बीकानेर,भव्यता के साथ कंज्यूमर वेलफेयर सोसाइटी एवं कंज्यूमर कनफेडरेशन आफ इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में वीसीए-पीसीए डे मनाया गया ।
सीसीआई के जिलाध्यक्ष श्रेयांश बैद ने उपस्थित छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा
उपभोक्ता संरक्षणकर्मियों के लिए खास है यह दिन इस बार उपभोक्ता संरक्षण में डिजिटलीकरण पर जोर।दिया गया है ।
गत कई वर्षों से 6 सितंबर को भव्यता के साथ वीसीए-पीसीए डे का आयोजन किया जाता है। इसी क्रम में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी 6 सितंबर को देश भर में वीसीए एंड पीसीए डे का आयोजन किया गया।। इस साल के लिए वीसीए-पीसीए डे की थीम ‘कंज्यूमर प्रोटेक्शन इन डिजिटल एरा’ अर्थात् ‘डिजिटल युग में उपभोक्ता संरक्षण’ रखी गई है।
वीसीए-पीसीए डे के बारे में जानने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि वीसीए-पीसीए किसे कहा जाता है। यूं तो उपभोक्ता संरक्षण के लिए विभिन्न वर्गों में लाखों लोग कार्य कर रहे हैं जिनमें एनजीओ, शासन, प्रशासन, ज्यूडिश्यरी और वकालत से जुड़े लोग शामिल हैं और उपभोक्ता हितों की पैरवी करने वाले लोगों को कंज्यूमर एक्टिविस्ट के नाम से जाना जाता रहा है। लेकिन भारत सरकार के उपभोक्ता मामलात मंत्रालय के द्वारा विभिन्न राज्यों को जारी एडवाइजरी के अनुसार उपभोक्ता संरक्षण क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों को खास पहचान के रूप में दो क्षेत्रों में चिह्नित किया गया है।
‘उपभोक्ता संरक्षण के लिए निःशुल्क सेवाएं दे रहे उपभोक्ता संरक्षणकर्मी’ वॉलियंटरी कंज्यूमर एक्टिविस्ट (वी.सी.ए.) के रूप में और ‘शुल्क या वेतन लेकर उपभोक्ताओं को विशेषज्ञ सेवाएं उपलब्ध कराने वाले उपभोक्ता संरक्षणकर्मी, जिनमें स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठनों के कर्मचारी भी शामिल हैं’, प्रोफेशनल कंज्यूमर एडवाइजर (पी.सी.ए.) के नाम से नामित किया जाना चाहिए। अतरू इन्हें वीसीए-पीसीए के नाम से जाना जाता है। अर्थात् उपभोक्ता संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने वाले लोग वीसीए-पीसीए कहलाते हैं जिनमें निःशुल्क सेवा देने वाले और सशुल्क सेवा देने वाले दोनों तरह के लोग शामिल हैं।
सीसीआई के सचिव ओम प्रकाश जानी ने कहा की वीसीए-पीसीए डे जिस तरह तमाम दूसरे प्रोफेशन्स में उस प्रोफेशन्स से जुड़े लोगो का डे मनाया जाता है, उसी तरह उपभोक्ता कल्याण अभियान को सशक्त करने, उसका व्यापक प्रसार-प्रचार करने, कंज्यूमर एडवोकेसी को उच्चतम मानदंडों पर स्थापित करने और उपभोक्ता संरक्षण से जुड़े आंदोलनकारियों और प्रोफेशनल्स के हितों को प्राथमिकता के साथ सामने लाने और इन्हें संगठित कर एकरूपता लाने की पहल के तौर पर देश भर में हर साल 6 सितंबर को वीसीए एंड पीसीए डे मनाया जाता है।
इस दिन को मनाने का मकसद न केवल इस प्रोफेशन से जुड़े लोगों के महत्व को प्रतिपादित करना है, साथ ही इस बात को सुनिश्चित बनाना भी है कि अक्षम और अयोग्य लोग स्वयं को उपभोक्ता संरक्षणकर्मी बताकर उपभोक्ताओं के हितों को नुकसान न पहुंचा सकें और इस प्रोफेशन को रेगूलाइज करने के लिए नियम और कायदे बनें ताकि जहां ईमानदारी से कार्य कर रहे योग्य प्रोफेशनल्स की गरिमा बढ़े, वहीं इस क्षेत्र में हो रहे फ्रॉड पर भी अंकुश लग सके ।
