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बीकानेर, स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर के द्वारा 36 वें स्थापना दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. आर.पी. सिंह ने की और कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ वी के सिंह, कुलपति, महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय एवं डॉ एस के गर्ग, कुलपति, राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय रहे। डॉ सी.आर. मेहता, निदेशक, केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल मध्य प्रदेश ने वर्चुअल माध्यम से तृतीय डॉ. के.एन. नाग स्मृति व्याख्यान दिया। कार्यक्रम से पहले विश्वविद्यालय प्रांगण में कार्यक्रम के अध्यक्ष व विशिष्ट अतिथियों, वित्त नियंत्रक, अधिष्ठाताओं, निदेशकों, स्टाफ संकाय सदस्यों, विद्यार्थियों द्वारा पौधारोपण किया गया।

इस अवसर पर कुलपति प्रो. आर.पी. सिंह ने कहा की एसकेआरएयू द्वारा विगत कई दशकों से किसानों एवं कृषि क्षेत्र के विकास के लिए निरंतर कार्य किये जा रहे हैं। विशेष रूप से देश के पश्चिमी क्षेत्र के अनुकूल फसलों की उन्नत किस्में कृषि प्रौद्योगिकी का विकास एवं इनके किसानों तक हस्तांतरण के लिए समर्पित है। कृषि शिक्षा के विकास के लिए स्व वित्त पोषित कृषि व्यवसाय प्रबंधन संस्थान (आइएबीएम) श्रीगंगानगर में खोला गया जिसमें 2021-22 से छात्रों को प्रवेश देकर शिक्षण कार्य प्रारम्भ किया जा रहा है। शैक्षणिक वर्ष 2021-22 से श्रीगंगानगर के कृषि महाविद्यालय में पाँच विषयों में स्नातकोत्तर कार्यक्रम प्रारम्भ किये गये हैं। आइएबीएम बीकानेर के छात्र आकाश कुरापा ने एक स्मार्टवेयर हाउस एप्लिकेशन की जो की उच्च संस्थाओं द्वारा वित्त पोषित और समर्थित हैं। विश्वविद्यालय ने शैक्षणिक, शोध एवं प्रसार गतिविधियों से संबंधित 18 एमओयू किये गए हैं। विश्वविद्यालय में 600 बैठक क्षमता का ऑडिटोरियम हॉल और नये कक्षा-कक्षों का निर्माण करवाया गया। नाहेप के तहत विगत तीन वर्षो में 34 उपयोगी प्रशिक्षण दिये गए। मरू शक्ति खाद्य प्रसंस्करण यूनिटʺ की सेल आउटलेटˈ पर उन्नत बीज, वर्मीखाद, पौधे एंव अन्य सामग्री उपलब्ध हैं। नर्सरी ने गतवर्ष लगभग बावन हजार पौधे बेचे कर 9.70 लाख की आय की। अनुसंधान निदेशालय द्वारा पिछले 3 वर्षो में 6 नई किस्मों जिसमें चना की जी.एन.जी. 2261 (केशव), कपास की आर.एस. 2827, आर.एस. 2814 तथा आर.एस. 2818, नीम्बू की गंगानगर एसिड लाइम-1 तथा बाजरा की बी.एच.बी. 1602 को विकसित किया है। पिछले 3 वर्षो में विश्वविद्यालय द्वारा 44 नई तकनीकों को विकसित किया गया वर्ष 2021-22 में प्रजनक बीज 1234 क्विंटल, सत्यापित 1882 क्विंटल तथा प्रमाणित बीज 462 क्विंटल का उत्पादन किया गया। राज्य सरकार द्वारा 385 लाख रुपये राष्ट्रीय कृषि विकास योजना तथा अन्य योजना मदों के तहत स्वीकृत किये गये हैं। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों व शोध-छात्र द्वारा खजूर के पौधे में कृत्रिम परागण की नई तकनीक ʺस्प्रे से परागणʺ का विकास किया। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. विष्णु प्रकाश अग्रवाल ने गेहूँ के तीन उच्च तापमान सहिष्णु जननद्रव्यों की पहचान करने में सफलता हासिल की हैं। हाल ही में इनमें से दो जननद्रव्यों (आई. सी. 279317 एवं आई. सी. 336816) का आईसीएआर, एनबीपीजीआर में पंजीयन हुआ है। विश्वविद्यालय द्वारा वर्ष 2021-22 में विभिन्न प्राइवेट कंपनियों के पंद्रह उत्पादों का परीक्षण करके पचपन लाख की आय प्राप्त की गई है । कृषि यंत्र व मशीनरी परीक्षण एवं प्रशिक्षण केन्द्र ने लगभग नौ सौ कृषि यंत्रों का परीक्षण कर 755 लाख रू की आय की । केवीके ने गत वर्ष में पचपन गांवों में दो सौ साठ किसानों के खेतों पर परीक्षण किये गए। किसानों को वैज्ञानिक जानकारी देने हेतु दस मोबाइल एप विकसित किये जा चुके हैं।

