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बीकानेर,साथियो भारत की दोनों प्रमुख पार्टियां अपनी अपनी नीतियों का कितना हीं दमख्म भरे, किन्तु शासन करने का तरीका एक हीं हैँ सता को बचाने के लिये किसी भी हद तक जा सकते हैँ, नीतियाँ, सिद्धांत मात्र दिखावा हैँ, हकीकत तो यह हैँ जनता को तलाश अब उस नेतृत्व या व्यक्तियों की हैँ जो आज की उन व्यवस्थाओ मे बदलाव लाये जिनसे भारत का होनहार नागरिक जो वोटर भी है त्रस्त हैँ, इन दो प्रमुख पार्टियों को या अनेक राज्यों मै कुछ क्षित्रीय पार्टियों को वोट देना तो मात्र मजबूरी हैँ, किन्तु यह भी गलत हैँ, अगर आप आज जिस व्यवस्था से त्रस्त हैँ और उसकी आवाज उठाने वाला अगर आज कोई छोटा व्यक्ति भी हैँ, उसे वोट देकर साथ दीजिये, भले हीं वो न जीते, किन्तु आपका वोट स्पोर्ट उसको आगे भी और संघर्ष के लिये प्रोत्साहित करेगा, जिस दिन ऐसे लोग 10% वोट लेने मे भी सफल हो जायेंगे, उस दिन उस व्यवस्था मै बदलाव की आहट आपको राष्ट्रीय, स्टेट स्तर पर दिखाई देगी l क्योंकि इन दो प्रमुख पार्टियों मै बैठे नेता से आप ऐसी उम्मीद हीं मत रखना, क्योंकि वोट बैंक के खिलाफ बोलना इनकी मजबूरी हैँ l मैं वोट उसी को दूंगा जो इन वर्तमान व्यवस्थाओ के खिलाफ आवाज उठाएगा, चाहे वो दो वोट भी लाये, मुझे संतुष्टि होंगी कि उसने हमारे लिये, उन हुनरो के लिये आवाज उठाई जिनके वो अधिकारी हैँ l

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