बीकानेर,भाजपा राष्ट्रीय पार्टी है और इससे जुड़े हर मंत्री, नेता और पदाधिकारी के आठ सालों के कार्य का आकलन ही मोदी सरकार के कार्यों का मूल्यांकन है। केवल मोदी सरकार के आठ सालों के कार्यों का लेखा जोखे की आड़ में बाकी नेता अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। सही आकलन यह है कि केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने आठ साल में क्या किया ? या फिर वो अपनी राजनीति चमकाने के लिए मोदी के नाम की ही कमाई खाते रहे हैं। अगर मोदी सरकार की उपलब्धियों की साख पर बाकी नेता राजनीति कर रहे हैं तो इन आठ सालों में मोदी सरकार की जनता में उपलब्धियां गिनाने के बाद बाकी नेताओं के काम की कलाई तो खुलनी ही है। जैसे जैसे सरकार उपलब्धियों के गीत गाए जाएंगे तो लोग स्थानीय भाजपा नेताओं, क्षेत्र के प्रतिनिधि के रूप में बने मंत्रियों के कामों का भी आकलन करेंगे। विपक्ष वास्तविक स्थिति जनता के सामने रखेगी। फिर मोदी के नाम से राजनीति करने वालों की तस्वीर तो सामने आनी ही है। यही हाल भाजपा विधायकों के होने हैं। विधायकों के जनता के बीच किए वास्तविक काम ही उनकी राजनीतिक साख बनाएगी। न कि मोदी के आठ साल के काम। शहर भाजपा ने मोदी सरकार के आठ सालों की उपलब्धियों का लेखा जोखा जनता के सामने रखा। बेशक मोदी सरकार ने इन आठ सालों में राष्ट्रीय विकास और हित में सराहनीय कार्य किए हैं। सेवा, सुशासन और गरीबी कल्याण के क्षेत्र में भाजपा नेताओं के पास कहने को बहुत कुछ है। तीन तलाक, धारा 370, जीएसटी, नोटबंदी जैसे नीतिगत निर्णयों के अलावा प्रधानमंत्री के नाम से संचालित योजनाएं ही जनहित में साबित हो रही है। इसके अलावा कोरोना का प्रबंधन, नए अंतर्राष्ट्रीय संकट से उबरना ऐसे फैक्ट हैं जिसे विपक्ष को भी सरकार की उपलब्धियां मानना पड़ेगा। इन उपलब्धियों के समग्र रूप से हकदार क्षेत्र मंत्री या नेता हो यह जरूरी नहीं है। बीकानेर के केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम, विधायक सुमित गोदारा, सिद्धि कुमारी, बिहारी लाल विश्नोई, भाजपा शहर अध्यक्ष अखिलेश प्रताप सिंह या देहात अध्यक्ष तारा चंद सारस्वत का इनमें कितना योगदान है। बताने की जरूरत नहीं है। अब सवाल यह है की मंत्री, विधायक और बाकी पदाधिकारियों ने अपनी राजनीतिक सक्रियता से जनता का क्या भला किया। क्षेत्र के विकास में क्या नया आयाम जोड़ा या दिखावे की राजनीति की ? इस बात का भी स्वत इस अभियान से जनता आकलन कर लेगी। भाजपा केंद्रीय योजनाओं के लाभार्थियों को जोड़ने का अभियान चला रही है फिर राज्य की योजनाओं के लाभार्थी तो भाजपा से दूर ही रहेंगे। केंद्रीय योजना का प्रलोभन देकर पार्टी से जोड़ना अच्छी बात नहीं है। भारतीय लोकतंत्र में भले ही कोई किसी पार्टी के प्रति झुकाव रखता हो केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार की योजना का लाभ सभी को मिले। लोकतंत्र में सरकार की योजनाओं और नीतियों को पार्टी के लिए भुनाना राजनीतिक विकृति है। फिर तो राजनीति का कोई स्तर ही नहीं बचेगा।
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