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बीकानेर,भगवान महावीर का जन्म सम्पूर्ण मानव जाति के लिए हुआ। 2600  वर्षो से ज्यादा पुराना समय होने के बाद भी भगवान महावीर की वाणी आज भी आगमों में संग्रहित है. यह बात भगवान महावीर के 2622 वें जन्म कल्याणक महोत्सव के मुख्य समारोह को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथी शिव मन्दिर  शिबाड़ी के अधिष्ठाता  स्वामी विमर्शानन्द जी गिरी ने कहा कि आज का पावन दिन हम को और अधिक धर्म ,अर्थ, काम मोक्ष देने वाला, हर विपत्ति को दूर करने वाला दिवस है। हम महावीर बन सकते है। उन्होंने कहा की तीन शक्तियां हमें महावीर बना सकती है। स्वामी जी ने कहा कि हर व्यक्ति के अन्दर अन्नत होने की संभावना होती है। हर बालक बालिकाओं में एक प्रतिभा छिपी हुई होती है। एक शब्द में हम भगवान महावीर को कहना चाहे तो वह है तप। अहंकार रहित होकर हमें तप करना होगा। इस युग में धर्म जो बचा है वो महिलाओं की वजह से। उन्होने कहा कि भगवान महावीर ने नैतिक रास्ते से धन कमाने की प्रेरणा दी एवं विसर्जन के द्वारा जरूरतमंदों की सहायता करने की प्रेरणा दी। हर व्यक्ति बहुत कुछ लेकर आता है और बहुत कुछ लेकर जाता है। स्वामी जी ने जीवन की अनेक विसंगतियों का कटाक्ष करते हुए मानव जाती को सचेत किया। मुनिश्री चैतन्य कुमार अमन ने कहा कि भगवान महावीर बचपन से भगवान नहीं थे। एक लम्बी साधना के बाद भगवान बने। उन्होने कहा कि उपासना में धर्म बढ़ गया है आचरण में धर्म नहीं बढ़ रहा है। हमें धर्म का आचरण जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए। मुनिश्री ने कहा कि अर्थ बहुत कुछ हो सकता है लेकिन सब कुछ नहीं हो सकता है। आज हमें भगवान वाणी चित में है आचरण में और विचारों में लाने की जरूरत है। हम भगवान को अपना जैसा बनाने का प्रयास नहीं करे , भगवान जैसा बनने का प्रयास करें। भगवान के दर्शन को आत्मशात करे।

साध्वीश्री सहप्रभाजी ने कही। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर ने समता का उपदेश दिया। भगवान महावीर ने कहा कि किसी को शत्रु मानो ही मत। भगवान महावीर ने मित्र एवं प्रेम का उपदेश दिया। भगवान महावीर ने नारी जाति को बहुत प्रोत्साहन दिया। महावीर के शासन में 14500 साधु व 36000 से अधिक साध्वियां हुई। साध्वीश्री जी ने बताया कि माता-पिता का मान सम्मान एवं भावनाओं को ध्यान में रखते हुए दिक्षा भी उनके मरणोंपरान्त ली। दास प्रथा का उल्लमूलन किया। आज भगवान के अनुयायीयों को नशा मुक्त व मांस मदिरा से दूर रहने की अति आवश्यकता है।
साध्वीश्री हेमलता जी ने कहा कि आज ऐसा दिन है जिससे हमें नई प्रेरणाएं मिलती है। सभी पर्वों से हमें नये नये मार्गदर्शन मिलते है। भगवान महावीर ने जो दर्शन दिया वह मानव मात्र के लिए दिया।मनुष्य जाती एक है। भगवान महावीर के सिद्धान्त आज भी प्रासंगिक है। आज के दिवस में भगवान के संदेशों की बहुत अधिक आवश्यकता है। मनुष्य जाती में जन्म लेना भी बहुत अच्छे कर्मों का पुण्य योग होने से ही संभव है। राष्ट्र को आचारवान, चरित्रवान नैतिक बनाना है तो भगवान महावीर का दर्शन हमें आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा देता रहेगा।
