बीकानेर,राजस्थान में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव है. 10 फरवरी को अशोक गहलोत बजट पेश कर रहे है.
ऐसे में अब मुख्यमंत्री के साथ साथ सचिन पायलट, वसुंधरा राजे, किरोड़ीलाल मीणा, सतीश पूनिया और हनुमान बेनीवाल जैसे नेताओं के लिए चुनावी लड़ाई शुरु होने का वक्त है. लिहाजा ये सभी नेता बजट से पहले और उसके बाद अपने हिसाब से सियासी लड़ाई को आगे बढ़ा रहे है. राजस्थान विधानसभा चुनाव में अब 10 महीने का समय बचा है. कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों में कई ऐसे नेता है जिनका भविष्य तय करेगा ये साल.
बजट पर अशोक गहलोत का दांव
राजस्थान बजट को लेकर कहा जा रहा है कि अशोक गहलोत इस बजट को ऐतिहासिक बनाने की तैयारी कर रहे है. वो खजाना खोलने की तैयारी में है. अपनी ही पार्टी में सचिन पायलट जब हर मोर्चे पर मुश्किलें खड़ी कर रहे है तो फिर बीजेपी के साथ साथ कांग्रेस नेताओं को भी सियासी पटखनी देने के लिए बजट से बेहतर कोई मौका नहीं हो सकता. यही वजह है कि बजट से पहले ही मुख्यमंत्री के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रोफाइल फोटो भी बदल दिए गए है. बचत, राहत और बढ़त, इन तीन शब्दों के जरिए बजट के संकेत दिए है.
सचिन पायलट की रणनीति
सचिन पायलट साल 2020 में हुए सियासी संग्राम के बाद से ही साइडलाइन है. वो जनता के बीच नागौर, हनुमानगढ़, झुंझुनूं और पाली जिलों में जनसभाएं कर अपनी ताकत दिखा चुके है. लेकिन करीब 3 साल का समय हो गया है. अभी तक पार्टी में किसी भी सम्मानजनक स्थिति में खुद को वापिस नहीं ला पाए है. ऐसे में अगले कुछ दिन पायलट के लिए बेहद अहम रहने वाले है. बजट में बड़े ऐलानों के जरिए गहलोत अगर मजबूत स्थित में आ जाते है तो पायलट के लिए खुद को जिताऊ स्थिति में लाना काफी मुश्किल हो सकता है.
वसुंधरा राजे की सक्रियता
वसुंधरा राजे ने हाल ही में एक बच्ची के साथ स्कूटी पर चढ़े फोटो शेयर किया था. ये वही स्कूटी थी जिसे मुख्यमंत्री रहते राजे सरकार की योजनाओं के तहत ही मिली थी. एक कार्यक्रम में वसुंधरा राजे ने कहा कि किसी भी सरकार के लिए 5 साल का समय कम है. हमने 5 साल में जो काम किया. उस मेहनत का फल मिलने का समय आया तो सूबे में सत्ता परिवर्तन हो गया. राजे ने सोशल मीडिया पर अपना 4 महीने पुराना वीडियो भी शेयर कर ये कहा था कि मैं हमेशा से भगवान भरोसे रही हूं और वही मेरे काम को सही करते है.
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया
राजस्थान बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष पद पर सतीश पूनिया है. बतौर पार्टी मुखिया राज्य में पार्टी को जीत दिलाने की जिम्मेदारी सबसे ज्यादा उन पर ही है. लेकिन पार्टी मौजूदा वक्त में कई धड़ों में बंटी है. पहले वसुंधरा राजे के साथ उनकी अदावत की खबरें सामने आती थी. तो हाल ही में किरोड़ीलाल मीणा ने जिस तरह से सवाल उठाए है उससे और मुश्किलें बढ़ी है. लिहाजा उनको धैर्य रखते हुए प्रदेश संगठन में मजबूत पकड़ भी बनानी है और चुनाव में जीत बी दिलानी है. सतीश पूनिया को मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में भी गिना जाता है. लिहाजा ये साल पूनिया के सियासी भविष्य के लिए बेहद अहम रहने वाला है.
किरोड़ीलाल मीणा की क्या होगी प्लानिंग
राजस्थान बीजेपी में बिना किसी पद के पिछले चार साल से अशोक गहलोत सरकार की सबसे ज्यादा घेराबंदी करने वाले नेताओं में किरोड़ीलाल मीणा की गिनती होती है. हाल ही में पेपर लीक मसले पर 12 दिन तक धरना चला. उधर पीएम मोदी की मीणा हाईकोर्ट दौसा में सभा तय हुई. किरोड़ीलाल ने धरना खत्म किया ताकि वो सभा की तैयारियों में जुट सके. इसी बीच खबर आई कि टेंट लगने की तैयारी होने के बावजूद जगह बदल दी गई. मीणा समर्थक इसके लिए भी पूनिया को दोषी बताते है. इधर धरना खत्म करने के बाद उन्होनें खुद भी सतीश पूनिया पर निशाना साधते हुए कहा था कि जिस तरह ता भरोसा दिया गया था. वैसा साथ नहीं मिला.
हनुमान बेनीवाल कितने कामयाब होंगे
नागौर सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल के लिए ये साल बेहद चुनौतियों से भरा है. राजस्थान चुनाव में मिली सीटें ही ये तय करेगी कि आरएलपी का प्रदेश में क्या भविष्य होगा. बेनीवाल सबसे ज्यादा ताकत बाड़मेर, जोधपुर, नागौर समेत पूरे जाट बेल्ट में लगा रहे है. इसके अलावा बीकानेर और शेखावाटी के इलाकों पर भी नजर है. तो मेवाड़ की कुछ सीटों पर नजर है. जहां वो मजबूत उम्मीदवारों के जरिए बीजेपी कांग्रेस का खेल बिगाड़ सके.
राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा पड़ाव है बजट. अशोक गहलोत सरकार का बजट इस बार के चुनावों की दिशा बदलने वाला बजट बताया जा रहा है. लिहाजा वसुंधरा राजे, सचिन पायलट, सतीश पूनिया और किरोड़ीलाल मीणा से लेकर हनुमान बेनीवाल समेत तमाम नेता सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक आक्रामक रणनीति के साथ आगे बढ़ रहे है.