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बीकानेर,राजस्थान में विद्या संबल योजना खटाई में पड़ती दिखाई दे रही है। राज्य का वित्त विभाग कोई निर्णय नहीं ले पा रहा है। जबकि अभ्यर्थी लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। अभ्यर्थियों ने आवेदन भी कर दिए है, लेकिन वित्त विभाग के पास फाइल अटकी हुई है।बता दें, राज्य सरकार ने योजना के तहत विभिन्न पदों के लिए 93 हजार पदों के लिए आवेदन मांगे थे। लेकिन भर्ती में आरक्षण का प्रावधान नहीं होने के कारण विवाद पैदा हो गया। सरकार ने योजना को स्थगित कर दिया था। मामला वित्त विभाग के पास लंबित है। राजस्थान के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के खाली 93 हजार पदों बेरोजगार युवाओं को बतौर गेस्ट फैकल्टी लगाने की विद्या संबल योजना फिलहाल स्थगित है। शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला का कहना है कि विद्या संबल योजना को लेकर मामला वित्त विभाग के पास है। वित्त विभाग से इस योजना की समीक्षा कराई जा रही है। समीक्षा के बाद ही आगे निर्णय लिया जाएगा।

ठंडे बस्ते में जा सकती है योजना

शिक्षा विभाग की ओर से सरकारी स्कूलों में खाली पदों पर शिक्षक उपलब्ध कराने के लिए प्रारंभ की गई विद्या संबल योजना ठंडे बस्ते में जा सकती है। इस योजना को स्थगित किए 40 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक इसके फिर से शुरू करने को लेकर कोई दिशा निर्देश नहीं आए हैं। इसलिए अब इस योजना के इस सत्र में प्रारंभ होने को लेकर संशय पैदा हो गया है। बता दें, शिक्षा विभाग ने आवेदन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद 14 नवंबर को योजना को स्थगित कर दिया था। माना जा रहा है कि अब विभाग को गैस्ट फेकल्टी की जरूरत भी महसूस नहीं होगी। बीएसपी ने जताया था विरोध

दरअसल, इस भर्ती में आरक्षण का प्रावधान नहीं रखने के कारण एससी-एसटी से जुड़े संगठनों ने गहलोत सरकार के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई। इसलिए इसे स्थगित करना पड़ा है। राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 से पहले होने जा रही इस बड़ी भर्ती को लेकर बसपा प्रदेशाध्यक्ष भगवान सिंह बाबा ने कहा कि हमने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्यपाल कलराज मिश्र दोनों को ज्ञापन भेजे। विद्या संबल योजना में सरकार ने 93 हजार पदों की भर्ती के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं किया है। हम भर्तियों के खिलाफ नहीं हैं। नौकरियां निकालने का हम स्वागत करते हैं। क्योंकि प्रदेश में बेरोजगारी बहुत ज्यादा है। लेकिन एससी-एसटी के हक के हिसाब से आरक्षण का प्रावधान किया जाए। इसके बाद राज्य सरकार ने भर्ती को स्थगित कर दिया था। तब से कोई निर्णय सरकार नहीं ले पा रही है।

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