Trending Now












बीकानेर,राजस्थान में दो धड़ों में बंटी कांग्रेस को एकजुट करने में राज्य प्रभारी अजय माकन तो कई दिनों से प्रयास कर ही रहे हैं, यह भी कहा जा रहा था कि इसी सप्ताह मंत्रिमंडल में फेरबदल भी संभव है।इसी बीच अचानक दिल्ली दरबार के 2 विश्वस्त नेताओं के जयपुर दौरे ने कांग्रेस के नेताओं को असमंजस में डाल दिया है। दो दिन पहले सोनिया गांधी की बेहद करीबी और हरियाणा कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा की अचानक जयपुर यात्रा के बाद राहुल गांधी के बेहद करीबी नेता और कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार की जयपुर आकर अशोक गहलोत से खास मुलाकात सियासी हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई है।

अजय माकन ने जयपुर दौरे के बाद सत्ता और संगठन में बदलाव को लेकर राहुल गांधी को रिपोर्ट सौंप दी है, लेकिन उस पर अभी तक कोई एक्शन नहींहुआ है। वहीं दूसरी तरफ कहा जा रहा है कि अपने स्वास्थ्य की जांच करवाने के लिए सोनिया गांधी 5 अगस्त को अमरीका जा रही हैं। उससे पहले मंत्रिमंडल विस्तार फेरबदल को लेकर निर्णय नहीं हुआ तो मामला लंबा लटक जाएगा। सवाल यह भी कि आखिर वह कौन सा संदेश है जिसे देने के लिए दो अलग-अलग पी. सी. सी. अध्यक्ष को जयपुर आना पड़ा है।

शैलजा और डी. के. के दौरे का सस्पेंस बरकरार
मामला इससे कहीं अधिक बड़ा है। राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार/ फेरबदल और संगठन में नियुक्तियों की कवायद के बीच गांधी परिवार के विश्वस्त कहे जाने वाले नेताओं के जयपुर दौरे के बाद राजस्थान के सियासी हलकों में अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या गहलोत व पायलट के बीच विस्तार / फेरबदल को लेकर फंसे पेंच के मद्देनजर ही यह मुलाकातें हो रही हैं या इन मुलाकातों के मायने कुछ और हैं।

लंबे समय से दिल्ली नहीं हैं सी.एम. गहलोत
दोनों नेताओं का इस तरह से जयपुर आना अशोक गहलोत से दरअसल कोरोना काल के चलते मिलकर वापस दिल्ली लौटना बता एक लंबा समय हो गया है जब रहा है कि मकसद केवल मंत्रिमंडल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिल्ली विस्तार और फेरबदल नहीं है अपितु नहीं हैं। इस दौरान कई बार प्रभारी अजय माकन, संगठन महासचिव वेणुगोपाल, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष पवन बंसल के अलावा दिल्ली के कई नेताओं ने आकर सी. एम. से मुलाकात की है, लेकिन उन नेताओं की यात्राओं और मुलाकातों का मकसद स्पष्ट और साफ था, लेकिन कुमारी शैलजा और डी. के. शिवकुमार का अचानक जयपुर आना मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलना और फिर दिल्ली जाना बता रहा है कि इस बार कारण कुछ अलग नजर आ रहे हैं।

दोनों नेता दो राज्यों के पी.सी.सी. अध्यक्ष
बड़ी बात यह है कि दोनों नेता दो अलग-अलग राज्यों के पी.सी.सी. अध्यक्ष हैं। कुमारी शैलजा हरियाणा में पी.सी.सी. अध्यक्ष हैं तो डी.के. शिवकुमार को भी कर्नाटका में पी.सी.सी. अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है। कुमारी शैलजा के अशोक गहलोत के साथ संबंध बहुत अच्छे हैं। राजस्थान में विधानसभा चुनाव के समय स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन के तौर पर उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही थी। वहीं, कर्नाटक विधानसभा चुनाव के समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कांग्रेस को सत्ता में लाने में अहम रोल रहा था। दोनों ही नेता गांधी परिवार के बेहद करीबी हैं।

Author