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बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय में डीप लर्निंग एंड विजुअल आर्टिफिशल इंटीलिजेंस विषय पर दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। जनसंपर्क अधिकारी विक्रम राठौड़ ने बताया कि कार्यक्रम संयोजक डॉ विशाल गौड के निर्देशन में आयोजित इस कांफ्रेंस मे यूएसए, रूस, जापान, चीन, साउथ कोरिया सहित 10 से अधिक देशों से 247 शोध पत्र प्राप्त हुए जिसमे अंतराष्ट्रीय स्तर पर एक्सपर्ट्स ने प्रतिभागिता निभाई। संयोजक डॉ.विशाल गौड़ ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और विवरण प्रस्तुत कर बताया कि इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में विश्व भर से शोध पत्र भेजे गए हैं। शोध पत्रों का वाचन तकनीकी सत्रों के दौरान किया जाएगा। जिसमें से रिव्यु के पश्चात 40 शोध पत्र का चयन स्प्रिंगर जैसे प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित किया जाएगा। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप मे प्रोफेसर मनोज दीक्षित कुलपति महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय एवं प्रोफेसर अरुण कुमार स्वामी केशवानंद विश्वविद्यालय, बीकानेर की उपस्थिति रही। विशिष्ठ अतिथि डॉ. टीन अंह वरिष्ठ वैज्ञानिक साउथ कोरिया और डॉ मार्टिन जापान थे। प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के एक्टिव ओर पैसिव प्रयोग किए जाने पर विचार रखा प्रोफेसर दीक्षित ने बताया कि गुरु तथा विद्यार्थी के बीच में आत्मीयता स्थापित होना आवश्यक है। सभी शोध आविष्कारों को तकनीकी पर निर्भर होना भी सही नहीं।अविष्कार शोध अनुसंधान समाज आधारित व समाज हित में होना आवश्यक है। भारतीय संस्कृति में गुरुकुल संकल्पना को आधार मानते हुए उन्होंने यह प्रकाश डाला विद्यार्थियों का विकास समग्र दृष्टि से होना आवश्यक है। विशेष अतिथि के रूप में श्री नरसिंह दास व्यास, लोकपाल, बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय एवं पूर्व जिला न्यायाधीश की उपस्थिति रही। श्री व्यास ने विधि व कानून व्यवस्था के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की अहम भूमिका पर प्रकाश डाला।उन्होंने बताया कि आमजन को विधि व कानून से अवगत होना आवश्यक है, तभी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सकारात्मक रूप से प्रयोग किया जा सकता है। विशिष्ट अतिथि के रूप में हिरोशिमा यूनिवर्सिटी जापान से प्रोफेसर मार्टिन ने न्यूरॉन नेटवर्क के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले टूल्स पर प्रकाश डाला तथा सीएनएन सीएनएन को अध्ययन करने मे समझने हेतु मुख्य रूप से जिन तत्वों की आवश्यकता है। पर प्रकाश डाला एज और जेंडर सेंसिटिविटी टू नॉइस इनट्यूशन के बारे में बताते हुए न्यूरॉन्स की यूटिलिटी की चर्चा की। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर अंबरीश शरण विद्यार्थी कुलपति बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय द्वारा की गई।प्रोफेसर विद्यार्थी ने बताया समाज की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए तकनीकी अनुसंधान तथा आविष्कार होना आवश्यक है। भारतीय तकनीकी को समझ कर वैश्विक संकटों का निवारण करना संभव है। भारतीय वेदों एवं पुराणों को अखंड ज्ञान का भंडार बताते हुए उन्होंने तकनीकी को सही स्वरूप देने का सुझाव दिया। संस्कृत को सभी भाषा की जननी बताते हुए उन्होंने कहा संस्कृत का प्रयोग एल्गोरिथम हेतु भी महत्वपूर्ण बताया आदिकाल से ही भारत तकनीकी के क्षेत्र में आगे रहा है।साधनों का सस्टेनेबल प्रयोग करके ही तकनीकी अविष्कार सकारात्मक दिशा मे आगे बढ़ाया जाना संभव है। आयोजन समिति के सदस्य डॉ सुधीर भारद्वाज ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया। इस कांफ्रेंस में डॉ ममता पारीक, डॉ पदमा जोशी, डॉ रूमा भदौरिया, डॉ नीरज चौधरी, डॉ.अनु शर्मा, डॉ. अभिषेक पुरोहित, डॉ. अमित माथुर, नटवर कड़वासरा, फारूक उस्ता, सतीश कुमार वह अन्य संकाय प्रमुख व फैकेल्टी मेंबर्स व कार्मिक उपस्थित रहे।

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