जयपुर, राजस्थान में नए पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से मौसम में बड़ा बदलाव देखने को मिला। प्रदेश में सोमवार को कई जगहों पर तेज अंधड के साथ बारिश और ओले गिरे। तापमान में भी गिरावट दर्ज की गई है। हवा में हवा में नमी की मात्रा 58 फीसदी तक पहुंच गई। ठंडी हवाएं चलने से पिछले कई दिन से तपन और उमस से जूझ रहे लोगों को राहत मिल गई। मौसम विभाग के अनुसार अगले चौबीस घंटे तक मौसम के तेवर इस प्रकार ही रहेंगे। राजधानी जयपुर में सुबह धूलभरी आंधी चली और बाद में बारिश हुई। इसके अलावा दौसा, करौली, अजमेर, भीलवाड़ा, श्रीगंगानगर,कोटा, बूंदी सहित कई जगहों तेज आंधी, बारिश और ओलावृष्टि हुई।
*यहां पर हुई बारिश और ओलावृष्टि*
नए पश्चिमी विक्षोभ का असर कई जिलों में देखने को मिला। राजधानी जयपुर में सुबह धूलभरी आंधी चली और बाद में बारिश हुई। दौसा के मानपुर में तेज अंधड़ के बाद बारिश का दौर शुरू हुआ। उसके कुछ देर बाद ही चने के आकार के ओले गिरे। श्रीगंगानगर जिले के श्रीबिजयनगर सहित कई जगहों पर शाम को मौसम ने करवट बदली और तेज हवा के साथ बारिश हुई। कई जगहों पर चने के आकार के ओले भी गिरे। सुबह से ही आंधी का दौर जारी था। बूंदी शहर में हल्की बूंदाबांदी से लोग उमस से परेशान रहे। पेच की बावड़ी कस्बे में तेज अंधड़ के बाद करीब 15 मिनट तक तेज बारिश हुई और ओले गिरे। तेज आंधी से तीन मोटरसाइकिल पर एक नीम का पेड़ धराशाही होकर गिर गया। अजमेर के केकड़ी में तेज बरसात के साथ ओलावृष्टि हुई। लगभग आधे घंटे से तेज हवा के बारिश होने से भीषण गर्मी से मिली कुछ राहत।
बूंदी में बिछी ओलो की चादर, हवा से उखड़े पेड़
बूंदी जिले में सोमवार शाम बदले मौसम ने जन-जीवन अस्त -व्यस्त कर दिया। शाम 6 बजे से करीब दस मिनट तक जमकर ओलावृष्टि हुई। इस बीच तेज हवा चली जिससे पेड़ों की टहनियां टूट गई। कुछ पेड़ धराशायी हो गए। पेड़ों के नीचे चौपहिया और दुपहिया वाहनों के चपेट में आने से नुकसान हो गया। बूंदी शहर में शाम साढ़े पांच बजे से मौसम ने पलटा खाया। शाम छह बजे हवा के साथ ओलो का दौर शुरू हो गया। करीब दस मिनट तक गिरे ओलो की चादर सडक़ पर साफ दिखाई पड़ी। यहां पचास ग्राम वजन तक ओले गिरे। ओलो की मार से कई पेड़ों की टहनियां टूट गई। पेड़ों पर बैठे पक्षी जमीं पर आ गिरे। हवा का रुख तेज होने से होर्डिंग, तिरपाल उड़ गए। इसी बीच करीब आधे घंटे तक तेज बौछारें पड़ी। जिससे पानी सडक़ों पर बह निकला। हिण्डोली क्षेत्र में भी हवा के साथ चने के आकार के ओले गिरे। पेच की बावड़ी में पेड़ धराशायी हो गए।