बीकानेर,केंद्रीय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए कहा है कि इस बार विधानसभा के चुनाव समय से पहले होंगे, क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इस्तीफा देना पड़ेगा। मेघवाल ने कांग्रेस, विधायकों की ओर से दिए गए इस्तीफा के मामले में कहा कि संविधान की समझ रखने वालों को पता है कि इस्तीफे स्वीकार या अस्वीकार किए जाते हैं ना कि वापस ले जाते हैं।
मेघवाल यहां भारतीय जनता पार्टी की जन आक्रोश सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश की सरकार पूरी तरह से विफल रही है, दुष्कर्म रोकने में विफल रही है, फायरिंग के मामलों में विफल रही है, पेपर लीक होने से रोकने में विफल रही है, ऐसी सरकार को जनता उखाड़कर फेंक देगी। उन्होंने दावा किया कि आने वाले दिनों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार एक बार फिर बनेगी । उन्होंने कहा कि भाजपा की जन आक्रोश रैली के दौरान लाखों की संख्या में शिकायतें सरकार को मिली। संविधान में प्रावधान है कि विधायक स्पीकर को दिया गया है तो उसका स्वीकार या अस्वीकार किया जा सकता है लेकिन वापस नहीं हो सकते। करीब साठ से ज्यादा विधायकों के इस्तीफे हैं, जिन्हें अस्वीकार नहीं किया गया। मामला अब अदालत में है, जहां भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ स्वयं लड़ रहे हैं।
सामूहिक दुष्कर्म में तुष्टिरण
बड़ा आरोप लगाते हुए गहलोत ने कहा कि सरकार दुष्कर्म के मामलों में तुष्टिकरण की नीति अपना रही है। अगर दुष्कर्म का आरोपी कांग्रेस का वोटर है तो उस पर कार्रवाई नहीं होती है। ऐसा करना गलत है। जब न्याय नहीं मिलेगा तो जन आक्रोश होगा।
हर विधायक मिनी सीएम
मेघवाल ने कहा कि प्रदेश में हर विधायक इन दिनों खुद को मिनी सीएम समझ रहा है। दरअसल, अशोक गहलोत किसी भी विधायक को नाराज नहीं करना चाहते, उसकी हर शिकायत पर कार्रवाई हो रही है। अगर एसडीएम अच्छा काम कर रहा है और विधायक उससे नाराज है तो भी हटना तय है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि गहलोत को अपनी कुर्सी बचानी है।
हमने पेट्रोल-डीजल के दाम घटे
सांसद स्वामी सुमेधानन्द ने कहा कि केंद्र सरकार ने महंगाई से राहत दिलाने के लिए कीमतों में कमी की है। दो बार पेट्रोल व डीजल के दाम कम किए गए। राज्य सरकारों ने भी कीमतों में कमी की है। अगर कीमत बढ़ी है तो हम किसानों की आय दोगुनी करने का काम भी कर रहे हैं।
कलक्टर को दिया ज्ञापन
जन आक्रोश सभा के बाद जिला कलक्टर को ज्ञापन दिया गया। इसमें जनता की शिकायतों को प्राथमिकता से रखते हुए सरकार को घेरने का प्रयास किया गया। ज्ञापन देने से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का पुतला भी जलाया गया।