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बीकानेर, स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय द्वारा सामाजिक उत्तरदायित्व योजना के तहत गोद लिए गए गांव -कावनी में कृषक के खेत पर प्रक्षेत्र प्रशिक्षण के अंतर्गत चना फली छेदक के समन्वित कीट प्रबंधन पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें कुलपति डॉ. अरूण कुमार मुख्य अतिथि रहे। उन्होंने उपस्थित किसानों से संवाद कर तथा कृषि विज्ञान केन्द्र, बीकानेर के द्वारा गांव में की जा रही विभिन्न कृषि गतिविधियों के बारे में जानकारी प्राप्त की। निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. सुभाष चन्द्र ने वातावरण प्रदूषण को रोकने तथा प्राकृतिक संतुलन बनाने में समन्वित कीट नियंत्रण प्रणाली किसानों को अपनाने पर बल दिया तथा कीटनाशको का इस्तेमाल वैज्ञानिक सलाह से करने का आग्रह किया। उपनिदेशक, प्रसार शिक्षा डॉ. राजेश कुमार वर्मा ने विश्वविद्यालय द्वारा चलाई जा रही विभिन्न विकास गतिविधियों के बारे में सभी को अवगत करवाया। केन्द्र के कीट वैज्ञानिक डॉ. केशव मेहरा ने किसानों को फेरोमोन ट्रेप को खेत पर लगाने की प्रक्रिया के बारे में बताया,एक या अधिक फली छेदक की तितलियां 2 से 3 दिन लगातार आने पर 5 से 8 दिन के बीच में नीम आधारित कीटनाशक (1000 पीपीएम) 3 मिली दवा 1 लीटर पानी में एवं तरल साबुन (20 मिली प्रति 100 लीटर पानी) का छिड़काव करने की सलाह दी। कुलपति ने किसानों को चने में फली छेदक के निगरानी हेतु फेरोमोन ट्रेप वितरित किये। डॉ. दुर्गा सिंह, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केंद्र, बीकानेर ने केन्द्र द्वारा किसानों को दिये गये चने के विभिन्न प्रदर्शनों की जानकारी प्राप्त की। कार्यक्रम के अंत में केन्द्र के शस्य वैज्ञानिक डॉ. एस. पी. सिंह ने सभी को धन्यवाद दिया।

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