
बीकानेर, राजस्थानी के इटालियन विद्वान डॉ. एल. पी. तैस्सितोरी की 106वीं पुण्यतिथि के अवसर पर शनिवार को सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टीट्यूट के तत्वावधान में तैस्सितोरी प्रतिमा स्थल पर पुष्पाजंली और शब्दांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टीट्यूट की ओर से आयोजित कार्यक्रम में इंस्टीट्यूट सचिव कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि तैस्सितोरी राजस्थान और इटली के सांस्कृतिक एवं साहित्यिक सेतु थे। उन्होंने बीकानेर में पांच साल से अधिक समय तक रहकर चारण और जैन साहित्य पर भरपूर शोध कार्य किया। युवाओं को इससे सीख लेनी चाहिए।
जनसंपर्क विभाग के उपनिदेशक डॉ. हरि शंकर आचार्य ने कहा कि तैस्सितोरी ने राजस्थानी भाषा और साहित्य की खूबियों को समझा और राजस्थानी के पेटे भरपूर काम किया। उन्होंने तैस्सितोरी के साहित्यिक अवदान पर प्रकाश डाला।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अजय जोशी ने कहा कि तैस्सितोरी ने दुनिया में राजस्थानी का मान बढ़ाया। राजस्थानी को संविधान की आठवीं अनुसूची में मान्यता के सामूहिक प्रयास उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
अध्यक्षता करते हुए सखा संगम के अध्यक्ष एन डी रंगा ने कहा कि राजस्थानी को जन-जन की भाषा बनाना जरूरी है। बच्चों को राजस्थानी से जोड़ना जरूरी है। उन्होंने लिखित और वात साहित्य के बारे में बताया।
विशिष्ट अतिथि और गीतकार राजाराम स्वर्णकार ने कहा कि डॉ. तैस्सितोरी ने सीमित संसाधनों के दौर में राजस्थानी साहित्य की सेवा की। उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।
इससे पहले समीक्षक अशफाक कादरी ने स्वागत उद्बोधन दिया। उन्होंने कार्यक्रम की रूपरेखा के बारे में बताया। इस दौरान पुस्तकालयाध्यक्ष विमल शर्मा, राहुल जादूसंगत, म्यूजियम के क्यूरेटर राकेश शर्मा, कवि संजय जनागल, चित्रकार योगेंद्र पुरोहित, कवि कैलाश टाक, राहुल जादूसंगत, जुगल किशोर पुरोहित,
भारती इंटरनेशनल स्कूल राजलदेसर की प्राचार्य सुनिता गर्ग, विजंयती राठौड, रुपा एवं विक्रम दाधीच, अब्दुल शकूर सिसोदिया,
आदि ने तैस्सितोरी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विचार रखे। गोपाल जोशी ने आभार जताया। इससे पहले सभी ने तैस्सितोरी की प्रतिमा के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित की।