सुदेश बिश्नोई ने कहा की वीसीए एण्ड पीसीए शब्द की पहचान और इनका अंगीकरण सबसे पहले 6 सितंबर 2014 को किया गया था, इसलिए वीसीए एण्ड पीसीए डे मनाए जाने के लिए 6 सितंबर का चयन किया गया। यूं तो स्वैच्छिक उपभोक्ता आंदोलनकारियों और प्रोफेशनल्स कंज्यूमर एडवाइजर्स को पहचान और सम्मान देने की लड़ाई वर्षों से चल रही थी। लेकिन इस दिशा में भारत में सबसे बड़ा कदम 6 सितंबर 2014 को इस विषय पर आयोजित उपभोक्ता संगठनों की राष्ट्रीय कार्यशाला में उठाया गया। देश के 400 से अधिक उपभोक्ता संगठनों की शीर्ष संस्था भारतीय उपभोक्ता परिसंघ (कंज्यूमर कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडिया) की पहल पर आयोजित इस कार्यशाला में पहली बार वीसीए और पीसीए के नाम को एक अधिकृत पहचान के तौर पर अंगीकार किया गया। इसी के चलते बाद में भारत सरकार ने अपनी एडवाइजरी में इन शब्दों का चयन किया।
जिला उपाध्यक्ष विजयलक्ष्मी शर्मा ने कहा 6 सितंबर 2014 को प्रमुख उपभोक्ता आंदोलनकारियों की इस बैठक में उपभोक्ता संरक्षणकर्मियों की स्वनियामक संस्था के तौर पर सेंट्रल काउंसिल ऑफ वीसीए एंड पीसीए का गठन करने का निर्णय लिया गया। उक्त बैठक में उपभोक्ता आंदोलनकारियों के अलावा उपभोक्ता आयोग व मंचों के पूर्व सदस्य, सरकारी सहायता से चल रही उपभोक्ता परियोजनाओं के प्रतिनिधि व बड़ी संख्या में अन्य स्टेक होल्डर्स सम्मिलित थे। बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार व्यापक तौर पर काम हुआ और 8 अप्रैल 2015 को श्सेंट्रल काउंसिल ऑफ वीसीए एंड पीसीए्य अस्तित्व में आई। नई दिल्ली में केन्द्रीय स्तर पर स्थापित इस काउंसिल का संचालन बोर्ड ऑफ ट्रस्ट के माध्यम से किया जाता है। काउंसिल ने ही अपना निर्णय कर 6 सितंबर को वीसीए-पीसीए डे मनाने की शुरुआत की। उपभोक्ता संगठनों ने इसका समर्थन किया और 6 सितंबर 2017 को पहली बार वीसीए-पीसीए डे मनाया गया। तब से हर वर्ष यह दिन मनाया जाता है।
जिला प्रवक्ता ममता सिंह ने कहा की
लाखों लोग हैं इस प्रोफेशन में
बड़ी संख्या में सेवा प्रदाता ऑनलाइन यह बता रहे हैं कि आपको कहां सस्ती हवाई टिकट मिलेगी या कौनसी कार खरीदना आपके लिए फायदे का सौदा होगा या आप कौनसी बीमा पॉलिसी लें। ये सभी प्रोफेशनल उपभोक्ता सलाहकारों द्वारा ही दी जा रही हैं। लेकिन वे स्वयं नहीं जानते कि वे एक खास किस्म के प्रोफेशन से जुड़े हैं जिसे सीधे तौर पर प्रोफेशन कंज्यूमर एडवाइजर (पीसीए) के रूप में पहचाना गया है। इसी प्रकार ऐसे लोगों की सूची बहुत लंबी है जो जाने-अंजाने कंज्यूमर प्रोटेक्शन के प्रोफेशन से जुड़ चुके हैं। भारतीय उपभोक्ता परिसंघ का अनुमान है कि देश के विभिन्न कंज्यूमर फोरम में काम कर रहे या काम कर चुके सदस्यों या अध्यक्षों की संख्या ही 20 हजार से ऊपर है। यदि इसमें उपभोक्ता संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रहे स्वैच्छिक संगठनों या सरकारी अधिकारियों को भी शामिल कर लिया जाए तो यह संख्या लाखों में पहुंच जाती है।
