बीकानेर,भारत में शराब प्रेमियों के बीच रम की एक अलग जगह है.पीने वाले जाड़े के मौसम में रम को ज्यादा तरजीह देते हैं. ये रम मुख्यत: दो तरह की होती है, एक वाइट रम और दूसरा डार्क रम.वाइट रम का जहां कॉकटेल्स ड्रिंक तैयार करने के लिए ज्यादा इस्तेमाल होता है, वहीं परंपरागत रम प्रेमियों के बीच डार्क वाला विकल्प ज्यादा मशहूर है.डार्क रम की बहुत सी बोतलों पर आपने XXX लिखा देखा ही होगा.आखिर इसका मतलब क्या है, यह सवाल बहुत सारे लोगों के मन में जरूर उठता होगा. आइए जानने की कोशिश करते हैं कि इस XXX का मतलब क्या है?
एक से बढ़कर एक दावे
इंटरनेट पर इस बारे में एक से बढ़कर एक दावे किए गए हैं, जिनपर विश्वास कर पाना थोड़ा मुश्किल लगता है. एक दावा तो यही है कि RUM को पुराने वक्त में Regular Used Medicine के तौर पर इस्तेमाल करने की मान्यता थी. उस वक्त डॉक्टर बहुत सारे मरीजों को दवा के तौर पर रम पीने का सुझाव देते थे. इसके लिए वे अपनी पर्ची पर रम के साथ XXX लिखते थे, जिसका रोमन में मतलब होता था 30.इसके बाद,मरीज बोतल की कैप से रम की एक निश्चित मात्रा 30 दिन तक दवा के तौर पर लेता था. दावा है कि डॉक्टरों की यही मार्किंग बाद में बोतलों पर इस्तेमाल होने लगी. एक दावा और भी है. इसके मुताबिक, 17वीं शताब्दी में ब्रिटिश लोग बीयर की तीव्रता मापने के लिए X का इस्तेमाल करते थे. सबसे ज्यादा नशीली बीयर यानी XXX. दावा है कि बाद में अंग्रेजों ने यही वर्गीकरण रम पर भी अप्लाई कर दिया, जो आज भी जारी है.
तो XXX लिखने की क्या है वजह?
कॉकटेल्स इंडिया यूट्यूब चैनल के संस्थापक और वाइन एक्सपर्ट संजय घोष ने भी रम की बोतलों पर XXX लिखे जाने की वजह ढूंढने की कोशिश की है. उन्होंने इतिहास की कुछ घटनाओं से XXX लिखने के प्रचलन का लिंक जोड़ने की कोशिश की है. उनके मुताबिक, बोतल पर लिखा X उस रम की तीव्रता जाहिर करने का एक प्रतीकात्मक तरीका भर है. XXX यानी काफी तेज या स्ट्रॉन्ग एल्कॉहल. हालांकि, आजकल शराब की तीव्रता % v/v के मात्रक में मापी जाती है, इसलिए इस प्रतीकात्मक XXX के कोई खास मायने नहीं हैं. हालांकि, एक वक्त था, जब रम पर बने ये X ही उसकी तीव्रता जानने का तरीका था. घोष के मुताबिक, 18वीं शताब्दी में बहुत सारी डिस्टलरियां काफी मात्रा में एल्कॉहल बना रही थीं. उन दिनों एल्कॉहल की तीव्रता मापने के लिए उतने तकनीकी संसाधन उपलब्ध नहीं थे. अधिकतर डिस्टलरी यही दावा करते थे कि उनका एल्कॉहल सबसे स्ट्रॉन्ग है. ऐसे में एल्कॉहल की तीव्रता मापने के लिए एक तरीका अपनाया गया, जिससे इस X का कनेक्शन है.
आज XXX लिखने का कोई औचित्य नहीं!
घोष के मुताबिक, उन दिनों ब्रिटिश फौज बहुतायत में रम का इस्तेमाल करती थी. ऐसे में इस रम की प्रामाणिकता और तीव्रता जांचने के लिए एक ‘गन पाउडर टेस्ट’ किया जाता था. इसी तीव्रता के आधार पर ही इन शराब निर्माताओं से टैक्स भी वसूला जाता था. इस जांच के लिए रम को बारूद के मिश्रण के साथ डालकर जलाने की कोशिश करते थे. यदि आग लग जाती थी तो माना जाता था कि इसमें एल्कॉहल 57 प्रतिशत या उससे ज्यादा है. अगर आग नहीं लगती थी तो उसे कम तीव्रता का रम माना जाता था. इसी आधार पर X, XX या XXX का दर्जा दिया जाता था. इसी मार्किंग के आधार पर सरकारें भी शराब कंपनियों से टैक्स वसूलने लगीं. घोष के मुताबिक, उन दिनों रम बॉटल में नहीं, बल्कि पीपों में बेचे जाते थे. इन पीपों पर तीव्रता दर्शाने के लिए X, XX या XXX का इस्तेमाल करते थे. XXX यानी सबसे ज्यादा तीव्रता वाली रम. बाद में बहुत सारी रम कंपनियां पीपों के अलावा, बोतल पर भी इसकी मार्किंग करने लगी. घोष के मुताबिक, आजकल बोतलों पर इस X मार्किंग का कोई औचित्य नहीं क्योंकि अब हमारे पास मापन की समुचित ईकाई है.
(Disclaimer: यह जानकारी फूड एंड वाइन एक्सपर्ट्स के हवाले से दी गई है. इसका मकसद किसी भी तरीके से शराब पीने को बढ़ावा देना नहीं है.)