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बीकानेर,इन दिनों भारत जोड़ो यात्रा की एक फोटो काफी चर्चा में आई, इसमें राहुल गांधी सचिन पायलट के कंधे पर हाथ रखकर उनसे चर्चा करते नजर आ रहे हैं.

इस फोटो के कई मायने निकाले जा रहे हैं.

भारत जोड़ो यात्रा वीरभूमि, महाराणा प्रताप की धरा पर प्रवेश करते ही नए स्वरूप में आने लगी है, आए भी क्यों न आखिर पूर्ण रूप से बड़े राज्य में सरकार भी तो कांग्रेस की है. इसके साथ ही यहां की राजनैतिक फिजा भी तो बदली-बदली है. भारत जोड़ो यात्रा आगामी चुनाव का मार्ग भी तो तय करेगी. आखिर वहीं पगडंडी पर सरकार चलेगी या सरकार चलाने को नए पायलट की तलाश की जाएगी, ये तो भविष्य के गर्त में छुपा है और आने वाले समीकरण भी सरकार की दिशा और दशा तय करेंगे. राहुल गांधी की यात्रा में गहलोत और पायलट के लगातार साथ रहने, पैदल चलने और पूरे कार्यक्रम को हाईजैक कर अपने कद को बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है.

सचिन के कंधे पर राहुल का हाथ
कांग्रेस का चुनाव चिन्ह हाथ (पंजा) यदि सचिन के कंधों पर राहुल के हाथ से जोड़ा जाए तो इसके भी कई मायने निकाले जा सकते हैं. इन दिनों एक फोटो काफी चर्चा में आई जब राहुल गांधी सचिन पायलट के कंधे पर हाथ रखकर उनसे चर्चा करते नजर आ रहे हैं. ये सामान्य चर्चा है या राहुल के साथ चलते-चलते अपनी आगामी पारी में टीम का कप्तान बनने के प्रति राहुल को विश्वास में लेना है. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पग-पग पर नए संदेश दे रही है, लेकिन दूसरी ओर अशोक गहलोत को जादूगर कहा जाता है. इनका जादू सभी ने

देखा है और दो बार सरकार को सुरसा के मुंह से बाहर निकाल लाए हैं. सभी विरोधियों को परास्त कराना और वापस सत्ता पर काबिज होना यूं ही बच्चों का खेल नहीं है.

कोटा में लंच और प्रेसवार्ता नहीं होगी

ऐसे में भारत जोड़ो यात्रा की पूरी कमान अशोक गहलोत संभाल रहे हैं, दिग्गज नेताओं को साधने के साथ ही राहुल गांधी को भी अपनी ताकत और प्रदेश का विकास और जनता का विश्वास भी वह दिखाना भली भांति जानते हैं. ऐसी कोई बड़ी वजद सामने नहीं आ रही कि आखिर राहुल गांधी का कोटा में कार्यक्रम रद्द क्यों कर दिया गया. जबकि कार्यक्रम की तैयारियां पूरी कर ली गई थी. शहर सज गया था, ठहरने, लंच और प्रेसवार्ता की तैयारी हो चुकी थी, लेकिन ऐन वक्त पर इस कार्यक्रम को बदलने के पीछे की वजह राजनीति है या डर, गुजरात चुनाव के परिणाम पर पूछे जाने वाले सवाल हैं, या राहुल गांधी को आपसी फूट का ठीकरा किसके माथे फूटे इस परेशानी से बचाना है. बीजेपी का विरोध है या पायलट के कद को कम करना है, आखिर वजह कुछ भी रही हो, लेकिन राहुल गांधी का कोटा में किसी भी बड़े कार्यक्रम, नुक्कड़ सभा का नहीं होना चर्चाओं में शीर्ष पर है.

इस बार होगी किसकी सरकार
राजस्थान में राजनीति हमेशा आक्रामक रहती है, क्योंकि नेता भी कद्दावर हैं. बीजेपी हो या कांग्रेस यहां जीत इतनी आसान नहीं होती है, लेकिन राजस्थान का ट्रेंड है कि एक बार बीजेपी एक बार कांग्रेस, इस बार बीजेपी की बारी है, लेकिन बीजेपी में भी स्थिति किसी से छुपी नहीं है और कांग्रेस का घामासान जग जाहिर है. ऐसे में भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान में महौल चेंज कर पाती है, या नहीं कर पाती इस आशंकाओं का कोहरा धीरे-धीरे ही छटेगा.

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