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बीकानेर,प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतन मोहिनी के देहावसान पर बुधवार को संस्थान के बीकानेर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू केन्द्रों में श्रद्धांजलि दी गई। दादी रतन मोहिनी का देहावसान सोमवार देर रात को अहमदाबाद में हो गया था। वे 101 वर्ष की थीं। वर्ष 2006 में दादी रतन मोहिनी के नेतृत्व में निकाली गई युवा पदयात्रा को लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज किया गया।
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की संभागीय केन्द्र संचालिका बी.के.कमल, बी.के.हंसमुख भाई,बी.के. राधा, बी.के.मीना व बी.के. रजनी के साथ केंद्र में आने वाले अनेक अनुयायियों, राजयोग साधकों ने उनके व्यक्तित्व व कृतित्व का स्मरण करते हुए श्रद्धांजलि दी।
बी.के.कमल ने बताया कि राजस्थान के राज्यपाल हरि भाऊ बागड़े व मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा, छतीसगढ़ के राज्यपाल रमन डेका व मुख्यमंत्री विष्णु देव ने दादी के निधन पर शोक संदेश भेजकर श्रद्धांजलि दी है।
बी.के.कमल ने बताया कि दादी रतन मोहिनी का जन्म 25 मार्च 1925 को हैदराबाद में हुआ। उन्होंने 13 वर्ष की आयु में 1937 में ब्रह्मा बाबा का सानिध्य प्राप्त किया। पचास हजार ब्रह्माकुमारी पाठशाला का संचालन किया तथा 50 हजार ब्रह्माकुमारी बहनों की नायिका बनी। करीब छह हजार सेवा केन्द्र दादी के मार्ग दर्शन में संचालित थे। वर्ष 1956 से 1969 तक मुंबई में सेवाएं दी तथा 1954 में जापान में विश्व शांति सम्मेलन का प्रतिनिधित्व किया।
बी.के.कमल ने बताया कि आबू रोड (राजस्थान) स्थित ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के मुख्यालय के मुख्यालय शांतिवन के कॉन्फ्रेंस हाल में उनकी पार्थिव देह को अंतिम दर्शनार्थ रखा गया है, जहां श्रद्धांजलि देने के लिए लोगों की कतार लगी है। उनकी पार्थिव देह का अंतिम संस्कार 10 अप्रैल किया जाएगा। दादी के निधन की खबर से संस्थान के विश्व भर में फैले सेवा केंद्रों और साधकों में शोक की लहर है। मुख्यालय में अखंड योग-साधना का दौर जारी है।
बी.के.कमल ने बताया कि चार वर्ष पूर्व दादी हृदय मोहिनी के देहावसान के बाद आप मुख्य प्रशासिका बनीं थीं। पिछले 40 साल से आप संस्थान के युवा प्रभाग की अध्यक्षा रहीं। आपके नेतृत्व में वर्ष 2006 में भारत भर में निकाली गई युवा पदयात्रा को लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज किया गया था। 2014 को गुलबर्गा विश्वविद्यालय ने दादी को डॉक्टरेट की मानद उपाधि से नवाजा था।

87 वर्ष की यात्रा की रहीं साक्षी-
दादी वर्ष 1937 में ब्रह्माकुमारीज़ की स्थापना से लेकर आज तक 87 वर्ष की यात्रा की साक्षी रही हैं। पिछले 40 से अधिक वर्ष से आप संगठन के ही युवा प्रभाग की अध्यक्षा की भी जिम्मेदारी संभाल रही हैं। आपके नेतृत्व में युवा प्रभाग द्वारा देशभर में अनेक राष्ट्रीय युवा पदयात्रा, साइकिल यात्रा और अन्य अभियान चलाए गए।

ब्रह्मा बाबा के साथ 32 साल का लंबा सफर-
दादी रतन मोहिनी में बचपन से ही भक्ति भाव के संस्कार रहे। छोटी सी उम्र होने के बाद भी आप अन्य बच्चों की तरह खेलने-कूदने के स्थान पर ईश्वर की आराधना में अपना ज्यादा वक्त गुजारती थीं। स्वभाव धीर-गंभीर था। पढ़ाई में भी होशियार होने के साथ प्रतिभा संपन्न रहीं हैं। दादीजी ने वर्ष 1937 से लेकर ब्रह्मा बाबा के अव्यक्त होने (वर्ष 1969) तक साए की तरह साथ रहीं। इन 32 साल में आप बाबा के हर पल साथ रहीं। बाबा का कहना और दादी का करना यह विशेषता शुरू से ही थी।

बहनों की ट्रेनिंग और नियुक्ति की कमान-
वर्ष 1996 में ब्रह्माकुमारीज़ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में तय हुआ कि अब विधिवत बेटियों को ब्रह्माकुमारी बनने की ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके लिए एक ट्रेनिंग सेंटर बनाया गया और तत्कालीन मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि ने आपको ट्रेनिंग प्रोग्राम की हैड नियुक्त किया। तब से लेकर आज तक बहनों की नियुक्ति और ट्रेनिंग की जिम्मेदारी दादी के हाथों में रही। दादी के नेतृत्व में अब तक 6000 सेवाकेंद्रों की नींव रखी गई है।

40 साल से युवा प्रभाग की संभाल रहीं हैं कमान
युवा प्रभाग द्वारा दादीजी के नेतृत्व में 2006 में निकाली गई स्वर्णिम भारत युवा पदयात्रा ने ब्रह्माकुमारीज़ के इतिहास में एक नया अध्याय लिख दिया। पद यात्रा द्वारा पूरे देश में 30 हजार किमी का सफर तय किया गया। इसमें पांच लाख ब्रह्माकुमार भाई-बहनों ने भाग लिया। सवा करोड़ लोगों को शांति, प्रेम, एकता, सौहार्द्र, विश्व बंधुत्व, अध्यात्म, व्यसनमुक्ति और राजयोग ध्यान का संदेश दिया गया।

देश में बनाए कई रिकॉर्ड
दादी के ही नेतृत्व में 1985 में भारत एकता युवा पदयात्रा निकाली गई। इससे 12550 किमी की दूरी तय की गई। यात्रा का शुभारंभ तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने किया था। कन्याकुमारी से दिल्ली (3300 किमी) की सबसे लंबी यात्रा रही। दादी के निर्देशन में करीब 70 हजार किलोमीटर से अधिक की पैदल यात्राएं निकाली गईं।

1985 में दादी ने की 13 पैदल यात्राएं…
वर्ष 2006 में निकाली गई युवा पदयात्रा ने लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में जहां नाम दर्ज कराया, वहीं सभी यात्रियों ने 30 हजार किमी की पैदल यात्रा तय की। दादी ने 13 मेगा पैदल यात्राएं की हैं। आपको देश-विदेश में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से समय प्रति समय दादी को सम्मानित किया गया है।

देशभर से मीटिंग में पहुंचे भाई-बहनों ने दी श्रद्धांजलि
अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका बीके मोहिनी दीदी, संयुक्त मुख्य प्रशासिका बीके मुन्नी दीदी, बीके संतोष दीदी, अतिरिक्त महासचिव बीके डॉ. मृत्युंजय भाई व बीके करुणा भाई, जयपुर जोन की निदेशिका बीके सुषमा दीदी, बीके शारदा दीदी, बीके मनोरमा दीदी सहित बता देशभर से पहुंचे भाई-बहनों ने पुष्पांजलि अर्पित की।

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