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बीकानेर,बारहगुवाड़ चौक में दशकों बाद मंगलवार को हास्य और वीर रस की स्वर लहरियां गूंजी। शहर के अनेक कवियों ने अपनी कविताओं से वाहवाही लूटी। श्रोताओं से खचाखच भरे चौक में युवाओं और नई पीढ़ी के लिए यह अवसर यादगार साबित हुआ।

अवसर था बीकानेर (पश्चिम) विधायक जेठानंद व्यास की पहल पर पहली बार आयोजित चार दिवसीय नगर स्थापना दिवस के दूसरे दिन बारहगुवाड़ में आयोजित विराट कवि सम्मेलन का। इस दौरान शहरी क्षेत्र के अनेक कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की।
बाबू लाल छंगाणी (बमचकरी) ने ‘धोरा री धरती में गूंजे बीके जी रा डंका रे। अठे सारा रळ-मिळ रेवे झगड़ा न दंगा रे…..’ के साथ श्रोताओं की वाहवाही लूटी। डॉ. कृष्णा आचार्य ने ‘तंबूरा साची साची बोल, आम जूण री कांई मोल, जिंदगाणी उण रो लेखो खोल’ और ‘अबे बा बात कठे, पैली वाली बात कठे, मिनख मांहि मिनख कठे, तारा री बा रात कठे’ पेश की। मनीषा आर्य सोनी ने ‘एकर चाल रे बादिला नगर बीकाणे खानी चाल’, लीलाधर सोनी ने ‘भारत देश प्राणा सूं प्यारो है, बीकाणो सिरमौर आंख रो तारो है’, गोपाल पुरोहित ने ‘एक खत निकला है आज, दराज से बाहर’, आनंद पुरोहित मस्ताना ने ‘ओ भाईला करे क्यों तू देर, इण बार आजा बीकानेर’, संजय आचार्य वरुण ने ‘कंवारा रे मुंडे में झाग हुवे’ पेश की। इसी श्रंखला में राजेंद्र स्वर्णकार ने ओज की रचना ‘है अब जरूरी, देश का हर राम जागे और लड़े’ तथा ‘मुरधर दिवला जगमग जगया सूरज नैं शरमावणा, आओनी आलीजा’ तथा लीलाधर सोनी ने ‘ भारत म्हारो देस प्राणा सूं प्यारो है, बिकानो सिरमौर आंख रो तारो है’ की प्रस्तुति दी। बृजेश्वर व्यास ने ‘ बीकाणे ने मुलक सरावे, दूर दूर सूं देखण आवे’ पेश किया।
इस दौरान बीकानेर (पश्चिम) विधायक जेठानंद व्यास ने कहा कि एक दौर था, जब बीकानेर के कवियों को सुनने लोग रात-रात भर बैठे रहते। धीरे-धीरे हम इन मंचीय कविताओं से दूर होते रहे। उन्होंने कहा कि उनका प्रयास रहेगा कि प्रति वर्ष कवि सम्मेलन आयोजित किया जाए। इसमें स्थानीय रचनाकारों को ही मौका दिया जाएगा।
इस दौरान पंडित जुगल किशोर ओझा पुजारी बाबा, जेपी व्यास, पूर्व पार्षद शिव कुमार रंगा, पार्षद किशोर आचार्य, मक्खन छंगाणी, भूत महाराज, जेठमल ओझा, ऋषि राज रंगा, दिनेश सांखला, पूर्व पार्षद गिरिराज जोशी, अनिल आचार्य, दमन कुमार छंगाणी, राधा किशन पुरोहित, ईश्वर महाराज छंगाणी, किशन ओझा घंटी, भगवान दास ओझा, रामनाथ छंगाणी, नवरतन श्रीमाली और ललित छंगाणी मौजूद रहे।

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