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राज्य सरकार भले ही REET 2021 के आधार पर तीस हजार टीचर्स की भर्ती का प्रोसेस शुरू करके वाहवाही लूट रही है लेकिन हकीकत ये है कि REET 2018 के ही सैकड़ों टीचर्स अब तक नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं। शिक्षा निदेशालय के बाहर पिछले एक साल से धरने पर बैठे बेरोजगार टीचर्स का आरोप है कि शिक्षा विभाग उनकी नियुक्ति के लिए रास्ता आसान करने के बजाय मुश्किल करता जा रहा है।

REET 2018 में लेवल वन में 894 पदों लेवल टू में अंग्रेजी विषय के साथ ही बाहरी राज्यों से डिग्री वाले आज तक नियुक्ति से वंचित है। फरवरी 21 में नियुक्ति से पहले ही अदालत ने स्टे दे दिया था। अभ्यर्थियों की डिमांड थी कि रिक्त पदों की रिसफल किया जाए। इसके बाद से ये मामला अदालत में ही चल रहा है। अब 25 जनवरी को फिर राजस्थान उच्च न्यायालय में तारीख है। इस बीच अभ्यर्थियों ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर 25 जनवरी को अदालत में उनके पक्ष में फैसला करवाने का दलील देने का आग्रह किया है।

सर्दी,गर्मी व बारिश में धरना

पिछले एक साल में मौसम ने भले ही कोई रंग दिखाया लेकिन बेरोजगारों ने शिक्षा निदेशालय के सामने से अपना धरना समाप्त नहीं किया। इन बेरोजगारों ने टेंट में ही एक साल गुजार दिया। रात को सोने के लिए यहीं पर प्रबंध है तो खाना भी दोनों वक्त यहीं पर बनता है। राज्य भर से यहां आए बेरोजगार अलग अलग शिफ्ट में यहां बैठते हैं। अगर किसी को घर जाना होता है तो दूसरा आकर यहां रहता है। धरना एक दिन के लिए भी सूना नहीं रहा। कई बार शून्य डिग्री तापमान हुआ तो कई बार तेज बारिश व आंधी भी आई। इसके बाद भी बेरोजगार यहीं पर डटे रहे। मई जून में 50 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी बेरोजगार युवक यहीं पर रहे।

खाली पड़े हैं दस प्रतिशत पद

दरअसल, वर्ष 2018 के दस प्रतिशत पद अभी भी खाली पड़े हैं। इन पदों पर विभाग को इन्हीं बेरोजगारों को नियुक्ति देनी है। अदालती मामला होने के कारण अब शिक्षा विभाग चाहकर भी नियुक्ति नहीं कर पा रहा है। एक ओर जहां बेरोजगार नौकरी के लिए संघर्ष कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर प्रदेश के सरकारी स्कूल में टीचर्स का अभाव बच्चों की पढ़ाई पर भारी पड़ रहा है।

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