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बीकानेर,बीकानेर में यूनाइटेड ग्लोबल पीस फाउंडेशन के राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन हुआ, जहाँ यूजीपीएफ के चेयरमैन मेघराज सिंह रॉयल को ‘एकात्म चेतना सम्मान 2025’ मिला। यह सम्मान उन्हें सौर ऊर्जा और ग्रामीण रोजगार सृजन में उनके कार्यों के लिए दिया गया।

लक्ष्मी निवास पैलेस में यूनाइटेड ग्लोबल पीस फाउंडेशन द्वारा आयोजित दो दिवसीय “सर्वे भवन्तु सुखिनः” राष्ट्रीय सम्मेलन का सफल समापन हुआ।
कार्यक्रम का दूसरा दिन चिंतन, विमर्श और विज़न प्रस्तुति का प्रतीक बन गया, जिसमें शासन, सेवा, पर्यावरण और सतत विकास जैसे विषयों पर सार्थक संवाद हुआ।

मेघराज सिंह रॉयल को मिला एकात्म चेतना सम्मान 2025

सम्मेलन के समापन समारोह में यूनाइटेड कांशियसनेस संस्था की ओर से यूजीपीएफ के चेयरमैन मेघराज सिंह रॉयल को ‘एकात्म चेतना सम्मान 2025’ से सम्मानित किया गया।
यह सम्मान उन्हें सौर ऊर्जा, ग्रामीण रोजगार सृजन और सामाजिक पुनर्निर्माण में उनके अभिनव कार्यों के लिए प्रदान किया गया।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की कुलपति शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित, बाली स्थित गांधी शांति प्रतिष्ठान के संस्थापक पद्मश्री अगुस इन्द्र उदयाना और यूनाइटेड कांशियसनेस के अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि विक्रांत सिंह तोमर ने संयुक्त रूप से यह सम्मान रॉयल को भेंट किया।

अपने संबोधन में मेघराज सिंह रॉयल ने कहा कि भारत की असली शक्ति उसके गाँवों में है। उन्होंने जोर दिया कि जब तक हम सौर ऊर्जा, कौशल और आतिथ्य प्रबंधन को जोड़कर रोजगार के अवसर नहीं बनाएंगे, तब तक आत्मनिर्भरता अधूरी रहेगी।

रॉयल ने बताया कि यूजीपीएफ ने अपने पहले चरण में 100 युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराया है और यह मॉडल अगले पाँच वर्षों में 45 लाख रोजगार सृजन के लक्ष्य की दिशा में बढ़ रहा है।

ब्रिगेडियर जितेन्द्र सिंह शेखावत का प्रेरक संबोधन

सम्मेलन के दूसरे दिन ब्रिगेडियर जितेन्द्र सिंह शेखावत (शौर्य चक्र) ने ‘सेवा-शासन थीम’ विषय पर प्रेरक संबोधन दिया।
उन्होंने कहा कि भारत की शासन और सैन्य परंपरा हमेशा धर्म, नीति और जनता के कल्याण पर आधारित रही है।

ब्रिगेडियर शेखावत ने राजधर्म को जनसेवा का सर्वोच्च रूप बताया और कौटिल्य, महाभारत तथा गीता के सिद्धांतों को आधुनिक शासन का आधार बताया।
उन्होंने यूजीपीएफ के ‘सेवा परमो धर्मः’ दृष्टिकोण की सराहना करते हुए कहा कि फाउंडेशन युवाओं में राष्ट्रीय सेवा, नीति और नैतिकता की भावना को पुनर्जीवित कर रहा है।

यूजीपीएफ का विज़न 2030 और उपलब्धियाँ

यूजीपीएफ के निदेशक शक्ति सिंह बांदीकुई ने संस्था की वार्षिक रिपोर्ट और विज़न डॉक्यूमेंट 2030 प्रस्तुत किया।
उन्होंने बताया कि यूजीपीएफ का उद्देश्य ‘शांति, स्थायित्व और समृद्धि’ पर केंद्रित वैश्विक संवाद को भारत के प्राचीन ज्ञान से जोड़ना है।

शक्ति सिंह बाँदीकुई ने कहा कि यूजीपीएफ का विज़न केवल एक संगठनात्मक पहल नहीं, बल्कि एक आंदोलन है जो भारत के प्राचीन ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ दर्शन को आधुनिक वैश्विक लक्ष्यों के साथ जोड़ता है।

उन्होंने बीते एक वर्ष में फाउंडेशन की प्रमुख उपलब्धियाँ साझा कीं, जिनमें राजस्थान और मध्य प्रदेश में सौर ऊर्जा आधारित रोजगार मॉडल की शुरुआत शामिल है।
ग्राम-आधारित प्रशिक्षण और इंटर्नशिप कार्यक्रम भी चलाया गया, जिसमें युवाओं को दस हजार रुपये मासिक मानदेय के साथ रोजगार से जोड़ा गया।

 

शक्ति सिंह बांदीकुई ने कहा कि यूजीपीएफ का लक्ष्य आने वाले वर्षों में भारत को ‘सतत विकास और नैतिक शासन’ का वैश्विक मॉडल बनाना है।

पर्यावरण और शासन पर गहन चर्चा

दोपहर के सत्र में ‘पर्यावरण – सेवा थीम’ और ‘सेवा – शासन थीम’ पर चर्चा और मतदान हुए।
इन सत्रों में विशेषज्ञों ने हरित ऊर्जा, सामाजिक जिम्मेदारी और शासन में पारदर्शिता जैसे विषयों पर महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
इसके पश्चात सम्मेलन संयोजक ने ‘ईएसजी रूपरेखा फॉर समग्र कल्याण’ पर रिपोर्ट प्रस्तुत की। pradeep Singh, [Oct 12, 2025 at 3:45 PM]
समापन समारोह और मीडिया ब्रीफिंग

अंतिम सत्र में स्मृति चिन्ह वितरण और सम्मेलन समापन आयोजित हुआ, जिसमें अतिथियों और विशेषज्ञों को सम्मानित किया गया।
यूजीपीएफ के प्रधान सलाहकार विक्रांत सिंह तोमर, निदेशक शक्ति सिंह बांदीकुई, ब्रिगेडियर जितेन्द्र सिंह शेखावत, सलाहकार पूर्व आईएएस राजेन्द्र सिंह शेखावत, मीडिया सलाहकार के.के. बोहरा और प्रबंधक मुकेश मेघवंशी सहित कई प्रतिनिधियों ने मंच से धन्यवाद ज्ञापन किया।

मीडिया सलाहकार के.के. बोहरा ने बताया कि सम्मेलन के निष्कर्षों और प्रस्तावों पर आधारित विशेष रिपोर्टें सोमवार को लक्ष्मी निवास पैलेस, बीकानेर में मीडिया के समक्ष प्रस्तुत की जाएंगी।

यह दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन इस बात का प्रतीक बना कि भारत की प्राचीन चेतना और आधुनिक रणनीति के संगम से ही स्थायी शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।
‘एकात्म चेतना सम्मान 2025’ से सम्मानित मेघराज सिंह रॉयल ने अपने विज़न और कार्यों से यह साबित किया कि सेवा, नीति और नवाचार से भारत पुनः विश्वगुरु बनने की दिशा में अग्रसर है।

 

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