बीकानेर,आज उरमूल डेयरी चेयरमैन नोपाराम जाखड़ ने जिला कलक्टर से मुलाकात कर राजस्थान के पश्चिमी जिलों में पशुधन में तेजी से महामारी ‘लम्पी डीजीज फेल रही बीमारी के संबंध में ज्ञापन प्रस्तुत किया। श्री नोपाराम जाखड़ ने बताया कि इस बीमारी से गोवंश की मौतों का आकडा दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। जिसके चलते प्रदेश में अब तक हजारों से ज्यादा मौते हो चुकी है। सरकारी आकडे भी प्रतिदिन 150-200 मौतों की पुष्टि कर रहे है। जबकि हकीकत में मृत पशुओं की संख्या ज्यादा है। साथ ही मृत पशुओं के खुले में पड़े होने, दूसरे पशुओं के सम्पर्क में जाने से बीमारी फैलने का खतरा अधिक बढ़ गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी आम लोगों में इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी नहीं है लम्बी बीमारी का संक्रमण बढ़ रहा है एवं इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे है जिला स्तर पर टीमें भी कम है। जिस कारण अब सवा बहुत कम ही संक्रमित पशुओं का सर्व हो पाया है। इस कारण प्रशासन के इंतजाम नाकाफी नजर आने लगे है।
श्री जाखड़ ने यह भी बताया कि बीकानेर के संयुक्त निदेशक अधिकारी के नेतृत्व में संक्रमित पशुधन के दुध के उपयोग के संबंध में अलग से एडवाईजरी जारी करवाये एवं साथ ही गौशालाओं में कीटनाशक स्प्रे, गायों का काढा, विशेषज्ञों की देख रेख में टीका, वैक्सीनेशन दवा की आपूर्ति भी सुनिश्चत करवाने हेतु प्रभावी अधिकारियों का आदेशित करावे वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों में बीमारी के लक्षणों के आधार पर ही देशी इलाज किया जा रहा है। पंचायत एवं ब्लॉक स्तर पर मेडिकल सर्वे टीमें नहीं पहुंच पा रही है। इस हेतु युद्ध स्तर पर मेडिकल डॉक्टर सर्वे टीम, पशुओं हेतु एम्बुलेंस एवं बैटनरी कॉलेज के स्टॉफ को भी शामिल करते हुए प्रभावी निराकरण हेतु स्टॉफ बढ़ाने व मेडिकल स्टॉफ की कमी को देखते हुए कोविड़ में कार्यरत कोऑपरेटिव, सहकारिता विभाग, उरमूल डेयरी एवं अन्य विभाग बीकानेर के कार्मिकों को भी इस कार्य में लगाने हेतु आग्रह किया साथ ही अगर फंड की कमी है, तो जनसहयोग, सहभागिता एवं भामाशाहों के माध्यम से भी करने एवं करवाने हेतु आग्रह किया है, ताकि शीघ्रताशीघ्र गौ वंश में फैल रही इस माहामारी से निजात पाया जा सकें। सबसे बड़ी चिन्ता की बात यह है कि जिले के किसानों की जिविका का स्त्रोत पशुधन ही हो।
इस दौरान पान्चू पूर्व प्रधान भंवर लाल गोरसिया, भीखाराम सागवा, जाट हॉस्टल के प्रतिनिधि गिरधारी लाल कूकणा, सुखराम चौधरी, मूलाराम मान्झू, भोमराज गाट उपस्थित रहे