*डॉ. के.एन. नाग स्मृति व्याख्यान* के अंतर्गत डॉ सी.आर. मेहता ने कृषि में मशीनीकरण के महत्व पर चर्चा की और कहा की राजस्थान में उपलब्ध जमीन व जल को देखते हुए मशीनिकरण की बड़ी महत्ता है। कृषि विश्वविद्यालय और राजस्थान सरकार द्वारा मशीनीकरण में किए जा रहे नवाचरों पर चर्चा की। पोस्ट हार्वेस्ट लॉस्ट एवं सोलर एनर्जी की उपयोगिता, “पर ड्रॉप मोर क्रॉप” के बारे में बताया किसान स्मार्ट भी स्मार्ट बनाना चाहता है। भविष्य में ड्रोन की उपयोगिता संबंधी चर्चा की।

*डॉ वी के सिंह, कुलपति एमजीएसयू *ने कहा की आज के दिन हमें आत्म-निरीक्षण कर कमियों व चुनौतियां का विश्लेषण करना चाहिए और किस तरह से चुनौतियों को अवसर में बदला जा सकता है इसके प्रयास करने चाहिए। कोरोना महामारी ने अध्ययन-अध्यापन के रूप स्वरूप में बदल दिया है। कृषि वैज्ञानिकों को आह्वान किया कि पोस्ट हार्वेस्ट टेक्नोलॉजी में जो अवसर तलाशने और इसी के साथ कृषि में ड्रोन की उपयोगिता और कृषि में किए जा रहे नित नए प्रयोगों का पर्यावरण पर क्या प्रभाव होगा, की दिशा में भी कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया।

*डॉ एस के गर्ग, कुलपति राजुवास* ने शिक्षक व छात्रों के अध्ययन-अध्यापन पर चर्चा की और स्थापना दिवस के अवसर पर शिक्षकों को और अधिक लगन से छात्रों के हित में काम करने हेतु कहा। इसके अलावा राजस्थान में फैली हुई हरियाली का महत्व राजस्थान के कृषि विश्वविद्यालयों को दिया। जलवायु परिवर्तन पर चर्चा की और किसानों की आमदनी इनपुट की लागत कम करके कैसे बढ़ाई जा सकती है, पर विचार रखे।

कार्यक्रम में वित्त नियंत्रक पवन कुमार, अधिष्ठाता डॉ आई पी सिंह, डॉ विमला डुंकवाल, निदेशक डॉ पी.एस. शेखावत, डॉ सुभाष चंद्र, डॉ दाताराम, डॉ सुभाष चंद्र, डॉ पी के यादव, डॉ एस आर यादव, डॉ दीपाली धवन, डॉ योगेश शर्मा व ओएसडी इंजी विपिन लड्ढा उपस्थित रहे। कार्यक्रम में डॉ वीर सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया संचालन डॉ मंजू राठौर द्वारा किया गया ।
*इस अवसर पर पुस्तक व फोल्डर्स का विमोचन *भी किया गया- “प्रगतिशील एसकेआरयू” लेखक डॉ पी के यादव, डॉ सीमा त्यागी और पीआरओ सतीश सोनी, “पौधों में आवश्यक पोषक तत्वों के कार्य एवं कमी के लक्षण” लेखक डॉ आर के यादव एवं डॉ रंजीत सिंह, लवण ग्रस्त गांवों में निम्न गुणवत्ता वाले जल के प्रबंधन की वैज्ञानिक तकनीकी” लेखक डॉ रंजीत सिंह एवं डॉ आरके यादव “एफएमआईटीटीसी- एक संग्रह” इंजी विपिन लड्ढा, “सृजन- एक अभिव्यक्ति” और “दूध प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन” डॉ विमला डुंकवाल, “”जलवायु परिवर्तन से अनुकूलन में किसानों की मददगार कृषि मौसम परामर्श सेवाएं” लेखक डॉ नरेंद्र कुमार पारिक, रेखा रत्नू एवं राकेश, “फसलों की जैविक उत्पादन तकनीकें” लेखक डॉ पी एस शेखावत, डॉ आर एस राठौड़, डॉ डी एस शेखावत एवं डॉ एस कुमावत।

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