बीकानेर/ डिंगळ काव्य शैली के मर्मज्ञ और राजस्थानी भाषा के वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. शक्तिदान कविया की दूसरी पुण्यतिथि के अवसर पर जस्सूसर गेट स्थित श्री नेहरू शारदा पीठ पी.जी. महाविद्यालय, राजस्थानी विभाग बीकानेर के तत्वावधान में शुक्रवार को महाविद्यालय परिसर में कविया के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विचार गोष्ठी एवं श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के कोषाध्यक्ष ,कवि- कथाकार राजेन्द्र जोशी थे तथा अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ प्रशांत बिस्सा ने की।
मुख्य अतिथि राजेन्द्र जोशी ने कहा कि डाॅ. कविया डिंगल काव्यशैली के मर्मज्ञ थे। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सूर्यमल्ल मीसण शिखर पुरस्कार से सम्मानित
डाॅ. कविया बहुआयामी व्यक्तितव के धनी व विलक्षण साहित्यकार थे। वे राजस्थानी के प्रमुख कवि, आलोचक, संपादक, अनुवादक व समीक्षक थे। जोशी ने कहा कि राजस्थानी भाषा मान्यता आंदोलन में डॉक्टर कविया का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
अध्यक्षीय उद्बोधन में डाॅ. प्रशान्त बिस्सा ने कहा कि डाॅ. कविया ने राजस्थानी भाषा के उन्नयन व प्रसार में महती भूमिका निभाई। वे डिंगळ, पिंगळ, हिन्दी और ब्रज भाषा के प्रकांड विद्वान थे। उनके निबंध राजस्थानी संस्कृति को समझने के लिए महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं ।
विभागाध्यक्ष राजस्थानी विभाग के डाॅ. गौरीशंकर प्रजापत ने राजस्थानी विषय के विकास में डाॅ. कविया के योगदान को बताया। उन्होंने कहा कि डाॅ. कविया ने छठी कक्षा में ही ‘‘श्री करनी यश प्रकाश’’ की रचना कर दी थी। प्रजापत ने कहा कि डाॅ. कविया ने अपने साहित्य के माध्यम से सामाजिक सरोकारों को पाठकों के सम्मुख रखा।
इससे पूर्व साहित्यकारों द्वारा डाॅ. कविया के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गईं।
कार्यक्रम में महाविद्यालय के संयुक्त सचिव एडवोकेट महेश पुरोहित,डाॅ. समीक्षा व्यास, डॉ.मनीषा गांधी, मनीषा पुरोहित,सुश्री हेमा पारीक, श्रीमती नीतू बिस्सा, श्रीमती सुलोचना ओझा, कुशुम पारीक, अरविन्द स्वामी, कमल आचार्य , अमित पारीक, प्रताप सिंह, हनुमान महात्मा आदि उपस्थित थे।