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बीकानेर,नगर विकास न्यास ने पॉलिटेक्निक काॅलेज के चाराें ओर सड़क पर साइकिल ट्रैक बनाने में 43 लाख रुपए खपा दिए। दिन भर में यहां 20 साइकिलें भी नहीं चलती। ऊपर से एक साइड की सड़क भी अ‌ाधी रह गई। जबकि 1500 से ज्यादा नेशनल साइक्लिस्टों के शहर में एक अच्छा वेलोड्रम तक नहीं। जो है वो बदहाल पड़ा है। इस रकम से इस वेलोड्रम को सुधरवाया जा सकता था।

दरअसल पॉलिटेक्निक काॅलेज के आसपास 2.2 किलोमीटर लंबा ट्रैक बनाया गया है। ट्रैक की चौड़ाई 10 फीट है। साइक्लिंग कंपटीशन के पैमाने पर भी ये खरा नहीं उतरता। खुद यूआईटी अधिकारी मानते हैं कि ये कंपटीशन वाले खिलाड़ियों के लिए ट्रैक नहीं बल्कि बच्चे और काॅलाेनी वासियों की सहूलियत के लिए है। पॉलिटेक्निक काॅलेज के चाराें ओर दीवार से सटे इस ट्रैक पर नजर पड़ी ताे सामने आया कि चंद साइकिल ही दिनभर में गुजरी।

60 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय, 2500 से ज्यादा स्टेट लेवल पर हिस्सा लेने वाले बीकानेर के साइक्लिस्ट तमाम मेडल जीत चुके हैं लेकिन यहां उनके लिए एक अच्छा ट्रैक नहीं

डॉ.करणीसिंह स्टेडियम के साइकिल वैलोड्रम पर अब तक निर्णय नहीं : यहां साइकिल वैलोड्रम जर्जर स्थिति में है। इसे डिसमेंटल करके अलग वैलोड्रम बनाने में 14 कराेड़ चाहिए। सालाें से फैसला नहीं हुअा। 200 मीटर का वैलोड्रम बनाकर बाकी हिस्सा कॉमर्शियल यूज करने की योजना का प्रस्ताव सरकार के पास है।

एमजीएस विवि में 10 कराेड़ से 333.33 मीटर का बन रहा ट्रैक : अंतरराष्ट्रीय साइक्लिंग प्रतियाेगिताओं के पैमानों पर जल्दी एमजीएस विवि में साइकिल ट्रैक तैयार हाेगा। नाै कराेड़ की लागत से दाे महीने में पूरा तैयार हा़े जाएगा।

1870 के बाद से ट्रैक साइक्लिंग की शुरुआत हुई थी। तब इसके लिए लकड़ी के ट्रैक बनाए जाते थे जो आधुनिक युग के वेलोड्रोम्स से मेल खाते थे। जिसमें दो सीधे ट्रैक और घुमाव पर किनारे बने होते थे। 1912 ओलंपिक के अपवाद को छोड़ दें ताे ट्रैक साइक्लिंग को हर ओलंपिक खेलों में शामिल किया जाता है। महिला ट्रैक साइक्लिंग को सबसे पहले 1988 ओलंपिक में शामिल किया गया।

पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने बीकानेर में साइकिल एकेडमी खोली थी। दो साल तक वह गांधी कॉलोनी में एक किराए के भवन में चली लेकिन काेराेना आने के बाद से वह बंद है। शुरुआती दिनाें में इस एकेडमी में 30 खिलाड़ियों को प्रवेश दिया जा सकता है लेकिन तब 11 खिलाड़ियाें ने ही प्रवेश लिया था। 2019 में यहां 15 खिलाड़ी थे।

साइकिल वेलोड्रम की साइट चिह्नित कर रहे हैं। कुछ बजट मिला है। उम्मीद है कि जल्द किसी नतीजे पर पहुंचेंगे। एकेडमी कोविड के कारण बंद हैं। सरकार से हम इस पर भी गाइड लाइन मांगेंगे। कपिल मिर्धा, जिला खेल अधिकारी

किसी भी स्मार्ट सिटी में जाएं, वहां इस तरह के ट्रैक मिलेंगे। बीकानेर भी स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में आ गया है। आने वाले वक्त में ऐसे और भी जगह ट्रैक बनाने हाेंगे। हमने पहले शुरूआत कर दी। दुर्घटना ना हो इसलिए पत्थरों से उसकी बाउंड्री तय की गई है। सड़क पर यहां ट्रैफिक ज्यादा नहीं है। इसलिए काेई परेशानी नहीं है। ये आमजनाें के लिए है। -नरेन्द्र सिंह राजपुराेहित, सचिव नगर विकास न्यास

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