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बीकानेर,बीकानेर के बुज़ुर्ग शायर शमसुद्दीन ‘साहिल’ का आज निधन हो गया। वे पिछले काफी समय से ह्रदय रोग से पीड़ित थे और उनका इलाज चल रहा था। उनके निधन की ख़बर सुनकर साहित्य जगत में शोक की लहर छा गई।
शायर क़ासिम बीकानेरी ने बताया कि उनका जनाज़ा सर्वोदय बस्ती बीकानेर से रवाना हुआ और उनकी मय्यत को बड़े क़ब्रिस्तान में सुपुर्द ए ख़ाक किया गया।
क़ासिम ने शमसुद्दीन ‘साहिल’ साहब के बारे में बताया कि वे कई विधाओं में अपना कलाम कहते थे। हम्द, ना’त, मनक़बत, सलाम, ग़ज़ल, गीत क़तआ़त कहने में उनको महारत हासिल थी ख़ासतौर से उनका मज़ाहिया कलाम कवि सम्मेलन एवं मुशायरों में ख़ूब पसंद किया जाता था। उनकी ग़ज़लों का मजमूआ ‘मेरी अपनी भी एक दुनिया है’ क़ासिम बीकानेरी के साथ यक्जा मजमूआ़ के तौर पर काफी लोकप्रिय एवं चर्चित रहा है। उनकी ज़िंदगी का अधिकांश हिस्सा कोलायत में बीता। वर्तमान में वे अपने पोते के परिवार के साथ सर्वोदय बस्ती बीकानेर में निवास कर रहे थे। वे नेक एवं मुख़लिस इंसान थे।
शमसुद्दीन ‘साहिल’ को अपनी साहित्यिक सेवाओं के लिए अनेक संस्थाओं ने सम्मानित एवं पुरस्कृत किया है। आप राजस्थान के कई शहरों में कलाम पढ़ने के लिए जा चुके हैं।
उनके जनाज़े में अनेक शायर एवं समाज के प्रबुद्ध जन मौजूद थे। जिनमें राजस्थान उर्दू अकादमी के सदस्य इरशाद अज़ीज़, वरिष्ठ लेखक एडवोकेट इसरार हसन क़ादरी, शायर कहानीकार क़ासिम बीकानेरी, समाजसेवी यूसुफ कमाल ने जनाज़े में शिरकत की।

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