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बीकानेर,जीवन क्या है, चलता-फिरता एक खिलौना है, दो आंखों में एक से हंसना, एक से रोना है. निदा फाजली की इस गज़ल की सुरमयी प्रस्तुति से प्रख्यात संगीत साधक राजनारायण पुरोहित ने आगंतुक सुधि श्रोताओं का मन मोह लिया।

अवसर था – कला-सृजनमाला के तहत कीर्तिशेष डॉ.श्रीलाल मोहता की तृतीय पुण्यतिथि 16 मई, 2024 के अवसर पर परम्परा और बीकानेर प्रौढ़ शिक्षण समिति के सह आयोजन में स्थानीय प्रौढ़ शिक्षा भवन सभागार में आयोजित तहत गीत-गज़ल संध्या का। इस संगीत संध्या में तबले पर गणेश व्यास ने और ऑर्गन पर उपेन्द्र नारायण व्यास ने प्रभावी संगत की। संस्था परिवार की ओर से आगंतुक अतिथियों का शॉल ओढ़ाकर एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर स्वागत किया गया।
उल्लेखनीय है कि कीर्तिशेष डॉ.श्रीलाल मोहता की पावनस्मृति में कला-सृजनमाला के तहत डॉ.श्रीलाल मोहता के बहुविध व्यक्तित्व से प्रेरणा लेने के लिए विभिन्न आयोजन किए जा रहे हैं।
मुख्यगायक राजनारायण पुरोहित ने विभिन्न शास्त्रीय रागों पर आधारित गरज बरस, प्यासी धरती पर, फिर पानी दे मौल्ला.., चांद से फूल से या मेरी जुबां से सुनिए, हर तरफ आपना किस्सा है, सारे जहां से सुनिए…, शहर बीकाणो म्हारो देस जैसे गीतों एवं गजलों की भावभींनी प्रस्तुति देकर गीत-गज़ल संध्या में सुरसरिता का प्रवाह किया। इसके साथ ही श्रीपुरोहित ने असमिया में भाषा से पं.नरेद्रशर्मा द्वारा हिन्दी में अनुवादित गंगागीत विस्तार है अपार, करे हाहाकार, ओ गंगा तुम बहती हो क्यूं….की मनमोहक प्रस्तुति देकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।
अध्यक्षीय उद्बोधन में वरिष्ठ संगीतज्ञ कत्थकगुरु पुण्डरीक जोशी ने कहा कि प्रेरणा लेने वाला व्यक्ति कहीं से भी और किसी से भी प्रेरणा ले सकता है, बस मन में सीखने की जिज्ञासा होनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने परम्परा परिवार और प्रौढ़ शिक्षण समिति के तहत आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों की स्मृतियों को भी साझा किया।
संयोजन करते हुए संस्था परिवार के ओमप्रकाश सुथार ने कला सृजनमाला के प्रयोजन एवं अब तक हुए आयोजनों से आगंतुकों को अवगत कराया।
अंत में समिति परिवार के मुकेश व्यास ने कलासृजनमाला के आयोजन की गरिमा बढ़ाने के लिए आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर शहर के प्रबुद्धजन एवं संस्था परिवार के पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं की सक्रिय सहभागिता रही।

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