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बीकानेर, बीकानेर में भी सरकार के ही नुमाइंदे अधिकारियों की कार्यप्रणाली से खुश नहीं है और तानाशाह अफ सरशाही से परेशान है। जिसको लेकर दबी जुबां में अपने नेता और सरकार के खिलाफ जमकर भड़ास निकाल रहे है। इसका नजारा आज नगर निगम की लंबे समय बाद हुई बैठक में देखने को मिला। जहां बीकानेर की राजनीति में नया इतिहास रचा गया। इस बैठक में कांग्रेस का कांग्रेस ने ही विरोध किया। दो गुटों में बंटी कांग्रेस के एक गुट के पार्षदों ने दूसरे गुट के पार्षदों पर बिकने तक का आरोप मढ़ दिया। राजनीतिक जानकारों की माने तो यह शहर की राजनीति व राजनीति करने वालों के लिये शुभ संकेत नहीं है।

कांग्रेस के दो फाड़ बनी रही चर्चा का विषय,बैठक के दौरान कांग्रेस पार्षदों की अनुपस्थिति और नेता प्रतिपक्ष सहित करीब 33 पार्षदों के बहिष्कार राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना रहा। प्रतिपक्ष नेता व कांग्रेसी पार्षद आयुक्त द्वारा बैठक में उपस्थिति नहीं होने पर निलंबन की बात का विरोध कर रहे थे। जिसको लेकर बैठक के बहिष्कार की चेतावनी भी कांग्रेसी पार्षदों ने दे दी। किन्तु कांग्रेस के ही कुछ पार्षदों ने बैठक में भागीदारी निभाकर आयुक्त की बढ़ाई में खूब कसीदे पढ़े। लोग चटकारे लेकर यह बातें करते नजर आएं कि इस बैठक ने न केवल कांग्रेस के दो फाड़ कर दिए। बल्कि शिक्षा मंत्री के समर्थक पार्षदों में मनमुटाव कर एक नई बहस छेड़ दी है। उधर जहां अंजना खत्री ने अपने भाषण में राजनीतिज्ञों को भी कुछ नहीं होने की बात कही और अपने ही पार्षदों को बिकने की परिभाषा दे डाली। हालांकि कांग्रेस के पार्षद अपने आप को एकजुट कहकर इसे भाजपा द्वारा कांग्रेसी पार्षदों को बहकाने की बात करते नजर आएं। किन्तु हकीकत इससे परे है। इस बैठक ने बीकानेर की राजनीति में कई सवाल खड़े किये है। क्या वास्तव में यहां के राजनीतिक पकड़ कमजोर हो गई। क्या एक बैठक ने एक तीर से कई निशाने साधने की कहावत चरितार्थ हो रही है।

उधर आयुक्त गोपालराम बिरधा अपनी पीठ थपथपाते हुए इस बैठक को वैधानिक बता रहे है। उनका दावा है कि बैठक में कोरम पूरा हो गया और करीब 36 पार्षद प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से मौजूद रहे। जो सभा स्थल में घुस गये उनकी विडियोग्राफी के जरिये हाजरी मान ली गई है। लेकिन हकीकत में 11 निर्वाचित व चार मनोनीत पार्षद ही पूरी बैठक में रहे। जबकि कांग्रेस के 30 निर्वाचित,12 मनोनीत पार्षद है और कांग्रेस को पांच निर्दलीय व एक बसपा पार्षद का समर्थन है।भोजन स्थल पर तो यह भी चर्चा आम थी कि आयुक्त ने बिना महापौर,बिना प्रतिपक्ष व कांग्रेसी-पार्षदों के बिना बैठक करवा दी।

महापौर की अनुपस्थिति में पार्षद नन्दलाल जावा की अध्यक्षता में मीटिंग की गई। हालांकि उन्हें महापौर का पद नहीं मिला लेकिन महापौर की तरह ही अध्यक्षता करते हुए उन्होंने पार्षदों की ओर से रखे प्रस्तावों को हरी झंडी दी। इतना ही नहीं अपनी तरफ से एक प्रस्ताव रखते हुए शिवबाड़ी में नगर निगम की भूमि को बाल्मिकी समाज के लिए आरक्षित करने का प्रस्ताव भी पारित कर दिया। वहीं रोड लाइट्स, सफाई सहित अनेक कार्यों के प्रस्ताव भी नगर निगम से पारित किए गए। इतना ही नहीं दो तीरंदाजों को भी खेल उपकरण बनाने का प्रस्ताव ध्वनि मत से पारित किया गया।

उधर पूरी बैठक में पार्षद अंजना खत्री,सुशील सुथार,जावेद पडिहार,दुर्गादास छंगाणी,पारस मारू,शांतिलाल मोदी,प्रफुल्ल हटिला,अकरम खादी,मो असलम,निर्दलीय पार्षद अनिता शर्मा,मनोनीत पार्षद जावेद खान,निर्मला चांवरिया,विनोद कोचर,राजेश आचार्य ही मौजूद रहे। बाकि सभी पार्षदों ने बैठक का बहिष्कार किया।

वहीं आयुक्त ने समाचार पत्रों व सोशल साइटस में छपी खबरों के बाद उनकी कटिंग अपने फेसबुक पेज पर डालकर जो कमेंट किये है। वो भी चर्चाओं में है। जिसका अनेक पार्षदों ने विरोध किया है। पार्षदों का कहना है कि आयुक्त की यह हरकत बचकाना और उनके अलहड़ स्वभाव की ओर इशारा कर रही है।ये पार्षद रहे अनुपस्थित
बैठक शुरू होने से पहले नेता प्रतिपक्ष चेतना चौधरी की अगुवाई में करीब 27 पार्षदों ने आयुक्त के समक्ष अपना विरोध दर्ज करवाते हुए बैठक के बहिष्कार की बात कही। इन पार्षदों का एक ही रोष था कि पार्षद के बोलने का लहजा उचित नहीं है। वे गुण्डा तत्वों की तरह बात करते है। इसको लेकर हमारा विरोध है। जिसके बाद नेता प्रतिपक्ष के साथ आनंद सिंह सोढ़ा,मनोज विश्नोई,वसीम फिरोजी,लक्ष्मी देवी स्वामी,महेन्द्र सिंह बडगुजर,आजम अली,नितिन वत्सस,मनोज किराडू,नंदू गहलोत सहित बड़ी संख्या में महिला व पुरूष पार्षद मोजूद रहे।

आयुक्त को निलंबन का अधिकार नहीं है। उन्होंने संविधान का उल्लघन किया है। बैठक बुलाई है वो नियम विरूद्व है। ये नौकरशाही ला रहे है। लोकतंत्र को मिटाने का काम कर रहे है। हम दबने वाले नहीं है। हम जनता के प्रतिनिधि है,आयुक्त धमका रहे है। वो मॉनोपोली चला रहे है। इसके विरूद्व हम सीएम तक अपनी बात पहुंचाएंगे।

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