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बीकानेर,वर्ष 2023 को बीकानेर नगर निगम के सौ साल पूरे होने पर महापौर ने बजट में अगले वर्ष को शताब्दी वर्ष मनाने की घोषणा की है। क्या यह सोच समझकर किया गया निर्णय है या वाहवाही की राजनीतिक तृष्णा के वशीभूत में की गई घोषणा। महापौर के अब तक के कार्यकाल का आकलन किया जाए तो निराशा ही होगी। जिसका इजहार वे खुद नगर निगम के बजट घोषणा पत्र में कर चुकी है।महापौर सुशीला कंवर का कहना है कि नगर निगम के पास कार्मिकों के वेतन भत्ते और नागरिक सुविधाओं के व्यय भार के चलते विकास कार्यों के लिए राशि की उपलब्धता कम है। दो वर्षों के विकास कार्य अधूरे पड़े हैं। साथ ही कार्यों की वित्तीय एव प्रशासनिक स्वीकृति महापौर के बिना अनुमति के आदेश जारी कर दिए जाते हैं जो गलत है। महापौर के इस कथन से ही उनकी कार्य कुशलता की तस्वीर सामने आ जाती है। सुशीला कंवर का अब तक का कार्यकाल विवादों से भरा और हंगामेदार रहा है। विकास का कोई बड़ा काम होना तो दूर जनता को नगर निगम से जुड़ी कई दिक्कतों का सामना करना पड रहा है। जनता नगर निगम से दुखी है। महापौर को अपने दायित्व का भान ही नहीं है वे जनता की सेवा नहीं राजनीति कर रही है। जो किसी जन प्रतिनिधि की जनता में अच्छी साख नहीं बनाती। जब वो नगर निगम का शताब्दी वर्ष मनाएगी तो अपनी क्या उपलब्धियां गिनाएगी? जनता जो भुगत रही है उस पर पर्दा कैसे डालेगी। नगर निगम के अभी जो बुरे हालात हैं वैसे कभी नहीं रहे होंगे। इसका बड़ा कारण आर्थिक संसाधनों का अभाव है। राज्य सरकार और केंद्रीय मद से पैसा नहीं मिल पा रहा है। दूसरा कारण महापौर में संवेदनशीलता का नितांत अभाव है। वे राजनीतिक भावना से काम कर रही है जो पीड़ादायक है। वैसे नगर निगम विवादों से घिरा रहा है। यह कोई इसी महापौर के कार्यकाल में ही हो ऐसी बात नहीं है। कमोबेश यह हालात अन्य महापोरों के कार्यकाल में भी रहे है। हालांकि आजादी को 75 वर्ष हुए हैं। इस स्वायत्तशासी संस्था को सौ साल। नगर की यह सरकार अपना कैसा स्वरूप विकसित कर पाई है। इस लोकतांत्रिक प्रणाली में विचारणीय बिंदु है। इसकी सर्वाधिक जिम्मेदारी आज महापौर की है। जिस महापौर के बजट सत्र में कांग्रेस ने बहिष्कार किया है। बहुमत फर्जी हस्ताक्षरों से जारी करने का आरोप लगाया गया है। वे सोचे की वे स्वायत्तशासी व्यवस्था के साथ कितना दायित्व निभा पा रही है। वैसे बीकानेर
नगर निगम का आम बजट,
महापौर सुशीला कँवर ने की घोषणाएँ,
बीकानेर शहर में क्या क्या होंगे विकास कार्य कोई ठोस घोषणाएं नहीं है।
बजट में महापोर के विजन की कमी झलकती है जिसमे
होर्डिंग्स में होगी बढ़ोतरी,
मिनी गेट एंट्री के लिए ईओआई बनेगा,
डिजिटल होर्डिंग की ईओआई,
Ud टैक्स का नया सर्वे और कलेक्शन का कार्य आउटसोर्सिंग से होगा,
मुख्य स्थानों पर स्मार्ट अंडरग्राउंड bins,
शिववैली में आवासीय और व्यवसायिक कॉलोनी की घोषणा,
वल्लभ गार्डन एमआरएफ सेंटर पर मशीनरी पीपीपी मोड पर निगम का खर्च बचेगा,
सावित्री बाई फुले बालिका शिक्षा उत्थान योजना बनाकर 1 करोड़ रुपए से राजकीय बालिका विद्यालयों में होगा विकास।
आरबीएसई और सीबीएसई में शहर में प्रथम द्वितीय और तृतीय स्थान वालों को 51000 21000 11000 प्रोत्साहन राशि,
डॉ अब्दुल कलाम आजाद शिक्षा प्रोत्साहन कार्यक्रम,
सांझी विरासत पैकेज बनाकर शहर के सर्किल और ऐतिहासिक इमारतों का सौंदर्यीकरण 2 करोड़ का प्रावधान,
वर्तमान मुख्य कार्यालय का पुनरुद्धार आदि ऐसे प्रस्तावित कार्य हैं जो शायद कागजी ही रहने वाले हैं। क्या 362 करोड़ इन्हीं कामों में लग जाएंगे। अभी तो नगर निगम क्षेत्र में सफाई की माकूल व्यवस्था नहीं है। निगम की सड़कें जर्जर है। गंदे पानी की निकासी और सीवरेज के पानी के हालत की तो बात करना बेमानी है। क्या विफल नगर निगम व्यवस्था को लेकर 2023 का शताब्दी वर्ष महापौर की राजनीतिक छवि धूमिल करने वाला तो साबित नहीं होगा। सोच लें महापौर ।

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