लेकिन प्रोफेशनल्स कंज्यूमर एडवाइजर्स के रूप में काम कर रहे लोगों की सर्वाधिक संख्या उन कॉर्पारेट घरानों और बड़ी कंपनियों में हैं जिन्हें आए दिन सीधे तौर पर कंज्यूमर के साथ डील करना होता है और जहां बहुत बड़ी संख्या में लोग कस्टमर केयर सेंटरों पर कस्टमर सेटिस्फेक्शन के काम में जुटे हैं। ऐसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में बैंक, बीमा, टेलीकॉम, इलेक्ट्रिसिटी, टूरिज्म, एंटरटेनमेंट, ट्रांसपोर्टेशन, एजूकेशन, फाइनेंस और हैल्थ जैसे सेक्टर शामिल हैं। इन सभी सेक्टर्स में लाखों की संख्या में लोग उपभोक्ताओं को संतुष्ट करने या उनकी समस्याओं के निराकरण के प्रयासों में लगे हैं।
गुणवत्ता सुधार के लिए जरूरी है नियमन इस क्षेत्र में जहां लाखों लोग सेवा प्रदान कर रहे हैं, अभी भी प्रोफेशनलिज्म को वह मान्यता नहीं मिल सकी है, जिसके कि वह हकदार हैं और इनके गुणवत्ता नियंत्रण व प्रशिक्षण का भी कोई स्थाई मान्यता प्राप्त ढांचा नहीं बन सका है। स्थिति यह है कि अधिकतर लोग जो इस प्रोफेशन से जुड़े हैं, वह खुद ही नहीं जानते कि वह कंज्यूमर प्रोफेशनल्स हैं और इस रूप में उनका योगदान बहुत महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र को प्रभावी रूप से नियमित करने और उसके लिए जरूरी कानूनी-कायदे बनाए जाने की आवश्यकता है। भारत सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग की ओर से इस संबंध में जारी एडवाइजरी जिसमें राज्य सरकारों को ऐसे लोगों की सूची बनाने और उनका अधीस्वीकरण करने के निर्देश दिए गए थे, इसकी शुरुआत भर है। दुर्भाग्य से अधिकतर राज्यों में इस दिशा में कोई प्रभावी कार्य नहीं हुआ है जिसका खामियाजा उपभोक्ता संरक्षण क्षेत्र को भुगतना पड़ रहा है। वीसीए-पीसीए डे का एक उद्देश्य इसे रेखांकित करने का भी है।
काउंसिल करती है कॉर्डिनेट
वीसीए-पीसीए डे पर देश भर में मनाए जाने वाले कार्यक्रमों को सेंट्रल काउंसिल ऑफ वीसीए-पीसीए के माध्यम से कॉर्डिनेट किया जाता है। इसके अलावा देश के उपभोक्ता संगठनों का सबसे बड़ा नेटवर्क कंज्यूमर कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडिया अपने सहयोगी संस्थाओं के माध्यम से कार्यक्रम करता है। विभिन्न प्रदेशों के उपभोक्ता संगठन महासंघ भी इस अभियान से जुड़े हैं। देश भर में हर साल बड़ी संख्या में उपभोक्ता संगठनों की ओर से वीसीए-पीसीए डे पर विभिन्न समारोह आयोजित किए जाते हैं । सेंट्रल काउंसिल ऑफ वीसीए एंड पीसीए की ओर से हर वर्ष वीसीए-पीसीए डे के लिए एक खास थीम जारी की जाती है। सबसे पहले वीसीए-पीसीए डे की थीम 2017 में जारी की गई। उस वर्ष की थीम थी ‘कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्टिविस्ट वीसीए एंड प्रोफेशनल्स पीसीए हेव द बेस्ट सॉल्यूशन्स’ अर्थात् ‘उपभोक्ता संरक्षण कार्यकर्ता वीसीए और पेशेवर पीसीए के पास है सर्वश्रेष्ठ समाधान।’ 2018 की थीम थी – ‘प्रोटेक्टेड कंज्यूमर प्रॉस्पिरियस सोसायटी’ अर्थात् संरक्षित उपभोक्ता और समृद्ध समाज। 2019 की थीम थी ‘सर्विंग कंज्यूमर विद प्राइड एंड ऑनर’ अर्थात् उपभोक्ता की सेवा गर्व और सम्मान से। 2020 की थीम रखी गई थी ‘कंज्यूमर एडवोकेसी विद एक्सपर्टाइज एंड कमिटमेंट’ अर्थात् उपभोक्ता पक्षपोषण विशेषज्ञता एवं प्रतिबद्धता के साथ। 2021 की थीम रखी गई थी ‘कंज्यूमर्स स्ट्रेन्थ थ्रू टैक्नोलॉजीज’ अर्थात् तकनीकों के जरिए उपभोक्ता संरक्षण। 2022 की थीम रखी गई थी ‘कंज्यूमर शिल्डिंग निड्स मोर परफेक्शन’ अर्थात् उपभोक्ता परिरक्षण को अधिक पूर्णता चाहिए।