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जयपुर। बुधवार से राजधानी जयपुर सहित प्रदेशभर में कक्षा 1 से 5 वीं तक के सभी सरकारी और निजी स्कूल खोल दिये गए है, सरकार ने स्कूल खोलने के निर्देश के साथ-साथ स्कूलों को लेकर गाइडलाइन भी जारी की है जिसमे कहा गया है स्कूल को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों विकल्प अभिभावकों व छात्रों को उपलब्ध करवाने होंगे, स्कूल आने वाले छात्रों के अभिभावकों से सहमति लेना अनिर्वाय रहेगा, बिना सहमति पत्र किसी को छात्र की स्कूल में एंट्री नही हो सकती है किंतु इन सबके बावजूद स्कूल संचालकों ने अपनी मनमानियां शुरू करते हुए अभिभावकों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है।

अभिभावकों का आरोप है कि स्कूल संचालक अपनी शर्तों पर सहमति पत्र भरवा रहे है, ना ही बच्चों की कोई जिम्मेदारी ले रहे है, स्कूल जो सहमति पत्र भरवा रहे है उसमें स्पष्ट लिखा हुआ है कि बच्चा अगर कोविड़ पॉजिटिव आ जाये या अन्य कोई बीमारी हो जाये तो स्कूल की कोई जिम्मेदारी नही रहेगी। जबकि बच्चे हमारे है तो सहमति पत्र अभिभावक क्यो भरकर देंवे, जिम्मेदारी स्कूल को लेनी चाहिए, सुरक्षा पत्र स्कूल को देना चाहिए। स्कूल खुले है तो अभिभावकों और छात्रों को भी खुशी है किंतु अगर अभिभावकों से सहमति पत्र भरवाया जा रहा है तो स्कूलों को सुरक्षा पत्र देना चाहिए आखिरकार अभिभावक भी स्कूलों की मनमानी फीस चुका रहे है।

संयुक्त अभिभावक संघ प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि प्रदेशभर में बिना वेक्सीन 5 वीं कक्षा तक के छात्रों के लिए भी स्कूल खोल दिये गए, यह तो अच्छा है कि वर्तमान में कोविड़ की गंभीर स्थिति नही है, फिर भी खतरा बरकरार है, सरकार ने भले ही गाइडलाइन के साथ स्कूल खोले हो किन्तु कही भी पालना तय नही हो रही है। पहले दिन ही स्कूलों ने अपनी मनमानी दिखाते हुए सरकारी गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाई, अधिकतर स्कूलों ने अपनी शर्तो पर ऑनलाइन कक्षाएं बन्द कर अभिभावकों पर छात्रों को जबर्दस्ती स्कूल भेजने का दबाव बना रहे है, अपनी शर्तो पर सहमति पत्र भरवा रहे है। सरकार और प्रशासन खामोश बैठ केवल अभिभावकों के लूटने का तनाशा देख रहे है।

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