बीकानेर, वेटरनरी विश्वविद्यालय में फील्ड पशुचिकित्सकों हेतु छोटे पालतु पशुओं में पिनींग एवं प्लेटिंग तकनीक द्वारा फ्रेक्चर प्रबन्धन के लिए पांच दिवसीय आर्थोपेडिक प्रशिक्षण शुक्रवार कों संपन्न हुआ। समापन सत्र को सम्बोधित करते हुए राजुवास के संथापक एवं पूर्व कुलपति प्रो. ए.के. गहलोत ने डिमिस्का प्रोजेक्ट के तहत चल रहे प्रशिक्षण कों अत्यन्त उपयोगी बताया और कहा कि इस प्रशिक्षण से न केवल राजस्थान बल्कि अन्य राज्य के पशुचिकित्सक भी लाभान्वित हो रहे है अतः इस प्रशिक्षण के महत्व को देखते हुए इसमें सर्जरी के अत्याधुनिक पद्धतियों एवं उपचार उपकरणों कौशल निपुणता को बढावा देना होगा। वेटरनरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सतीश के. गर्ग ने कहा कि इस प्रशिक्षण के माध्यम से पशुचिकित्सक छोटे पशुओं में सर्जरी हेतु निपुणता हासिल करेगे जो कि उनकों स्वरोजगार हेतु भी प्रेरित करेगी। विश्वविद्यालय भविष्य में भी इस तरह के प्रशिक्षणों का आयोजन समय-समय पर करेगा। प्रशिक्षण के समन्वयक डॉ. प्रवीण बिश्नोई ने बताया कि मानव संसाधन विकास निदेशालय के अन्तर्गत डिमिस्का प्रोजेक्ट के तहत यह पाँच दिवसिय प्रशिक्षण दिनांक 25 से 29 जुलाई तक आयोजित किया गया। इस प्रशिक्षण में देश के विभिन्न राज्यों से कुल 20 पशुचिकित्सकों ने भाग लिया। इसमें विषय विशेषज्ञों प्रशिक्षणार्थियों को श्वानों के कंकाल की आन्तरिक संरचना, विभिन्न आर्थोपेडिक उपकरणो की जानकारी, फ्रेक्चर प्रबन्धन हेतु विभिन्न तकनीके बोन प्लेटिंग, स्क्रू एवं पिनींग तकनीक आदि विषयों पर प्रशिक्षण प्रदान किया गया। प्रशिक्षणार्थियों ने फ्रेक्चर के उपचार में उपयोग में लाए जाने वाले विभिन्न उपकरणों एवं विधियों को प्रायोगिक तौर पर स्वयं करके देखा। डॉ. रघुनाथ, डॉ. पंकज थानवी, डॉ. सुरेश झीरवाल, डॉ. प्रवीण बिश्नोई, डॉ. साकार पालेचा, डॉ. अनिल कुमार बिश्नोई, डॉ. महेन्द्र तंवर, डॉ. अशोक डांगी एवं डॉ. कपिल कच्छवाहा ने विभिन्न विषयों पर व्याख्यान प्रस्तुत किए। प्रशिक्षण के उपरान्त प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण-पत्र एवं प्रशिक्षण संदर्शिका प्रदान की गई। इस अवसर पर वित्तनियंत्रक डॉ. प्रताप सिंह पूनिया, अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. सुभाष गोस्वामी, निदेशक अनुसंधान प्रो. हेमन्त दाधीच, निदेशक प्रसार शिक्षा प्रो. आर.के. धूड़िया एवं सर्जरी विभाग के शिक्षकगण व छात्र मौजुद रहे। इस प्रशिक्षण का आयोजन डॉ. प्रवीण बिश्नोई के निर्देशन में डॉ. अनिल बिश्नोई ने किया।