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बीकानेर,विवाह में लाखों रुपए के गिफ्ट्स लेने की परम्पराओं के इस दौरान में लूणकरनसर और नोखा के दो सामान्य युवकों ने महज नारियल और एक रुपया लेकर मिसाल पेश कर दी है। धीरेरां गांव के विकास गोदारा और नोखा के सिंजगुरु गांव के मूलचंद पिलानिया ने बिना दहेज शादी करते हुए हम उम्र युवाओं को बड़ा संदेश दिया है।

लूणकरणसर के विकास का विवाह श्रीविजयनगर के हरीसिंहपुरा निवासी आत्माराम नेहरा की बेटी रेखा से हुई। दुल्हन के पिता ने फेरे की रस्मों के बीच लेनदेन, नकदी सहित सभी रीति-रिवाज पूरे करने की जिद की तैयारी कर रखी थी। कई तरह के बड़े उपहार और नगदी तक देने की परम्परा शुरू होने ही वाली थी कि विकास ने कुछ भी लेने से साफ मना कर दिया। दूल्हे विकास के नाना हरीराम धतरवाल ने उसकी भावनाओं का समर्थन किया तो बारात में आए सभी लोगों ने इस निर्णय की सराहना की। विवाह के दौरान रिश्तेदारों को कुछ रुपए देने की परम्परा (मिलनियां) भी नहीं हुई। एक दूसरे को अंगूठी पहनाने की रस्म भी नहीं रखी गई।

सिर्फ एक रुपया और नारियल लेते हुए दूल्हे के परिजन।
सिर्फ एक रुपया और नारियल लेते हुए दूल्हे के परिजन।
दूल्हे विकास और दुल्हन मोनिका दोनों ग्रेजुएट हैं। दोनों ही प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। हरीराम धतरवाल ने बताया कि शादियों में दहेज की कामना रखने वालों को संदेश देने के लिए ये पहल की है। बहू के रूप में कन्या धन की प्राप्ति होने के बाद दहेज कोई मायने नहीं रखता। विकास ने बताया कि उसे खुशी है कि शादी बिना दहेज हुई। उल्लेखनीय है कि विकास से छोटे दो भाई और हैं जिन्हें विकास पढ़ा रहे हैं,विकास खुद बीकानेर में प्राइवेट नौकरी कर अपना घर चला रहे हैं।

नोखा के मूलचंद ने भी दिखाई राह

उधर, नोखा के मूलचंद पिलानिया ने भी महज एक रुपए और नारियल लेकर दहेज जैसी कुप्रथा को हटाने का संकल्प लिया। सिंजगुरू निवासी रामचन्द्र पिलानिया ने बेटे मूलचंद की शादी बिना दहेज की। दुल्हन पक्ष से सिर्फ एक रुपए नारियल लेकर पूरी शादी की।

वर मूलचंद पिलानिया और वधु मोनिका भी बिना दहेज की शादी से खुश नजर आए।
वर मूलचंद पिलानिया और वधु मोनिका भी बिना दहेज की शादी से खुश नजर आए।
बीकानेर निवासी श्रीराम कुंदन की बेटी मोनिका से मूलचंद का विवाह हुआ। दुल्हन के पिता ने फेरे की रस्मों के बीच लेनदेन, नकदी सहित सभी रीति-रिवाज पूरे करने की जिद की। दूल्हे के पिता रामचन्द्र पिलानिया ने शादी में हर चीज के लिए साफ मना कर दिया। इसके अलावा बैंडबाजा किराया तक भी दुल्हन पक्ष से नहीं लिया। दूल्हा मूलचंद सरकारी स्कूल में टीचर हैं और दुल्हन मोनिका भी शिक्षित है। दूल्हे की मां रामप्यारी पिलानिया पूर्व में गांव की सरपंच रह चुकी है। पिलानिया ने बताया कि शादियों में दहेज की कामना रखने वालों को संदेश देने के लिए ये पहल की है। बहू के रूप में कन्या धन की प्राप्ति होने के बाद दहेज कोई मायने नहीं रखता। बदलते दौर में दहेज प्रथा एक बड़ी बुराई है। वर मूलचंद ने बताया कि उसे खुशी है कि शादी बिना दहेज हुई। रामचन्द्र पिलानिया के समधी श्रीराम कुंदन का कहना था कि अपनी हैसियत के अनुसार बेटी को कुछ देने की परम्परा निभाना चाहते हैं लेकिन वर पक्ष ने साफ मना कर दिया। ये बड़ा संदेश है

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