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बीकानेर,जन सम्पर्क विभाग जनता और सरकार के बीच का दर्पण होता है। सरकार के नीति निर्देशों और जन कल्याण की योजनाओं को जनता तक पहुंचाना जन सम्पर्क विभाग के जिम्मे है। जन सम्पर्क विभाग यह अपनी जिम्मेदारी कितनी बखूबी से निभाते हैं इसका बखान खुद मुख्यमंत्री बीकानेर में कर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि हमने 10 लाख तक का स्वास्थ्य बीमा करवाया है। स्वास्थ्य और जन कल्याण की योजनाओं का कई लोगों को पता ही नहीं है। मुख्यमंत्री का सार्वजनिक मंच से यह कहना जन सम्पर्क विभाग की कार्य प्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा करती है। यह बात इतर है कि व्यवस्था में जिम्मेदार अधिकारी आंखें मूंद बैठे रहते हैं। हालांकि सरकार ने तो जन कल्याण की योजनाएं, तीन वर्ष की उपलब्धियां और जन घोषणा पत्र के माध्यम से जनता को उनके लाभ की बातें पहुंचाने की व्यवस्था की है, परंतु जनता तक पहुंचाने के लिए जो जन सम्पर्क विभाग जिम्मेदार है उनको इस बात से कोई सरोकार नहीं है कि जनता जन कल्याण की बातें जाने और सरकार की वाहवाही हो। जन सम्पर्क विभाग ने सरकार के तीन साल की उपलब्धियों, जन घोषणा पत्र और अन्य प्रकाशित सामग्री को बीकानेर डाक बंगले के एक हाल में डंप कर दिया है। और तो और सरकार की ओर से जनता के लिए भेजी प्रचार सामग्री थैलों में पैक पड़ी है। जिला कलक्टर इसकी जांच करें तो पता चलेगा कि सरकार की ओर से जन हित में जारी प्रचार सामग्री जनता के बीच नहीं पहुंचने से सरकार की मंशा और जनता के हितों को कितना नुकसान हो रहा है। डाक बंगले के हाल में जांच कमेटी धूल चाट रही इस सामग्री पर जनता कितना पैसा खर्च हुआ है आकलन तो करें। इसके दोषी कौन है ? क्या जन सम्पर्क विभाग का इतना ही काम है मीटिंगों की खबर दे दें और मंत्रियों को कवर कर ले। अफसर भी खुश और मंत्री भी राजी। बाकी जिम्मेदारी जाए भाड़ में कोन पूछने वाला और कौन कहने वाला। जनता और सरकार उनकी गैर जिम्मेदारी का परिणाम भुगतती रहे। क्या जन हित में सरकार की ओर से भेजी प्रचार सामग्री का हश्र कोई जिम्मेदार अधिकारी देखगा।

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