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बीकानेर,कानून एवं बीजेपी संकल्प पत्र कमेटी के अध्यक्ष अर्जुन राम जी मेघवाल से कल राजस्थानी मोट्यार परिषद ने विशेष मुलाकात कर भाजपा के प्रदेश संकल्प-पत्र में राजस्थानी भाषा एक्ट, 1956 में संशोधन कर हिंदी के साथ राजस्थानी भाषा को प्रदेश की राजभाषा बनाने एवं नई शिक्षा नीति के तहत प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा राजस्थानी में दी जाने एवं राजस्थानी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की।

राजस्थानी मोट्यार परिषद के प्रदेश सचिव प्रशान्त जैन ने बताया कि राजस्थानी भाषा को केंद्रीय साहित्य अकादमी, युजीसी, आरपीएससी जैसी संस्थाओं ने मान्यता दे रखी है तो राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार को भी इच्छा शक्ति से राजस्थानी भाषा को केन्द्र सरकार आठवीं अनुसूची में शामिल करे एवं राज्य सरकार राजभाषा का दर्जा दें।
कोषाध्यक्ष राजेश चौधरी ने कहा की राजस्थानी को प्रदेश में राजभाषा का दर्जा मिलने पर रोजगार के और अधिक अवसर प्राप्त होंगे। प्रदेश प्रवक्ता रामावतार शर्मा ने कहा कि राजस्थानी भाषा का शब्दकोश विश्व में सबसे बड़ा शब्दकोश है, राजस्थानी भाषा को मान और सम्मान दिलाना हम सभी राजस्थानियों का कर्तव्य है‌। एडवोकेट राजेश कड़वासरा ने कहा कि राजस्थानी भाषा एवं संस्कृति की समस्त विश्व में अपनी निराली पहचान है। हिमांशु टाॅक ने बताया कि जब राजस्थानी को अमेरिका नेपाल जैसे देशों ने मान्यता दे रखी है तो यह दुर्भाग्य है कि हमारी मातृभाषा अपने घर में ही बेगानी है।
कैलाश परिहार ने बताया कि वर्तमान में 160 से अधिक विधायक एवं मंत्री महोदय माननीय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राजस्थानी को राजभाषा बनाने हेतु पत्र लिख चुके हैं किंतु दृढ़ इच्छा शक्ति के अभाव में राज्य सरकार अभी तक कोई भी निर्णय नहीं ले पा रही है।
माननीय कानून मंत्री एवं बीजेपी संकल्प पत्र के अध्यक्ष अर्जुनराम जी मेघवाल ने राजस्थानी मोट्यार परिषद को आश्वस्त किया कि उनकी पार्टी के एजेंडे में राजस्थानी भाषा और संस्कृति को उचित स्थान दिया जाएगा यदि उनकी पार्टी की सरकार बनती है तो राजस्थान भाषा एक्ट 1956 में संशोधन कर प्रथम कैबिनेट मीटिंग में हिंदी के साथ राजस्थानी भाषा को प्रदेश की राजभाषा घोषित किया जाएगा एवं नई शिक्षा नीति के अनुसार मातृभाषा राजस्थानी में पढ़ाई-लिखाई करवाई जायेगी। राजस्थानी भाषा की संस्था मोट्यार परिषद् के प्रतिनिधिमंडल में राजेश चौधरी, प्रशान्त जैन, रामावतार शर्मा, एडवोकेट राजेश कड़वासरा, कमल किशोर मारू, एडवोकेट हिमांशु टॉक, कैलाश परिहार, योगेश व्यास, मुकेश सिंढ़ायच, राजूनाथ, मोहन परिहार आदि शामिल थे।

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