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बीकानेर,टूटी सड़कों पर केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल,ने एक बैठक में कहा कि वह एक शादी समारोह में गये तो खुद दुल्हे ने घोड़ी से उतरकर मुझे दिखाई बदहाल सड़कों की हालत और बोला मुझे शादी के लिए फिर से होना पड़ेगा तैयार, बैठक में मौजूद प्रभारी मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर भी रह गए अवाक्, बता दें कि जिला प्रभारी सचिव, संभागीय आयुक्त, जिला कलेक्टर सहित अधिकारियों ने दीपावली से पहले शहर की सभी सड़कें दुरुस्त करने के दिए थे सख्त निर्देश लेकिन बावजूद इसके अभी भी बुरे हाल में है सड़कें, नो महीने से पवनपुरी, जय नारायण व्यास कालोनी, करनी नगर रोड उखड़ी पड़ी है कल तो एक गर्भवती महिला को प्रसव कराने के लिए अस्पताल ले जाने पर टूटी सड़को के कारण हिचकोले खाते बीच सड़क में ही बच्चे को ही उसने जन्म दिया। हालांकि कई जगह नगर निगम व पीडब्ल्यूडी ने काम शुरू कर सड़के बनाई है लेकिन कछुआ चाल के चलते बहुत काम है शेष. ! यह तो थी मंत्री जी की व्यथा और प्रसव की कथा जो नगर का हर व्यक्ति भुगत रहा है मंत्री तो कभी कभी बीकानेर आते है। लेकिन प्रभारी मंत्री को तो यह सब नज़र क्यो नहीं आता । न उन्हें पीबीएम अस्पताल की अव्यवस्था नज़र आती है न टूटी सड़के। न ही बीच बाज़ार में चलते ओवरलोडेड भारी वाहन। फुटपाथ नाम की कोई चीज बीकानेर में है ही नहीं । चारों और कारे ही कारे- थ्री व्हीलर्स, ट्रेक्टर, टेम्पो, — कोई ट्रफ़िक की लाल- हरी बत्ती नहीं- कोई स्पीड ब्रेकर नहीं— आम आदमी का पैदल चलना दुर्घटना को निमंत्रण देना है। आप किसी से सवाल कर के पूछ ले , उसका जवाब यही होगा कि बीकानेर में प्रशासन नाम की कोई चीज नहीं है। जंगल राज नज़र आता है। जहाँ कोई क़ानून नहीं। , रोज़ाना कहीं न कहीं कोई क्राइम होता हो, रोज़ाना दुर्घटना होती हो, आत्महत्या होती है ऐसा शहर बन गया है बीकानेर। बुजुर्ग लोग यही कहते है कि बीकानेर को किसी की नज़र लग गई। पहले वाला बीकानेर अब वैसा नहीं रहा। यहाँ के लोग ज़िन्दादिल्ली और मौज मस्ती की मिसाले दिया करते थे। शायर लोग भी यही कहते थे कि दो दिन तो मेरे शहर में आकर रहो- सारा जहर उत्तर जाएगा। सारे तनाव और दुख भूल जाओगे। अब लोग कहने लगे है कि भूलकर भी बीकानेर न जाना— वापिस सही सलामत लौट कर नहीं आओगे। हड्डी पसली तुड़वाकर ही आओगे। टूटी गड्डे वाली सड़के और सड़को पर खुले विचरण करते गाय- गोधे- पागल कुत्ते वहाँ आपका स्वागत करेगे। चहुँओर गंदगी का आलम मिलेगा। सूरसागर की सुंगधित महक आपको मिलेगी, अस्तव्यस्त थ्री व्हीलर्स आपका रास्ता काटेगे। और यहाँ की पब्लिक, उसका तो कहना ही क्या— बड़ी संतोष वाली धीरज वाली है कोई करे उसका भला, न करे उसका भला वाली पद्दति पर चलती है । अपने शहर से उसे प्यार तो बहुत है लेकिन उसके विकास की उन्हें चिंता नहीं। लेकिन अब अपना तो यहाँ जी लगता नहीं। बस यही आवाज़ दिल से निकलती है- चल मेरे दिल कहीं और चल- इस शहर से दिल भर गया।

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