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बीकानेर,क्या वाकय नीरज के पवन का तबादला बीकानेर के नेताओं और जनता के बीच एक लकीर खींच गया है। क्या आईएएस लॉबी को मंत्रियों का यह रवैया खटक रहा है। मंत्रियों को इस अदावत का खामियजा जनता से या आईएएस लॉबी से भुगतना पड़ेगा ? ये सवाल बीकानेर में नीरज के. पवन के विभिन्न संगठनों की ओर से भव्य विदाई समारोह के बाद उठ रहे हैं। नीरज के पवन का रवैया आक्रामक है। गुरु गोविंद सिंह के एक छंद को उद्धत करते हुए उन्होने विदाई समारोह में कहा था कि न डरेंगे न हटेगें मुकाबला करेंगे…।

उनके विदाई समारोह में बार बार इस बात की ताकीद की गई कि उनका स्थानांतरण करवाना नेताओं को भारी पड़ेगा। विदाई समारोह में वक्ता और एंकर स्थानांतरण करवाने वाले नेताओं को कोसते रहे। नीरज के पवन के कार्यों की भूरि भूरि प्रशंसा की गई। नीरज के पवन ने अपने मार्मिक विदाई भाषण में बीकानेर के विकास के कामों में संकेतों से नेताओं की ओर से बाधाएं पैदा करने के इशारे किए। मंच से वक्ताओं ने कहा गया कि ऐसे नेताओं को बीकानेर की जनता सबक सिखाएगी। नीरज के पवन की विदाई में संवेदनाओं का स्तर बेटी के विदाई जैसा भावुकता भरा रहा। जनता के बीच भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी नीरज के. पवन इतने क्या है कि लोग उनको बीकानेर ही रखने के लिए हवन करते हैं , जिला कलेक्ट्रेट में धरना देते है। सी एम ओ को उनके जनता से रिश्तों, जनहित के कार्यों से अवगत करवाते हैं। उनको बीकानेर ही रखना चाहते हैं। अधिकारी तो आते जाते रहते हैं। स्थानांतरण प्रशासनिक प्रक्रिया है, परंतु नीरज के. पवन का स्थानांतरण जनता को खटकता क्यों है? इसका कारण नेताओं की राजनीतिक ऐषणाए हैं। वैसा हर नेता चाहता है पुलिस और प्रशासन उनकी मुट्ठी में रहे ताकि जनता में नेताओं की पूछ बनी रहे। ऐसा बीकानेर में तो है भी। वे राजनीतिक फायदे को ध्यान में रखकर काम करते हैं जनहित से कोई लेना देना नहीं रहता। तभी तो जब अफसर नेता की मुट्ठी में नहीं आता तो नेता को नहीं सुहाता। ऐसे ही डा. नीरज के पवन के साथ होना जनता मानती है। नीरज के पवन बीकानेर के ऐसे नेताओं से जनता के बीच बड़ी हाईट लेकर गए हैं। नीरज के. पवन ने के ई एम रोड पर एकतरफा यातायात किया। जनता को राहत मिली और जनता ने सराहना की। यहां जो भी राजनीतिक हस्तक्षेप हुआ उसको नहीं माना गया। इंदिरा कॉलोनी जाने वाला रास्ता, रानी बाजार चोपड़ा कटला के पीछे की सड़क, मोहता सराय का चौराहा समेत करीब एक दर्जन सड़कों को चौड़ा करना तथा चौराहा विकास और बस स्टाप का काम बोलता है। पूरे संभाग में सार्वजनिक बाधा वाले रास्तों से अतिक्रमण हटाए। गंगाशहर सेटेलाइट हॉस्पिटल को संसाधनों से युक्त करने से लेकर 24 घंटे की सेवाएं शुरू करवाने में योगदान। ऐसे जनहित से जुड़े अनेकों काम हैं जिससे जनता उनकी आभारी है। ऐसा अधिकारी जो और कुछ नहीं तो मुस्कान तो देता ही रहा है। जिनका सोच ही “हम सुखिन” की है। बस यही कारण है जनता डा. नीरज के पवन के लिए उद्धेलित है। उन्होंने जनता की पीड़ा को समझा है और जनता का दिल जीता है। यह सच है कि बीकानेर में नीरज के पवन ने जो भी किया है जनहित की सोच के साथ किया है और मील का पत्थर साबित होना है। अतिक्रमण करने वाले और राजनेताओं को उनकी सक्रियता से तकलीफ हुई। आम लोगों को सुना उनको राहत देने की कोशिश की। अब वे भले ही बीकानेर से चले गए हों। जनता के मनों पर उनके कामों और व्यवहार की गहरी छाप है। उनके स्थानांतरण की राजनीति करने वाले नेताओं के प्रति गहरा आक्रोश। अब सवाल यह है कि क्या चुनाव में जनता का यह आक्रोश और आईएएस लॉबी की इन नेताओं के प्रति नाराजगी झलकेगी ?

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