी को मात देने का है। बेशक किराडू सक्रिय राजनीति में है, परंतु अपनी ही पार्टी के भीतर इस तरह की राजनीति उनके लिए कितनी फायदेमंद होगी समय ही बताएगा। । ये विशुद्ध रूप से राजनीति दावपेंज ही है।

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