बीकानेर, पी.बी.एम. अस्पताल ने भले ही के आंकड़े राज्य सरकार को भेजकर प्रदेश में दवा वितरण में अव्वल स्थान प्राप्त कर लिया लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत है। चर्म रोग, नाक,कान व गला तथा नेत्र रोग विभाग में दिखाने के बाद रोगी को तीन चार घंटें में घक्का मुक्की, धूप की गर्मी को सहन करते हुए दवाई हाथ लगती है। कई रोगी भीड़ से परेशान होकर राज्य सरकार की निःशुल्क दवा वितरण की सुविधा से वंचित रहकर घर चले जाते है तथा चिकित्सकों के घर परिसर की दुकानों व बाजार से दवाइयां खरीदने पर मजबूर हो जाते है।
जिला व अस्पताल प्रशासन का ध्यानाकर्षण इस संबंध में कई बार किया गया लेकिन कोई कार्यवाही नहीं होती । दवा वितरण केन्द्रों पर बना टीन शैड भीड़ में छोटा पड़ता है, अनेक लोगों को धूप में खड़े रहकर, पसीने में तर बतर होकर मुश्किल व मशक्त से दवाई प्राप्त होती है। दवा वितरण करने वाले कार्मिक रोगी का नम्बर आने पर दवा दूसरे काउंटर से लेने का कहने पर अधिक निराशा मिलती है। दवा वितरण करने वालों का नाम, वृद्धजनों व विकलांगों, महिलाओं के लिए भी अलग से काउंटर नहीं है। पूर्व में चर्म रोग, नेत्र रोग व कान नाक व गला रोग विभाग के दवा वितरण केन्द्र अस्पताल परिसर में ही थे, लेकिन उनको एक ही जगह कर देने से मरीजों को अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
अस्पताल के ट्रोमा सेंटर में चिकित्सक तीन की दवाई लिखता है तो दवा वितरक एक ही दिन की दवा देता है। हृदय रोग विभाग का हाल भी बेहाल है। वहां सरकारी के साथ निजी दवा वितरण केन्द्र के दुकानदारों का जमावड़ा रहता है। महंगी दवाई के लिए मरीजों को निराशा मिलती है। रोगी के दवाई नहीं देने की शिकायत करने पर दवा वितरण करने वाले कार्मिक अभद्र व्यवहार करते है। अस्पताल प्रशासन ने अधिकारियों व कार्मिकों को सही दवा वितरण की मॉनिटरिंग के लिए लगा रखा है लेकिन व अपने कर्तव्यों का निर्वहन सही तरीके से नहीं करते । यही आलम 16 नम्बर ओ.पी.डी. के पास का है वहां भी दवाई कठिनाई से मिलती है। सुपर स्पेशिलिटी सेंटर में जरूरत से अधिक सुरक्षाकर्मी रोगियों के केन्द्र में प्रवेश लेने वे लेकर चिकित्सकों को दिखाने व दवा प्राप्त करने तक में कई बार टोका टोकी करते है, लेकिन उनके सामने ही स्थित चर्म रोग विभाग के दवा वितरण केन्द्र में धक्का मुक्की को रोकने या भीड़ को व्यवस्थित करने का कार्य नहीं करते ।