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बीकानेर,आत्मा की आवाज़ सुनकर हम अपना वोट डाल आये। अब लोकतंत्र कितना मज़बूत होंगा। यह हमे -४- जून के परिणाम बतायेंगे। तब तक मन में बेचैनीहोती रहेगी। क्योंकि इस बार वोट प्रतिशत कम रहा है मतदाताओं को शायद वोट डालने में रुचि नहीं रही। लेकिन मतदाताओं को जागना होगा। वरना पाँच सालों के लिए रोना होगा। जागो रे मतदाता जागो। कही यह अमूल्य समय हाथ से निकल न जाये। अभी तो राजस्थान में दूसरे चरण का चुनाव २६ अप्रैल को हैं। वही देश भर में १ जून तक अलग अलग प्रदेशों में चुनाव होने है।अगर मतदाता जाग गया तो बदलाव सुनिश्चित है। अत: इस बदलाव के लिए ४ जून हमारे इन्तज़ार की घड़ी होगी। फ़िलहाल हम ईश्वर से यही प्रार्थना करते है कि इस बार देश में एक ऐसी स्वच्छ- ईमानदार सरकार बने जिसके मन में देश और देशवासियों के प्रति सेवा भाव हो, मानवीय संवेदना हो, और वो उनका दुख दर्द दूर हों । उनको अच्छी शिक्षा- चिकित्सा- और रोज़गार सरकार दे सके। क़ानून एवम् अपराध पर नियंत्रण हो। क़ानून का भय हो। महिलायें निस्संकोच बाहर निकल सके। अंग्रेजों के जमाने में बनाये गये क़ानून बदले जा सके। दक़ियानूसी और रूढ़िवादी क़ानून बदले जाये। वक्त के अनुसार नये क़ानून बने। ऐसा एक भारत बने जिसमे राम- राज्य की कल्पना साकार हो उठे। हालाँकि दोनों पार्टियों ने अपने अपने संकल्प पत्र और घोषणाएँ जारी किए हैं। पर वायदे हैं वायदों का क्या? वादे तो होते ही तोड़ने के लिए होते हैं। ख़ैर अब हमे सुन्दर और अच्छे भविष्य की कल्पना करनी चाहिए। जिसमे हमारे बच्चो को अच्छी शिक्षा मिले- रोज़गार मिले। इसी प्रकार अच्छी चिकित्सा सेवाये मिले। कुछ ऐसा बदलाव आये कि डाक्टरों के मन भी बदल जाये वे ईश्वर के दूत बन जाये। मरीज़ की सेवा ही उनका लक्ष्य हो। यह देखने की फ़ीस- जाँचो- और दवाईयो में कमीशन से वे परहेज़ करने लग जाये। नई सरकार को इनके नेट- वर्क को तोड़ना होगा। मदर ट्रेसा का जीवन इन्हें समझाना होगा। दूसरी तरफ़ आम नागरिक की मूलभूत आवश्यकताएँ पूरी करनी होगी। मसलन अच्छी सड़के- पर्याप्त यातायात व्यवस्था – बिजली- पानी की आपूर्ति करनी होगी। महंगाई पर नियंत्रण करना होगा। घूस और सिफारिश जैसे शब्दों को देश से ही निकालना होंगा। वैसे तो राजनीतिकों पर जनता को भरोसा नहीं हैं क्योंकि वह ७७ साल से इन्हें देखती और समझती आ रही हैं। इस बार वो कुछ नया प्रयोग करके देखना चाहती हैं। इसलिए राजनेताओं को जनता में विश्वास पैदा करना होगा। चुनाव परिणामों के बाद ही पता चल सकेगा कि देश किनके हाथों सुरक्षित है ? वैसे देश को आगे ले जाने में एक बन्दा ज़रूर आमदा है वह हैं नरेंद्र मोदी। उन्होंने जो दस सालों में किया वो अगले पचास सालों तक भुलाया नहीं जा सकता। वही उनको इस बार मिलनेवाला कार्यकाल भारत के लिए एक स्वर्णिम युग को सुनिश्चित करने वाला होगा।

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