स्वागत वक्तत्य देते हुए अध्यक्ष जैन लूणकरण छाजेड़ ने 2622वें भगवान महावीर जन्म कल्याण की सभी को बधाई दी तथा उन्होंने बताया कि जैन महासभा ने 22 वर्ष सफलता पूर्वक सम्पन्न किये है। छाजेड़ ने कहा कि जैन महासभा ने हर क्षेत्र में कार्य करने का प्रयास किया है समाजिक समरसता कि लिए 21 व्यंजन सीमा अभियान शुरू किया। शिक्षा के क्षेत्र में निम्न व मध्यम वर्ग के जरूरतमंद  बच्चों की शिक्षा निर्बाध रूप से जारी रख सके उसके लिए आर्थिक सहयोग प्रदान कराती है। अतः जरूरतमन्द विद्यार्थी ही शिक्षा के आर्थिक सहयोग के लिए आवेदन करें। अनेकान्तवाद एवं अपरिग्रह  सिद्धान्त को जैन महासभा ने अपनी संस्था में लागू किया है। समाज का हर व्यक्ति जैन महासभा के कार्यों से जुड़े।मुनिश्री प्रबोध कुमार जी ने अपना मंगल उद्बोधन देते हुए कहा कि जीवन में त्याग व संयम प्रधान होना ही जीवन का लक्ष्य होना चाहिए। मोक्ष के लिए अग्रसर हो रही आत्मा का जीवन भी महत्वपूर्ण है। भगवान महावीर का शासन 5वें आरे के अंतिम दिवस तक चलेगा। भगवान महावीर ने अनेक कष्ट सहन किये। मुनिश्री ने बताया कि भगवान महावीर को संगम देव द्वारा 20 मरणात्मक कष्ट दिये गये। उनके जैसे एक भी उपसर्ग से हम जीवित नही रह सकते। तीर्थंकरों को केवल ज्ञान नही होता तब तक मौन रहते है। भगवान ने साधना काल में चन्दनबाला व चंडकौशिक का व अनेक जीवों का उद्धगार किया। भगवान महावीर का जीवन तपस्या व साधनामय जीवन था। भगवान का वाणी संयम, दृष्टि संयम बहुत प्रेरणादायक था। भगवान महावीर का एक सिद्धान्त भी अपना लेवें तो हमारा जीवन का कल्याण हो सकता है।
मुख्य समारोह की शुरूआत मुनिश्री के नमस्कार महामंत्र हुई। चैनरूप छाजेड़ ने गीतिका प्रस्तुत की । जैन महासभा महिला मण्डल ने मंगलाचरण किया। तेरापंथ महिला मण्डल गंगाशहर ने भगवान महावीर जन्म कल्याणक पर आधारित गीतिका का संगान किया।कीया। बीकानेर से दिगम्बर नसियां जी, जेलरोड से रवाना होकर कोचरों का चौक, डागा सेठिया, पारख, रांगड़ी चौक, चिन्तामणि मन्दिर, भुजिया बाजार, आदेश्वर मन्दिर, नाहटा मौहल्ला, गोलछा, रामपुरिया, आसानियों का चौक, मावा पट्टी, बैदों का महावीर मन्दिर, सुराणा चौक, बड़ा बाजार, बैदों का चौक होते हुए बड़ा बाजार पहुंची। भीनासर, अणुव्रत समिति बीकानेर, महिला मण्डल गंगाशहर, गोपेश्वर विद्यापीठ, सेठ तोलाराम बाफना अकेडमी, आदर्श विद्यामन्दिर, अर्हम अकेडमी, जैन पब्लिक स्कूल, बीकानेर ने भगवान महावीर के जीवन घटनाक्रम एवं सिद्धान्तों पर झांकिया निकाली। झांकियों को देखने पूरे रास्ते मे लोग अपने घरों के आगे खड़े नजर आए तथा जय महावीर का उद्घोष आम जन कर रहा था।

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