
बीकानेर,भारत सरकार को देश में विभिन्न समाजों के अपने तई संगठित विकास में विप्र फाउण्डेशन माडल को समर्थन करना चाहिए। इस माडल में विप्र समाज अपने संसाधनों के सामूहिक प्रयासों और सरकार के साथ चलकर आगे बढ़ने का काम किया है। संगठित समाज में समरसता और सौहार्द का संचार हुआ है। राष्ट्र के प्रति समर्पण, संस्कृति, धर्म, आध्यात्मिक क्षेत्र में समाज आगे बढ़ा है। इस माडल से कोई भी समाज अपने सांगठनिक बूते पर विभिन्न क्षेत्रों कैसे आगे बढ़ सकता है। यह बात विप्र फाउण्डेशन की कार्य प्रणाली, सांगठनिक ढांचे और लाखों कार्यकर्ताओं की टीम की गतिविधियों से कोई भी समझ सकता है। विप्र फाउण्डेशन का गठन ही राष्ट्रीय एकता, सामाजिक समरसता और स्वजातीय गतिशीलता के उद्देश्य से किया गया। यह भी उदेदश्य है कि ब्राह्मण खुद तेजस्वी बनकर भारत के सभी समाजों को तेजस्वी बनाएंगा।
आज देश का सबसे बड़ा सक्रिय जातीय संगठन है जिसमें ब्राह्मण समाज की 60 न्यातों के लोग एक मंच पर है। 400 जिलों में संगठन सक्रिय है। देश विदेश के विप्र बंधु जुड़े हुए हैं। समाज में शिक्षा, संस्कार, रोजगार को आगे रखकर धरातल पर जो काम हुआ है उसको भारत के अन्य समाज भी अपने तई संगठित होकर धरातल पर उतार सकतें हैं।
भारत विभिन्न जातियों और समाजों वाला देश है। हर जाति और समाज की अपनी सांस्कृतिक और जातीय विशेषताएं हैं। समृध्द परम्पराओं वाले समाज के विकास में संगठित होकर कैसे आगे बढ़ा जा सकता है। इसके लिए देश को विप्र फाउण्डेशन माडल को समझने की जरूरत है। विप्र फाउण्डेशन का अन्तराष्ट्रीय, राष्ट्रीय, राज्य और जिला,तहसील और गांव स्तर का संगठन बना हुआ है। लोग अपने समाज की शिक्षा, संस्कार, रोजगार को लेकर प्रयासरत है। संगठन की पूरे समाज में विश्वनीयता है। समाज के लोग आपसी सहयोग से विप्र एक्सीलेंस सेंटर, छात्रावास, कौशल विकास केन्द्र, कोचिंग सेन्टर बनाया है। देशभर में छात्राओं को समाज अपने स्तर पर एज्यूकेशन लोन दे रहा है। जहां समाज की कोई जरूरत है उसे आपस में मिलकर पूरा करने की कोशिश करते हैं। विप्र फाउण्डेशन की सरकारों में इतनी साख है कि फाउण्डेशन की अनुशंसा पर राजस्थान में विप्र कल्याण बोर्ड और चार राज्य में ब्राह्मण कल्याण बोर्ड गठित है जो विप्र समाज के लोगों के कल्याण की योजनाओं पर काम कर रहा है। यह संगठन राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्र और समाज कि उत्थान की भावना से काम करता है। कोई गुटबाजी या संगठन के भीतर आपसी राजनीति नहीं है। बल्कि सांसद, विधायक अथवा सभी स्तर के जनप्रतिनिधि विप्र फाउण्डेशन के मंच पर आना पसंद करते है। सरकार का जनप्रतिनिधियों का और ब्यूरोक्रेसी का फाउण्डेशन समाज के हित में काम करवाने में संगठन की ताकते के बूते समर्थ है। सरकार, जनप्रतिनिधि और ब्यूरोक्रेसी विप्र फाउण्डेशन की बात को अनसुना नहीं कर सकता। फाउणडेशन हर विप्र समाज के जनप्रतिनिधि के साथ सहयोग में खड़ा मिलेगा। सभी राजनीति दलों के साथ फाउण्डेशन समता का व्यवहार रखता है। समाजों का राष्ट्रीय हित में समग्र विकास ही राष्ट्रीय विकास है। हर समाज को संगठित होकर सामूहिक विकास की बात इस माडल पर सोचनी चाहिए।