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बीकानेर,बीकानेर विकास प्राधिकरण द्वारा तैयार किए गए मास्टर प्लान 2043 में 188 गाँवों की गोचर भूमि को गोचर प्रयोजन के अतिरिक्त अन्य योजनाओं हेतु प्रयोग करने का प्रस्ताव रखा गया है। इस प्रस्ताव के विरोध में गोचर संरक्षण समिति एवं अनेक सामाजिक-धार्मिक संगठनों ने बड़ा जनजागरण अभियान चलाया।

इस अभियान के अंतर्गत दिनांक 21 सितम्बर 2025 से 23 सितम्बर 2025 तक लगभग 2 लाख आपत्ति प्रपत्र बांटे गए। समय के अभाव के कारण लगभग 35–40 हज़ार आपत्ति प्रपत्र जिन्हें क्रमवार बीकानेर विकास प्राधिकरण को सौंपा जा रहा है।

ग्रामीण जनता का कहना है कि —
• गोचर भूमि गाँव की सामूहिक धरोहर है और इसे किसी भी अन्य उद्देश्य हेतु प्रयोग करना परंपरा, क़ानून और जनहित के विपरीत है।
• पशुपालन एवं गौशालाओं के लिए गोचर भूमि का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है।
• यदि गोचर भूमि पर निर्माण अथवा अन्य योजनाएँ लागू होती हैं तो इससे ग्रामीणों एवं पशुधन दोनों का अस्तित्व संकट में पड़ जाएगा।

समिति के शिव गहलोत ने यह भी स्पष्ट किया है कि इतनी बड़ी संख्या में आपत्तियाँ दाख़िल होने के बावजूद बीकानेर विकास प्राधिकरण ने अब तक अंतिम तिथि में विस्तार नहीं किया है। समिति ने मांग की है कि —
1. आपत्तियों की अंतिम तिथि को 10 अक्टूबर 2025 तक बढ़ाया जाए।
2. सभी आपत्तियों को विधिवत दर्ज कर रसीद उपलब्ध कराई जाए।
3. मास्टर प्लान 2043 से गोचर भूमि को अन्य उपयोग हेतु प्रस्तावित करना तुरंत निरस्त किया जाए।

गोचर संरक्षण समिति ने चेतावनी दी है कि यदि ग्रामीणों की आवाज़ को अनसुना किया गया तो आंदोलन को और तेज़ किया जाएगा तथा आगामी रणनीति के लिए समिति 27 सितंबर को एक मीटिंग का आयोजन करेगी।इस अवसर पर नवलरामजी महाराज, श्यामसुंदरजी महाराज, उदयरामसर सरपंच प्रतिनिधि हेमंत यादव, कैलाश सोलंकी, योगेश गहलोत, सांवरमल धायल, राकेश ज्यानी, सूरज प्रकाश राव, सूरजमाल सिंह नीमराना, मनोज सेवग, महेंद्र पडिहार, रामरतन गोदारा, दामोदर तंवर, बंसीलाल तंवर, यशवेंद्र चौधरी, नथमल माली, लक्ष्मण गहलोत, गौतम गहलोत, निर्मल शर्मा, सुभाष साहू, नवरतन शर्मा, राम साहू आदि उपस्थित रहे।

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