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बीकानेर,जयपुर। करीबन सवा पांच महीने के अंतराल के बाद बुधवार को एक बार फिर कक्षा 9 वीं से 12 वीं तक के स्कूल खोल दिए गए है, लगातार बढ़ती जा रही तीसरी लहर के प्रकोप के चलते संयुक्त अभिभावक संघ स्कूलो को खोलने का विरोध कर रहा है मंगलवार को भी ” संघ ” ने दावा किया था कि 75 % से अधिक अभिभावक अपने बच्चों को अभी स्कूल भेजना नही चाहते, जो बुधवार को स्कूल खोले जाने के बाद पूरी तरफ से स्पष्ट हो गया। संयुक्त अभिभावक संघ ने दावा किया कि ” राज्य सरकार ने अभिभावकों की मांगों के खिलाफ जाकर स्कूल खोलने का निर्णय लिया, जिस पर अभिभावकों ने बच्चों को कोरोना की तीसरी लहर के डर के चलते बच्चों को स्कूल ना भेजकर ” स्कूल और सरकार ” को आइना दिखाया।

प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि संयुक्त अभिभावक संघ अभिभावकों की राय के आधार पर कार्य करता है पूर्व में ही संघ ने सरकार को चेता दिया था कि प्रदेश के 75 फीसदी अभिभावक स्कूल खोले जाने के खिलाफ है, बुधवार को स्कूल खोले जाने के पहले दिन मात्र 25 फीसदी अभिभावकों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजा, जो बच्चे पहले दिन स्कूल गए उनमे से अधिकतर बच्चो को ऑनलाइन क्लास बन्द कर दी गई और स्कूलो द्वारा स्कूल आने का दबाव बनाया जा रहा था।

प्रदेश कोषाध्यक्ष सर्वेश मिश्रा ने कहा कि बुधवार से स्कूल खुल तो गए है किंतु एसओपी की पालना नही हो रही है एसओपी में शिक्षा विभाग ने स्पष्ट कहा कि बच्चों को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ऑप्शन मिलेंगे, किन्तु बुधवार को स्कूल खुलने के पहले दिन ही संगठन के हेल्पलाइन 9772377755 नम्बर पर अभिभावकों की शिकायतें प्राप्त हुई, जिसमें अभिभावकों ने बताया कि स्कूल संचालक जबर्दस्ती बच्चों को स्कूल आने का दबाव बना रहे है स्कूल ना आने के कारण बच्चों की ऑनलाइन क्लास तक बन्द कर दी गई। गुरुवार को इस संदर्भ में जिला शिक्षा अधिकारी को लिखित शिकायत दर्ज करवाई जाएगी।

*पहले दिन ही स्कूलों ने उड़ाई एसओपी की धज्जियां*

संयुक्त अभिभावक संघ प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य चन्द्रमोहन गुप्ता ने बताया कि प्रदेश में निजी तंत्र इतना हावी है वह कानून तक कि पालना नही कर रहे है और जिन लोगो को कानून की पालना करवानी है वह हाथ बांधे उनके सामने खड़े होकर केवल तमाशा देख रहे है। बुधवार को भी कुछ ऐसा ही हुआ स्कूलो को खोलने को लेकर शिक्षा विभाग ने एसओपी तो बना दी किन्तु अब जब उसके पालना करवाने की बात आई तो नदारद हो गए। गुप्ता ने बताया कि कई स्कूलो ने भवनों को ही सेनेट्राइज नही करवाया है तो कई स्कूल घटिया क्वॉलिटी के सेनेट्राइजर उपयोग में ले रहे है। स्कूलो में एंट्री के समय कोई अभिभावक या अभिभावक प्रतिनिधि स्कूल में ना घुस जाए तो वहां सिक्योरिटी लगा दी और गाइडलाइन की दुहाई देकर हटा दिया गया किन्तु छुट्टी के समय सभी गाइडलाइन धरि की धरी रह गई, ना गेट पर सिक्योरिटी ना टीचरों की ड्यूटी।

*डबल किराए पर ऑटो, बस का किराया भरने को मजबूर अभिभावक*

प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य राजेन्द्र भवसार ने कहा की पहले दिन स्कूल खुलने के बाद स्कूलो की हरकतें सामने आ रही है जिन अभिभावकों के साथ दूरी का नाटक है उन अभिभावकों को स्कूलो के द्वारा लुटा जा रहा है टोंक रोड़ से नेवटा जाने एक बच्चे का किराया पहले 5 हजार रु क्वाटर लिया जाता था अब उसका किराया 9 हजार वसूला जा रहा है उसमें भी पूरे तीन महीने का किराया वसूला जा रहा है। वही टोंक से सी-स्किम जाने का एक बच्चे का किराया जहां 1 हजार रु किराया लगता था अब वहां के 2 हजार रु किराया मांगा जा रहा है।

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