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बीकानेर.कहते है काम कोई छोटा या बड़ा नहीं होता है, काम बस काम होता है. काम को सही तरीके से करने वाला होना चाहिए. इसे चरितार्थ किया है बीकानेर के स्विमिंग कोच विजय शर्मा ने.कोराना काल में लागू हुए लॉकडाउन के समय अनेकों लोग बेरोजगार हो गए थे, उसमें विजय सिंह की भी नौकरी चली गई थी. लेकिन, विजय ने हार नहीं मानी और इस मुश्किल परिस्थिति में भी हिम्मत कर के खुद को उपर उठाया और परिवार का भरण-पोषण किया.

विजय ने लॉकडाउन के दौरान 20 बीघा जमीन लीज पर ली और उस पर पारंपरिक खेती शुरू की. आज वो 100 बीघा जमीन पर खेती कर के अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं. विजय शर्मा ने बताया कि वो खेतों में सरसों, काला गेहूं, मूली, ग्वार, आलू की पारंपरिक खेती करते हैं. वर्तमान में वो सरसों, काला गेहूं की खेती कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि वो आलू, मूली, सरसों सहित कई तरह की सब्जियों को उगाने के बाद मंडी में बेच देते हैं. वहीं, ग्वार, गेहूं को धान मंडी में बेच देते है. इससे उन्हें हर साल पांच लाख रुपये तक का मुनाफा होता है.

विजय ने बताया कि वो बिछवाल झील के पीछे नाग्गासर में कई बीघा भूमि में खेती कर रहे है. जब कोराेना का आक्रमण हुआ था तो स्विमिंग पूल बंद हो गए थे, जिसके बाद उन्होंने खेती शुरू की.वो सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के स्विमिंग पूल में स्विमिंग सिखाते थे. कोरोना के समय स्विमिंग पूल बंद होने से उन्होंने खेती की तरफ रूख किया. इसमें काफी सुकून है और काम करने का अपना ही मजा है.

खेती-बाड़ी में है बहुत फायदा

विजय ने बताया कि कई लोगों की धारणा है कि खेती-बाड़ी में कोई फायदा नही है, जो गलत है. उन्होंने बताया कि अगर ठीक तरह से खेती की जाये तो इसमें मुनाफा बहुत ज्यादा है. यह एक तरह से स्थायी काम है. वो कहते हैं इससे परिवार के बच्चे और पत्नी खुश हैं. आजकल के ज्यादातर बच्चों ने खेत नहीं देखे होते हैं इसलिए वो अपने बच्चों को खेत और पशुओं से भी रूबरू करवाते हैं.

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